7.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

नाकेबंदी से पहले ‘मोदी जी’ थे अब ‘मोदी’ हो गए

अनिल यादव वरिष्ठ पत्रकार, काठमांडू से कुछ सत्य महीनों लंबी नाकेबंदी की तरह होते हैं जिन्हें न भारत सरकार आधिकारिक तौर पर स्वीकारती है और न नेपाल सरकार नकारती है. फिर भी न जाने किसलिए नेताओं, अफ़सरों, कूटनीतिज्ञों की वार्ताएं चलती रहती हैं. सत्ता के गलियारों में इन सत्यों के गिरगिट की तरह बदलते रंग […]

कुछ सत्य महीनों लंबी नाकेबंदी की तरह होते हैं जिन्हें न भारत सरकार आधिकारिक तौर पर स्वीकारती है और न नेपाल सरकार नकारती है. फिर भी न जाने किसलिए नेताओं, अफ़सरों, कूटनीतिज्ञों की वार्ताएं चलती रहती हैं.

सत्ता के गलियारों में इन सत्यों के गिरगिट की तरह बदलते रंग दिखते हैं क्योंकि उनके नतीजे जनता की ज़िंदगी में उथल-पुथल मचाए रहते हैं. अंततः एक दिन आदमी को अंदर से बदल डालते हैं.

नेपाल के बदले मिज़ाज को जताने वाला एक ऐसा ही सत्य यह है कि यहां के लोकप्रिय कॉमेडियन मनोज गजुरेल के लिए भारत के प्रधानमंत्री पहले ‘मोदी जी’ हुआ करते थे अब ‘मोदी’ हैं.

Undefined
नाकेबंदी से पहले 'मोदी जी' थे अब 'मोदी' हो गए 7

एक कॉमेडियन की भाषा से आदरसूचक ‘जी’ का चोरी से ग़ायब हो जाना दोनों देशों के संबंधों में आए बदलाव का सूचक है. इसके नतीजे आने वाले दिनों में दिखाई देंगे और सरकारों को आधिकारिक तौर पर स्वीकार भी करना पड़ेगा.

इसे नेपाली युवाओं की गरम होती बातचीत में भी साफ़ महसूस किया जा सकता है.

अपने शो में मनोज प्रधानमंत्री मोदी के मेकअप में एक पथरीले रास्ते पर बच्चों की साइकिल से मंच की ओर जाते दिखाई देते हैं. एक चकित औरत उन्हें चेताती है, ऐ भाई संभाल के चोट-चपेट लग जाएगी.

Undefined
नाकेबंदी से पहले 'मोदी जी' थे अब 'मोदी' हो गए 8

वैसा ही चकित एक आदमी पूछता है, आप साइकिल से नेपाल जा रहे हैं? मोदी कहते हैं- जो किया उसे भुगत रहा हूं. यहां पेट्रोल होता तब न गाड़ी लेकर आता. दर्शक हंसते हैं लेकिन हंसी के झटकों के बीच न स्वीकार किया जाने वाला नाकेबंदी का तीन महीने पुराना सच उनके भीतर थोड़ा और गहरे धंस जाता है.

मनोज मंच पर व्यंग्य से पूछते हैं- मोदी तपाई नेता हो या अभिनेता, हामी अलमल में पर्यूं (मोदी आप नेता हैं या अभिनेता, हम असमंजस में पड़ गए हैं) यहां आते हैं एक बात कहते हैं वहां जाकर दूसरी बात करने लगते हैं.

Undefined
नाकेबंदी से पहले 'मोदी जी' थे अब 'मोदी' हो गए 9

हां, हमारा आपस में रोटी-बेटी का संबंध है लेकिन रोटी का आटा सीमा पर सड़ रहा है और बेटी-बेटा भूखों मर रहे हैं. दर्शक इस बार नहीं हंस पाते, झटका कहीं और लगता है जिससे मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद नेपाली संसद में दिया गया आम नेपालियों का दिल लूटने वाले भाषण और नियंत्रित नाकेबंदी का फ़र्क़ टीस जाता है.

नेपाल: गैस सिलेंडर मिल रहा है ’10 हज़ार का’

यहीं ये कॉमेडियन बिडंबना के तुरूप का पत्ता चल देता है- नेपाल इज इंडिपेंडेंट बट लीडर इज़ इंडियाडिपेंडेंट (नेपाल आत्मनिर्भर है लेकिन नेता भारतनिर्भर हैं). अब हंसी सुनाई देती है लेकिन उसमें लाचारी घुली हुई है.

Undefined
नाकेबंदी से पहले 'मोदी जी' थे अब 'मोदी' हो गए 10

मनोज गजुरेल ने पहली बार मोदी जी की नकल उनकी नेपाल यात्रा के तीन दिन बाद उतारी थी

मनोज गजुरेल ने पहली बार मोदी जी की नक़ल उनकी नेपाल यात्रा के तीन दिन बाद उतारी थी.

इन तीन दिनों में उन्होंने कई बार नक़ली दाढ़ी बदली, आवाज़, पहनावे, देहभाषा और दो वाक्यों के बीच माइक पर फुफकार की तरह गूंजने वाली सांस को साधा फिर भी उनका आदर छिपाए नहीं छिपता था.

अब दुनिया भर में आयोजित हो रहे उनके शो में नक़ल कम मोदी के लिए उनकी चुटीली टिप्पणियां ज़्यादा होती हैं. हाल ही में वे अमरीका और यूरोप के कई देशों में मोदी के मुंह से अपने अंदाज़ का भाषण देकर लौटे हैं.

वे ख़ुद को कामेडियन नहीं ”कामेडी एक्टिविस्ट” (हास्य कार्यकर्ता) कहते हैं जिसका काम जनता की ज़िंदगी बनाने का दावा करने वाले शक्तिशाली लोगों की असलियत को सामने लाना है.

नेपाल: नाकेबंदी के समय पल्सर का जलवा

सबसे पहले उन्होंने काठमांडू के ओपन थिएटर में नेपाल नरेश ज्ञानेंद्र की मिमिक्री की थी.

Undefined
नाकेबंदी से पहले 'मोदी जी' थे अब 'मोदी' हो गए 11

जब माओवादी गुरिल्ला नेता प्रचंड जंगल छोड़कर संसद में पहुंचे तब उन्होंने उनकी आशावादी नक़ल उतारी जिसमें उनके राज में मेची से महाकाली (नेपाल के पूरब से पश्चिमी छोर तक) रेल चलती थी, सप्तकोशी नदी में जहाज़ चलते थे, पांच लाख अंग्रेज़ों को रोज़गार दिया गया था और प्रचंड काठमांडू की एक 130 तल्ला बिल्डिंग से नेपाल चलाते थे.

अब वह निराश कम्युनिस्ट प्रचंड को सन्यासी वेश में मंच प्रस्तुत करते हैं जिनके बयान सुबह-शाम बदलते हैं.

पूर्व उपराष्ट्रपति परमानंद झा, चुनाव हारकर भी प्रधानमंत्री बने माधव नेपाल और प्रधानमंत्री केपी ओली सभी पर उनके व्यंग्यबाण चले हैं. उनका कहना है कि अधिक मज़ा माधव नेपाल की मिमिक्री में आता है क्योंकि उनकी आवाज़ औरतों जैसी है. इससे असर दोगुना हो जाता है.

नेपाल सीमा पर 14 किलोमीटर लंबा जाम

इतने ताक़तवर लोगों का आप मज़ाक़ बनाते हैं क्या वे आपको कुछ नहीं कहते?

जवाब में गजुरेल ने कहा, "नेपाल के नेता हाज़मोला ज़्यादा खाते हैं सब पचा जाते हैं. मैंने अपने कई शो उनकी मौजूदगी में ही किए हैं. मैं सिर्फ़ लोगों का मनोरंजन करना और कैसे भी हंसाना नहीं चाहता बल्कि ”सामाजिक रूप से ज़िम्मेदार कॉमेडियन होना चाहता हूं जिसकी बहुत ज़रूरत है ताकि लोगों की वास्तविक सोच को सामने ला सकूं."

उनका कहना है कि लोग यही चाहते भी है वरना मोदी की नक़ल उतारने पर अब तक भारत में मेरे पुतले जलाए जा रहे होते. यह कॉमेडियन फिर चिकोटी काटता है- अभी भारत में काफ़ी सहनशीलता (सहिष्णुता) है.

Undefined
नाकेबंदी से पहले 'मोदी जी' थे अब 'मोदी' हो गए 12

अकेले मनोज ही ऐसा नहीं कर रहे हैं नेपाल में बहुतेरे कवि और क़िसिम क़िसिम के परफ़ॉर्मर हैं जो काठमांडू और ज़िलों में आयोजित हो रहे ”मोदी संग मन का कुरा” (मोदी संग मन की बात) कार्यक्रमों में पहले भूकंप अब नाकेबंदी की मुसीबत झेल रहे लोगों के सामने भारत के और नेपाल के नेताओं के लिए अपनी भावनाओं का इज़हार कर रहे हैं.

चाहें तो भारत के अफ़सर और कूटनीतिज्ञ इन आयोजनों में आम आदमी की तरह खड़े होकर जान सकते हैं कि कैसे इतनी जल्दी प्रधानमंत्री मोदी का जलवा मोहभंग में बदल चुका है.

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें