मलाला यूसुफ़जई ने अमरीकी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की दौड़ में शामिल डोनाल्ड ट्रम्प के अमरीका में मुसलमानों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने के बयान की निंदा की है.
नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला ने कहा कि ट्रम्प की टिप्पणी ‘घृणा से भरी’ है. मलाला के अनुसार ‘आतंकवाद’ के लिए सिर्फ़ मुसलमानों को ज़िम्मेदार ठहराने से मुस्लिम युवाओं में कट्टरपंथ को और बढ़ावा मिलेगा.
मंगलवार को बर्मिंघम में एक कार्यक्रम में मलाला ने समाचार एजेंसी एएफ़पी को बताया, "ऐसी टिप्पणियों को सुनना वास्तव में दुखद है जो नफ़रत से और पूरी तरह से दूसरों के साथ भेदभाव की विचारधारा से भरी हुई हैं "
ये कार्यक्रम पेशावर में आर्मी पब्लिक स्कूल पर तालिबान हमले के एक वर्ष पूरा होने पर आयोजित किया गया था. इस हमले में 140 लोग मारे गए थे, जिनमें अधिकांश स्कूली बच्चे थे.
तालिबान ने 2012 में लड़कियों के शिक्षा के अधिकार का झंडा उठाने वाली मलाला के सिर पर भी गोली मारी थी. लेकिन उनकी जान बच गई थी.
18 साल की मलाला ने इस तरह के मामलों पर मीडिया और नेताओं से सावधानी बरतने की अपील की.
उनका कहना था, ”अगर आपका इरादा आतंकवाद को रोकना है तो पूरी मुस्लिम आबादी को इसके लिए दोष देने की कोशिश न करें, क्योंकि इससे आंतकवाद नहीं रूक सकता.”
मलाला ने पूरी दुनिया में गुणवत्ता वाली शिक्षा दिए जाने की वकालत करते हुए कहा कि ‘आतंकवाद और नफ़रत की मानसिकता को हराने के लिए ये ज़रूरी है’.
उनके अनुसार ऐसी मानसिकता के कारण ही पेशावर जैसे हमले होते हैं.
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