कहां गये वो ‘मास्टर’
कौशिक गांगुली की फिल्म ‘आपुर पांचाली’ का चयन अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सव में हुआ है. यह उन बाल कलाकारों को समर्पित फिल्म है, जो कुछ साल बाद कहीं गुम हो जाते हैं. उन्होंने सत्यजीत रे की फिल्म ‘पाथेर पांचाली’ में अप्पू की भूमिका निभा चुके बाल कलाकार सुबीर बनर्जी के माध्यम से एक बेहतरीन कहानी कहने की […]
कौशिक गांगुली की फिल्म ‘आपुर पांचाली’ का चयन अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सव में हुआ है. यह उन बाल कलाकारों को समर्पित फिल्म है, जो कुछ साल बाद कहीं गुम हो जाते हैं. उन्होंने सत्यजीत रे की फिल्म ‘पाथेर पांचाली’ में अप्पू की भूमिका निभा चुके बाल कलाकार सुबीर बनर्जी के माध्यम से एक बेहतरीन कहानी कहने की कोशिश की है. हिंदी सिनेमा में भी कई बेहतरीन बाल कलाकारों ने अपनी प्रतिभा दिखायी, लेकिन आज वे या तो गुमनामी की जिंदगी जी रहे हैं, या फिर उन्हें बेहद मामूली किरदार निभाने का मौका मिल रहा है. बाल कलाकारों के नाम के आगे मास्टर लगा होता था, जो उनकी पहचान था. हिंदी सिनेमा के कुछ ऐसे बाल कलाकारों को तलाशने की कोशिश कर रही हैं अनुप्रिया अनंत.
हिंदी सिनेमा में प्राय: उन्हीं बाल कलाकारों की चर्चा ज्यादा होती है, जो आज स्टार हैं. मसलन रितिक रोशन ने फिल्म ‘भगवान दादा’ में छोटी सी भूमिका निभायी थी. नीतू सिंह ने भी बाल कलाकार से ही अपने फिल्मी कैरियर की शुरुआत की थी. आशा पारेख, बॉबी देओल, आमिर खान, आलिया भट्ट, अभिषेक बच्चन, ऋषि कपूर जैसी कई बड़ी हस्तियां हैं, जिन्होंने बाल कलाकार की भूमिका निभायी है. डेजी और हनी इरानी भी फिल्मों में लगातार नजर आते रहे. सिम्मी भी बचपन से ही फिल्मों का हिस्सा रहीं.
फिल्म इंडस्ट्री के बच्चों को मिले बड़े मौके
अगर ऊपर दिये गये नामों पर गौर करें तो ये बात समझ में आ जायेगी कि अधिकतर उन्हीं बाल कलाकारों को बड़े होने पर मौका मिला, जो फिल्मी परिवारों से संबंध रखते थे. जिनके परिवार के सदस्य इंडस्ट्री का हिस्सा नहीं थे, वे बाल कलाकार सुपरहिट होने के बावजूद कहीं खो गये.
जूनियर महमूद निभा रहे नौकर की भूमिका
नइम सईद को शायद आप न पहचानें लेकिन जूनियर महमूद के नाम से आप उन्हें निश्चय ही पहचान लेंगे. जी हां, जूनियर महमूद के नाम से लोकप्रिय नइम इन दिनों धारावाहिक ‘प्यार का दर्द है’ में नौकर की भूमिका निभा रहे हैं. उनका नाम कास्टिंग क्रेडिट में भी शामिल नहीं किया जाता है. जूनियर महमूद मराठी फिल्म के निर्देशक भी हैं, लेकिन हिंदी फिल्मों में जो प्रसिद्धि उन्हें जूनियर महमूद के रूप में मिली थी, आज वह खो गयी है. उन्होंने ‘फरिश्ता’, ‘आन मिलो सजना’, ‘नौनिहाल’, ‘अंखियों के झरोखों से’ समेत 60-70 के दशक की कई फिल्मों में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभायी हैं.
बकौल जूनियर महमूद मैंने नौ साल की उम्र में काम करना शुरू किया था. मैं स्कूल में पढ़ाई करने के बजाय एक्टर्स की नकल उतारता था. मेरे भाई फिल्मी सेट पर फोटोग्राफी करते थे. वही से मुङो फिल्मों का चस्का लगा. जूनियर महमूद ने जीतेंद्र, राजश्री और महमूद के साथ खूब काम किया है. बकौल जूनियर महमूद मैं महमूद उस्ताद के गानों पर खूब डांस भी करता था. शम्मी कपूर, धर्मेद्र, आशा पारेख जैसे लोगों के साथ मुङो छोटी उम्र में ही काम करने का मौका मिल गया जो मेरे लिए गर्व की बात है. जूनियर महमूद बताते हैं कि वे बचपन में 60 रुपये प्रतिदिन पर भी काम कर लिया कर लेते थे, जबकि मास्टर बबलू, डेजी ईरानी ज्यादा चार्ज करते थे.
गुमनाम हो गयी बेबी गुड्ड
किसी दौर में फिल्मों की चार्मिग चाइल्ड आर्टिस्ट के रूप में शाहिस्ता खान ने पहचान बनायी थी. बेबी गुड्ड के नाम से लोकप्रिय शाहिस्ता ने ‘अमृत’, ‘घर घर की कहानी’, ‘आखिर क्यों’ जैसी कई फिल्मों के साथ कई विज्ञापनों में भी काम किया है, मगर आज वह गुमनाम हैं.
मास्टर राजू बने राजू श्रेष्ठ
फिल्म ‘परिचय’ का वह प्यार सा गोल–मोल मासूम सा बच्चा तो याद ही होगा आपको. जी हां, हम राजू श्रेष्ठ की बात कर रहे हैं. लोग उन्हें प्यार से मास्टर राजू कहते थे. मास्टर राजू ने अमर प्रेम, अभिमान, चितचोर, वो सात दिन जैसी कई लोकप्रिय फिल्मों में अभिनय किया व खूब सराहे भी गये. मास्टर राजू इन दिनों धारावाहिक ‘बानी’ में नजर आ रहे हैं. लेकिन न तो उनके किरदार को खास तवज्जो दी गयी और न ही वे पहचान में आ रहे हैं. स्पष्ट है कि मजबूरी में ही उन्हें ऐसे किरदार निभाने पड़ रहे हैं.
लेखन से जुड़े सत्यजीत पुरी
सत्यजीत पुरी ने ‘मेरे लाल’, ‘हरे रामा हरे कृष्णा’, ‘अनुराग’ जैसी फिल्मों में अभिनय किया था. बाद में मौका न मिलने पर वे लेखन के क्षेत्र से जुड़ गये.
बहुत लंबी है सूची
मास्टर बिट्ट भी लोकप्रिय बाल कलाकारों में से थे. उन्होंने ‘अमर अकबर एंथनी’, ‘अनोखा बंधन’, ‘मिस्टर नटवरलाल’ जैसी कई फिल्मों में भूमिकाएं निभायी. अमिताभ बच्चन के बाल कलाकार की भूमिका भी उन्होंने सबसे अधिक बार निभायी.इनके अलावा मास्टर अलंकार, मास्टर मंजूनाथ, मास्टर अंकुर, बेबी आराधना भी आज गुमनाम हैं.