अमेरिका भारतीय शेर को लुप्तप्राय प्रजातियों की सूची में रखेगा
वाशिंगटन : भारत और अफ्रीका में पायी जाने वाली शेर की एक प्रजाति को अमेरिका लुप्तप्राय: प्रजातियों की सूची में रखेगा क्योंकि इनकी संख्या में नाटकीय रुप से कमी आई है. अमेरिकी मत्स्य एवं वन्यजीव सेवा ने कहा है कि वह भारत, पश्चिमी और मध्य अफ्रीका में पायी जाने वाली शेर की एक उपजाति ‘पैंथरा […]
वाशिंगटन : भारत और अफ्रीका में पायी जाने वाली शेर की एक प्रजाति को अमेरिका लुप्तप्राय: प्रजातियों की सूची में रखेगा क्योंकि इनकी संख्या में नाटकीय रुप से कमी आई है. अमेरिकी मत्स्य एवं वन्यजीव सेवा ने कहा है कि वह भारत, पश्चिमी और मध्य अफ्रीका में पायी जाने वाली शेर की एक उपजाति ‘पैंथरा लियो लियो’ को लुप्तप्राय: जीव की श्रेणी में और पूर्वी एवं दक्षिणी अफ्रीका में पायी जाने वाली एक अन्य प्रजाति ‘पैंथरा लियो मिलानोचैटा’ को संकटग्रस्त जीवों की श्रेणी में रखेगा.
अमेरिकी मत्स्य एवं वन्यजीव सेवा के निदेशक डेन ऐशे ने कहा कि शेर हमारे ग्रह की सबसे प्रिय प्रजातियों में से एक है और हमारी वैश्विक विरासत का अपूरणीय हिस्सा है. यदि हम शेरों को अच्छी संख्या में अफ्रीका के सवाना मैदानोंे और भारत के जंगलों में घूमते देखना चाहते हैं तो यह हम सब की जिम्मेदारी बनती है ना कि सिर्फ अफ्रीका और भारत की कि इसके लिए कदम उठाए जाऐं. अमेरिकी मत्स्य एवं वन्यजीव सेवा ने कहा कि नये वैज्ञानिक शोधोंे के आधार पर यह पता लगा है पश्चिमी और मध्य अफ्रीका में पायी जाने वाली अफ्रीकी शेरों की प्रजाति एशियाई शेरों के बहुत करीब है और अब इन्हें एक ही प्रजाति ‘पैंथरा लियो लियो’ का माना जाता है.
अमेरिकी मत्स्य एवं वन्यजीव सेवा द्वारा जारी एक बयान में बताया गया है कि इस प्रजाति के अब केवल 1400 शेर ही बचे हैं जिनमें से 900 करीब 14 अफ्रीकी देशों में और 523 भारत में हैं. इसके अलावा ‘पैंथरा लियो मिलानोचैटा’ प्रजाति की लगभग 17000-19000 संख्या पूरे दक्षिण और पूर्वी अफ्रीका में पायी जाती है. अमेरिका अभी इस प्रजाति को कम खतरे में मानता है और यह अभी विलुप्ति के कगार पर नहीं पहुंची है. इसकी अंतिम सूची संघीय रजिस्टर में 23 दिसंबर 2015 को प्रकाशित की जाएगी और प्रकाशन के 30 दिन बाद से अर्थात 22 जनवरी 2016 से यह लागू हो जाएगी.