मां से बच्चे को होनेवाले एचआइवी संक्रमण में कमी

संयुक्त राष्ट्र संयुक्त राष्ट्र बाल कोष का कहना है कि वह पिछले सात साल में किशोरों के बीच एचआइवी और एड्स की दरों के बढ़ने से चिंतित है और इससे बचाव के साधनों और एंटीरेट्रोवायरल उपचार के प्रभावी कार्यक्रम पर जोर दे रहा है. एक सकारात्मक बदलाव के लिहाज से यूनीसेफ ने पाया है कि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 30, 2013 7:13 AM

संयुक्त राष्ट्र संयुक्त राष्ट्र बाल कोष का कहना है कि वह पिछले सात साल में किशोरों के बीच एचआइवी और एड्स की दरों के बढ़ने से चिंतित है और इससे बचाव के साधनों और एंटीरेट्रोवायरल उपचार के प्रभावी कार्यक्रम पर जोर दे रहा है. एक सकारात्मक बदलाव के लिहाज से यूनीसेफ ने पाया है कि माता से बच्चों को होने वाले एचआइवी संक्रमण में नाटकीय ढंग से कमी आयी है. उसने पाया कि निम्न और मध्य आय वाले देशों में ऐसे लगभग 8,50,000 मामलों को रोका जा सका है.

कहते हैं आंकडे.

बच्चों और एड्स पर जारी 2013 स्टॉकटेकिंग रिपोर्ट में शुक्रवार को कहा गया कि एड्स से जुड़ी मौतों से 10 से 19 साल की उम्र वालों के मारे जाने की संख्या वर्ष 2005 से 2012 के बीच 71 हजार से बढ.कर 110 हजार हो गयी थी. वर्ष 2012 में 21 लाख किशोर एड्स के साथ जी रहे थे. एचआइवी से संक्रमित लगभग 90 प्रतिशत बच्चे सिर्फ 22 देशों में रहते हैं. एक बच्चे को छोड.कर बाकी सभी संक्रमित बच्चे उप सहारा अफ्रीका में हैं. यूनीसेफ ने पाया कि वर्ष 2005 में संक्रमित शिशुओं की संख्या 540 थी, वही यह संख्या वर्ष 2012 में 260 हजार थी.

उपचार का असर

ऑप्शन बी प्लस के नाम से पहचाने जाने वाला और जीवन पर्यंत चलने वाला एंटीरेट्रोवायरल उपचार महिला के जरिये उनके बच्चों तक गर्भावस्था, प्रसव, दूध पिलाने के जरिये एचआइवी संक्रमण के पहुंचने पर प्रभावी तरीके से रोक लगाता है. इस उपचार में रोजाना एक गोली लेनी होती है. यूनीसेफ ने कहा कि वैश्‍विक स्तर पर एड्स से जुड़ी मौतों में वर्ष 2005 से 2012 के बीच लगभग 30 प्रतिशत की गिरावट आयी है.

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