इस्लामाबाद : पाकिस्तान के पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ ने यह कह कर 2007 में देश में आपातकाल लगाने के अपने फैसले के लिए पाकिस्तान के शीर्ष असैनिक और सैन्य नेतृत्व को पहली बार जिम्मेदार ठहराया है कि उन्होंने यह कदम उठाने से पहले उन सब से मशविरा किया था. मुशर्रफ 3 नवंबर 2007 को पाकिस्तान में आपातकाल की घोषणा संविधान निलंबित करने के सिलसिले में राजद्रोह के आरोपों का सामना कर रहे हैं. पूर्व पाकिस्तानी राष्ट्रपति ने संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) के संयुक्त जांच दल के सामने दर्ज अपने बयान में पूर्व सैन्य प्रमुख जनरल परवेज कयानी को प्रधान अपराधी बताया. मुशर्रफ ने कहा कि 27 नवंबर 2007 को सेना प्रमुख बने कयानी ने आपातकाल नहीं हटाया. पूर्व राष्ट्रपति ने आरोप लगाया, ‘उसे निरस्त नहीं कर, जनरल कयानी भी एक प्रधान अपराधी हैं.’
पूर्व सैन्य शासक ने जोर दिया कि उन्होंने आपातकाल लगाने से पहले कयानी के साथ ही तत्कालीन प्रधानमंत्री शौकत अजीज समेत वरिष्ठ सैन्य और असैन्य नेतृत्व से मशविरा किया था. मुशर्रफ ने कहा कि उन्होंने आपातकाल लगाने के मामले में तत्कालीन प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिमंडल की सलाह पर कार्रवाई की और इसलिए वह जिम्मेदार नहीं हैं. मुशर्रफ ने कहा कि अजीज ने आपातकाल लगाने के लिए जो संक्षिप्त विवरण पेश किया था उसे ‘संबंधित हलकों’ ने ‘रहस्यमय तरीके’ से आधिकारिक रेकॉर्ड से हटा दिया. इस बीच, डॉन ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि यह पहला मौका है जब मुशर्रफ ने राजद्रोह के मामले में अवकाशप्राप्त जनरल कयानी और वरिष्ठ असैन्य एवं सैन्य अधिकारियों को सीधे घसीटा है.
जनरल कयानी ने छह साल तक सेना प्रमुख रह कर 2013 में अवकाश ग्रहण किया. उन्होंने मुशर्रफ के आरोपों पर अभी तक कुछ प्रतिक्रिया नहीं जतायी है. यह माना जाता है कि मुशर्रफ कयानी से खुश नहीं हैं. उन्होंने खुद ही कयानी को सेना प्रमुख के पद के लिए चुना था, लेकिन उससे नाराज हैं कि जब वह चुनाव लडने 2013 में विदेश से लौटे तो उन्हें गिरफ्तार किया गया और अनेक मामलों में संलिप्त किया गया तो कयानी ने उन्हें बचाने में कोई सक्रिय भूमिका नहीं निभायी. पूर्व प्रधानमंत्री अजीज भी मुशर्रफ की निजी पसंद थे. वह 2007 में अपने कार्यकाल पूरा होने पर पाकिस्तान से चले गये. उसके बाद वह वतन नहीं लौटे. उल्लेखनीय है कि 1973 के संविधान के तहत संविधान निरस्त करना राजद्रोह की कार्रवाई है और पाकिस्तान के राजद्रोह कानून के तहत इसकी सजा मौत है. मुशर्रफ कराची में रहते हैं क्योंकि वह अदालत के एक आदेश के तहत देश छोड कर नहीं जा सकते हैं.