अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन पर विशेष : जब तक सुनेंगे तब तक बोलूंगा…
संजय सेठ 27 अगस्त 1981 को अटल बिहारी वाजपेयी, संसदीय समिति सदस्य के रूप में कांके स्थित मनो चिकित्सा अस्पताल के निरीक्षण में आये हुए थे़ उसी समय इलाहाबाद में भाजयुमो का राष्ट्रीय सम्मेलन था. उसमें सैकड़ों की संख्या में रांची से कार्यकर्ता भाग लेने गये थे. 29 अगस्त की सुबह मैं वापस रांची पहुंचा. […]
संजय सेठ
27 अगस्त 1981 को अटल बिहारी वाजपेयी, संसदीय समिति सदस्य के रूप में कांके स्थित मनो चिकित्सा अस्पताल के निरीक्षण में आये हुए थे़ उसी समय इलाहाबाद में भाजयुमो का राष्ट्रीय सम्मेलन था. उसमें सैकड़ों की संख्या में रांची से कार्यकर्ता भाग लेने गये थे. 29 अगस्त की सुबह मैं वापस रांची पहुंचा. अखबार में पढ़ा कि अटल जी तीन दिवसीय दौरे पर रांची आये हैं.
मैं स्टेशन से सीधे सर्किट हाउस पहुंचा. वहां पर अटल जी, बलबीर दत्त जी और पूर्व विधायक ननी गोपाल मित्रा बैठे थे. मैंने स्व. मित्रा से अनुरोध किया कि अटल जी की एक सभा रांची में होनी चाहिए. मित्रा जी ने कहा कि बलबीर दत्त जी से बोले. इस वार्तालाप को बलबीर दत्त जी सुन रहे थे. बलबीर जी ने अटल जी को बताया कि संजय क्या कह रहा है.
अटल जी ने मेरी ओर मुखातिब होते हुए पूछा कि सम्मेलन कैसा रहा? कितने लोगों की भागीदारी थी? उसके उपरांत उन्होंने पूछा कि इतनी जल्दी में मेरी सभा कैसे हो पायेगी? मैंने अटल जी को कहा आप आदेश दें आपके नाम से हजारों लोग आपका भाषण सुनने आयेंगे. उन्होंने सोचते हुए हामी भरी कि ठीक है कल 30 अगस्त को शाम चार बजे अब्दुल बारी पार्क मैदान में सभा होगी. सहमति मिलने के उपरांत मैं 76, सर्कुलर रोड स्थित भाजपा कार्यालय गया और वहीं से लाल राजेंद्र नाथ शाहदेव, कुंवर झा सहित सक्रिय लोगों को यह सूचना दी, क्योंकि अधिकतर लोग इलाहाबाद में ही रूक गये थे.
प्रचार गाड़ियां निकलवाने के उपरांत मैं घर पहुंचकर स्नान करके सभा की तैयारी में लग गया. 30 अगस्त को अटल जी की ऐतिहासिक सभा हुई. पूरा बारी पार्क मैदान, पुराना उपायुक्त कार्यालय, पीछे एसओआर कार्यालय सहित सारी सड़कें भीड़ से पट गयीं. अभी अटल जी आधा घंटा ही बोले थे कि मूसलाधार बारिश होने लगी.
भीड़ में आगे जो महिलाओं के लिए दरी बिछी थी, कुर्सियां रखी थी उसे लोगों ने अपने ऊपर पानी से बचने के लिए छाते की तरह इस्तेमाल किया. तब तक अटल जी पानी से तर बतर हो चुके थे. अटल जी ने सामने का दृश्य देखते हुए कहा जब तक आप भीगेंगे तब तक मैं भीगूंगा, जब तक आप सुनोगे तब तक मैं भी बोलूंगा़ उस मूसलाधार बारिश में अटल जी ने लगभग डेढ़ घंटा भाषण दिया.
बारिश के समय मैंने एक छाता अटज जी को पानी से बचाने के लिए उनके सिर के ऊपर रखा. अटल जी ने मुझे डांटते हुए कहा कि जनता भींग रही है और मुझे छाता लगा रहे हो़ मैंने तुरंत छाता हटा लिया. अटल जी तर बतर थे. भाषण के उपरांत उनका धोती-कुर्ता सामने उपायुक्त कार्यालय में लाया गया जहां पर उन्होंने कपड़े बदले. ऐसे हैं हमारे अटल जी. भाजपा रांची नगर की ओर से अटल जी को एक लाख 21 हजार की थैली भेंट करनी थी. तत्कालीन कोषाध्यक्ष राजेंद्र अग्रवाल के अथक प्रयास से एक लाख 21 हजार की थैली अब्दुल बारी पार्क मैदान में भेंट की गयी. थैली भेंट करने के पश्चात अटल जी का भाषण शुरू हुआ.
अटल जी धारा प्रवाह बोल रहे थे. जनता की तालियों की गड़गड़ाहट जारी थी. एकाएक अटल जी रूके और कहा भाइयों-बहनों, नमस्कार, जनता भौंचक थी. जनता बोलवाने पर अड़ी थी. अटल जी ने व्यंग्य किया जितना राशन उतना भाषण. क्योंकि अटल जी लगभग सवा घंटा बोल चुके थे. हजारों लोगों के ठहाकों के बीच सभा समाप्त हुई.
अटल जी को लोहरदगा, गुमला, पालकोट, कोलेबिरा होते हुए ओड़िशा जाना था. अटल जी की यात्रा पिस्का मोड़ गुरुद्वारे में मत्था टेकने और सरोपा लेने के उपरांत शुरू हुई. लोहरदगा, गुमला होते हुए पालकोट से उनका काफिला गुजर रहा था. पीछे के वाहन में हम कार्यकर्ता बैठे थे. लगभग साढ़े सात बजे शाम को उनकी कार रूकी. हमलोग दौड़ते हुए अटल जी के पास पहुंचे. अटल जी ने कहा सामने झोपड़ी में बत्ती जल रही है, कौन लोग हैं, उन्हें बुलाओ. हम सब ने वहां जाकर गृह स्वामी को कहा कि सामने गाड़ी में अटल जी बुला रहे हैं.
लगभग दौड़ते हुए उत्साह से महिला-पुरुष अटल जी के पास पहुंचे और प्रणाम किया. अटल जी ने पूछा क्या खाना बना है? हमको खिलाओगे (हम कार्यकर्ताओं ने अटल जी को बताया कि कोलेबिरा डाक बंगले में भोजन की व्यवस्था है जिसको अटल जी ने नकार दिया और कहा कि वह तो वहीं खायेंगे़
तुम सब वहां भोजन करना. अटल जी कार से उतरकर वहां चटाई पर बैठकर रोटी और आलू की भूजिया, प्याज और हरी मिर्च के साथ भोजन करने लगे और चलते समय गृह स्वामी के पैर छुए. गृह स्वामी ने कहा कि सर ये आप क्या कर रहे हैं? अटल जी ने तपाक से कहा, अन्नदाता के पैर छू रहे हैं. ऐसे हैं हमारे अटल जी.
लेखक प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं.
आज भी जेहन में है अटल
अमरप्रीत सिंह काले
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मिलने की मेरी इच्छा एक माह पहले पूरी हुई. उनकी यादें आज भी हमारे जेहन में है. इससे पहले कई बार वाजपेयी जी से मिलने का प्रयास किया, लेकिन मेरी इच्छा पूरी नहीं हो पायी थी. मुझे याद है कई वरिष्ठ भाजपा पदाधिकारियों के साथ मैं लाल कृष्ण अडवाणी से मिलने उनके आवास पर गया था.
यहीं पर मेरी जिज्ञासा हुई कि अटल जी से मुलाकात की जाये. इसके बाद जब भी दिल्ली जाता जिंटा साहब से बात कर अपनी इच्छा प्रकट करता, लेकिन वाजपेयी जी से मिलने का मौका नहीं मिल पाया.
पिछली बार 14 नवंबर को दिल्ली गया. हर बार की तरह इस बार भी जिंटा साहब से मुलाकात कर वाजपेयी जी से मिलने की इच्छा जतायी. अचानक 17 नवंबर को जिंटा जी का फोन आया और मुझे मिलने के लिए चार बजे बुलाया गया. मैं समय से पहले ही वहां पहुंच गया.
मैं जब अंदर गया तो वाजपेयी जी बिस्तर पर आराम कर रहे थे. जिंटा साहब ने बड़े धीरे से आवाज लगायी. सर…देखिये कौन आये हैं. झारखंड भाजपा के प्रवक्ता हैं. आपसे बहुत दिनों से आर्शीवाद लेना चाहते हैं. इन्हें आर्शीवाद दीजिए. तभी वाजपेयी ने पलकें खोली और मुझे देखा. मुझे लगा कि वे मुझे आर्शीवाद दे रहे हैं. मेरी तमन्ना पूरी हो गयी थी. मैं अपने आप को सौभाग्यशाली महसूस कर रहा था. इसके बाद मैं वाजपेयी जी के दीर्घायु होने की कामना करते हुए कमरे से बाहर निकल गया.
(लेखक भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता हैं)