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पड़ोसी देशों से दोस्ती की राह में कहीं फूल, कहीं कांटे

किसी भी राष्ट्र के लिए उसके पड़ोसियों की अहमियत, उसे आगे बढ़ाने या किसी ट्रैप में फंसाने, दोनों ही मामलों में अतिमहत्वपूर्ण होती है. यह बात संयुक्त राज्य अमेरिका के संदर्भ में सीधे तौर पर देखी जा सकती है. अगर अमेरिका के पड़ोसी कनाडा और मैक्सिको जैसे देश नहीं होते, तो अमेरिका संभवतः दुनिया की […]

किसी भी राष्ट्र के लिए उसके पड़ोसियों की अहमियत, उसे आगे बढ़ाने या किसी ट्रैप में फंसाने, दोनों ही मामलों में अतिमहत्वपूर्ण होती है. यह बात संयुक्त राज्य अमेरिका के संदर्भ में सीधे तौर पर देखी जा सकती है. अगर अमेरिका के पड़ोसी कनाडा और मैक्सिको जैसे देश नहीं होते, तो अमेरिका संभवतः दुनिया की महाशक्ति कभी नहीं बन पाता. राष्ट्रीय हितों के विस्तृत क्षितिज तलाशने और उन्हें स्थायी आधार देने में पड़ोसी देश बेहद निर्णायक होते हैं.

दुर्भाग्य से भारत को ऐसे पड़ोसी नहीं मिले. वैश्विक प्रतियोगिता के इस युग में भारत के कुछ पड़ोसी देशों में ऐसी शक्तियां अपना स्थान प्रबलता के साथ बनाये हुए हैं, जिनके प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रभाव (नकारात्मक) भारत पर पड़ते दिख रहे हैं. बीत रहे साल 2015 में पड़ोसी देशों की हलचल और भारत पर उसके प्रभाव का आकलन कर रहा है आज का वर्षांत विशेष.

डॉ रहीस सिंह

विदेश मामलों के जानकार

1 चीन की योजनाओं से बढ़ रही हैं चुनौतियां

चीन भारत का भौगोलिक रूप से सबसे बड़ा, ताकतवर एवं महत्वाकांक्षी पड़ोसी है, जिसका कोई भी महत्वाकांक्षी कदम भारत के लिए एक नयी चुनौती लेकर आता है.

वर्ष 2015 में इस लिहाज से दो घटनाओं का जिक्र किया जा सकता है, जो भारत के लिए चुनौतियों के रूप में देखी जा सकती हैं और भविष्य में इस असर के गहराने की संभावनाएं अधिक हैं. पहली है- ब्रह्मपुत्र नदी (तिब्बत में यारलंग-शांगपो) पर जिएशू, जांगमू और जियाचा तथा इन जैसे कुछ और चीनी बांधों का निर्माण, जिन्हें चीन अपनी ऊर्जा और सिंचाई आपूर्ति का साधन बताता है, लेकिन सच यह है ब्रह्मपुत्र (सांगपो-ब्रह्मपुत्र) के ‘ट्रांस-बाउंड्री नदी’ होने के कारण यह भारत पर आर्थिक और सामरिक रूप से प्रभाव डालेंगे. न्यूयार्क आधारित एशिया स्टडीज की निदेशक एलिजाबेथ का तर्क है कि यह पर्यावरण के लिए एक बम का कार्य करेगा, क्योंकि ‘थ्री गार्ज डैम’ भूगर्भिक (जियोलाॅजिकल), मानवीय (ह्यूमन) और पारिस्थितिक (इकोलाॅजिकल) दृष्टि से बेहद प्रतिकूल हैं.

चीन की दूसरी महत्वाकांक्षी योजना ‘वन बेल्ट वन रूट’ संबंधी है, जिसे पहल का नाम दिया जा रहा है. चीन इसके जरिये एशिया, अफ्रीका और यूरोप को जोड़ने की महत्वाकांक्षा रखता है. इसके मुख्य दो हिस्से हैं, प्रथम- ‘सिल्क रूट इकोनाॅमिक बेल्ट’. यह चीन को यूरोप से वाया मध्य एशिया जोड़ेगा. द्वितीय ‘मैरी टाइम सिल्क रूट’. यह चीन की बंदरगाह सुविधाओं को अफ्रीकी तटों से जोड़नेवाली महत्वाकांक्षी परियोजना है, जो स्वेज नहर से लेकर भू-मध्य सागर तक विस्तारित है.

इस तरह से चीन बेल्ट-रूट यानी जमीन से ऊपर सड़क और रेल मार्गों, तेल और प्राकृतिक गैस पाइप लाइनों और अन्य संरचनात्मक योजनाओं के सुनियोजित नेटवर्क द्वारा चीन के दायरे को मध्य एशिया से आगे बढ़ कर मास्को, रोस्टरडैम और वेनिस तक विस्तार देने के साथ-साथ सड़क (रूट) द्वारा अपने समुद्र के बराबर नियोजित बंदरगाहों और अन्य तटीय संरचना बंदरगाहों का एक नेटवर्क खड़ा कर रहा है, जो दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया से पूर्वी अफ्रीका और उत्तरी भू-मध्य सागर तक के नक्शे को अंकित करता है. चीन का यह प्रोजेक्ट भी भारत के लिए चिंता पैदा करनेवाला है. एक तो इसलिए कि चीन तिब्बत में मिसाइलों की तैनाती बढ़ा कर और कोको द्वीप से ग्वादर तक एक सामरिक चेन स्थापित कर भारत को घेर रहा है और दूसरी तरफ तिब्बत में इन्फ्रास्ट्रक्चरल निर्माण कर भारतीय सीमा तक अपनी सेवाओं को पहुंचाना चाहता है.

चूंकि चीन के साथ भारत का सीमा विवाद, चीनी सैनिकों द्वारा भारतीय सीमा में घुसपैठ, पाकिस्तान के साथ चीन की लगातार बढ़ती नजदीकियां, इन सबके कारण भारत की चीन के साथ डोर काफी कमजोर है. अर्थात इनके बीच ट्रस्ट डेफिसिट से इनकार नहीं किया जा सकता.

पेंटागन तथा सिपरी (स्टाॅकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट) की रिपोर्ट को देखें, तो पता चलता है कि चीन इस समय उभरता हुआ हथियार विक्रेता बन रहा है. इन रिपोर्टों के मुताबिक, चीन इन हथियारों के जरिये वह पाकिस्तान के साथ रणनीतिक रक्षा गठजोड़ बनाने में कामयाब हो रहा है.

इस तरह से चीन दक्षिण एशिया में ‘की क्राइसिस मैनेजर’ की भूमिका में आता हुआ दिख रहा है. यानी एशिया की यह ताकत चीन अब दुनिया के लिए ‘थ्रेट मैनेजर’ की दिशा में आगे बढ़ रहा है और इस रूप में यह भारत के सामने ही सबसे बड़ी चुनौती बन कर सामने आनेवाला है. पिछली कई रिपोर्टें बताती हैं कि अरब सागर में स्थित भारत के 572 छोटे-बड़े द्वीपों वाले केंद्र शासित क्षेत्रों में चीन काफी दिनों से घुसपैठ कर रहा है. भारतीय सैन्य खुफिया एजेंसी हथियारों की कई खेपें पकड़ चुकी है.

अंडमान से 18 किलोमीटर दूर स्थित कोको द्वीप व अन्य द्वीपों को चीन म्यांमार से पट्टे पर लेकर वहां शक्तिशाली संचार खुफिया तंत्र विकसित कर रहा है. यहां से भारतीय नौसैनिक गतिविधियों, पूर्वी नौसैनिक कमान, बंगाल की खाड़ी एवं आेड़िशा के चांदीपुर स्थित मिसाइल टेस्टिंग सेंटर रेंज आदि की चीन की ओर से जासूसी करने की भी पुष्टि हो चुकी है.

2 पाकिस्तान की तेज हुई सामरिक तैयारियां

वर्ष 2015 की पाकिस्तान में घटी घटनाओं के रूप में पाकिस्तान-चीन के बीच हस्ताक्षति हुए 51 मेमोरैंडम्स आॅफ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) को अहम माना जा सकता है. इन समझौतों में ‘चाइना-पाकिस्तान इकोनाॅमिक काॅरिडोर’ (सीपीइसी) भी शामिल है, जो पाकिस्तान के सभी प्रांतों और क्षेत्रों को लाभ पहुंचायेगा और पाकिस्तान को रीजनल हब के रूप में रूपांतरित कर देगा. यह एक बहुआयामी परियोजना है, जिसके जरिये चीन और पाकिस्तान भारत की सामरिक सुरक्षा के लिए चुनौती पैदा करेंगे. दूसरी ओर पाकिस्तान में अन्य घटनाओं के रूप में शाहीन 1-ए तथा शाहीन-3 के प्रक्षेपण को भी लिया जा सकता है.

सामान्य तौर पर तो इन्हें पाकिस्तान की आत्मरक्षा से जोड़ कर देखा जा सकता है, लेकिन जब ये खबरें आ रही हों कि वर्ष 2025 तक पाकिस्तान दुनिया की पांचवीं बड़ी परमाणु शक्ति बन जायेगा, तो यह भारत के लिए चिंताजनक स्थिति बनती दिखाई देती है.

3 मालदीव के साथ संबंधों में कटुता

हिंद महासागर में बसा मालदीव सामान्यतया एक बहुत ही छोटी सी आर्थिक ताकत है, लेकिन सामरिक दृष्टि से यह भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. इसका कारण यह है कि यहां चीन और पाकिस्तान लगातार ऐसी रणनीतियों पर काम कर रहे हैं, जो भारत के सामरिक हितों के विपरीत हैं.

हाल ही में मालदीव ने एक बड़ा निर्णय लिया है, जिसके तहत मालदीव में जमीन खरीदने व स्वामित्व धारण करने की अनुमति दी गयी है. ध्यान रहे कि मालदीव में पहले विदेशियों के भूमि खरीदने की मनाही थी, हालांकि उन्हें 99 वर्षों के लिए लीज पर जमीन दी जाती थी, परंतु नये संशोधन के तहत उन विदेशियों को जमीन खरीदने की अनुमति दी जायेगी, जो परियोजना स्थल के भीतर एक अरब डाॅलर से अधिक की राशि जमीन खरीदने में निवेश करे. खास बात यह है कि इसके तहत 70 प्रतिशत खरीद हिंद महासागर में होना है. राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सामरिक विशेषज्ञों के मुताबिक, मालदीव सरकार का उपर्युक्त कदम चीन को अपना सैन्य अड्डा स्थापित करने में मदद करेगा, जहां वह पहले से ही मारओ में सामरिक गतिविधियों के लिए सैन्य निर्माण कर रहा था.

एक बात और, हिंद महासागर में मालदीव महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय पूर्वी-पश्चिमी जहाज मार्ग पर स्थित है और चीन इस सामरिक जगह पर सैन्य अड्डा के जरिये अपना सैन्य प्रभाव बढ़ाना चाहता है. इस लिहाज से मालदीव सरकार का उपर्युक्त निर्णय भारत के लिए चिंता का विषय है. वैसे भी यह नहीं माना जा सकता है कि इस समय भारत के मालदीव के साथ अच्छे रिश्ते हैं.

4 बांग्लादेश को लेकर कुछ चिंता, कुछ राहत

बांग्लादेश सामान्य तौर पर ऐसे ट्रैक पर चल रहा है, जिसे भारत विरोधी नहीं माना जा सकता, लेकिन वहां घटनेवाली घटनाएं भारत के लिए थोड़ी चिंताजनक अवश्य हैं. इन सबमें एक है वह रिपोर्ट जो यह बताती है कि बांग्लादेश में आतंकी संगठन इसलामिक स्टेट का प्रभाव बढ़ रहा है.

उल्लेखनीय है कि सितंबर माह में बांग्लादेश में दो विदेशियों की हत्या और शियाओं के जुलूस पर बम हमले से देश में उथलपुथल का माहौल निर्मित हुआ था. बांग्लादेश में शिया लोगों को पहली बार निशाना बनाया गया, जबकि दो विदेशियों की हत्या की गयी थी. दुनिया भर में चरमपंथी गतिविधियों पर नजर रखनेवाली अमेरिकी संस्था ‘साइट’ ने इसके पीछे इस्लामिक स्टेट का हाथ बताया था. भले ही बांग्लादेश सरकार इससे इनकार कर रही हो, लेकिन इसे पूरी तरह से अस्वीकार नहीं किया जा सकता.

यदि ऐसा है, तो यह भारत के लिए खतरे की घंटी मानी जा सकती है. कारण यह है कि अलकायदा और इस्लामिक स्टेट यह ऐलान कर चुके हैं कि जेहाद का झंडा बुलंद करने के लिए, उन्होंने भारत में अपनी शाखा गठित कर दी है.

हालांकि, बांग्लादेश के साथ संबंधों में सकारात्मक पहलू भी है, और वह है भारत-बांग्लादेश भूमि सीमा समझौता (जून 2015). 31 जुलाई 2015 को संपन्न हुए इस समझौते से 162 एन्क्लेव की अदला-बदली को दिशा मिली, जिससे उन 40-45 हजार लोगों को किसी एक देश की नागरिकता मिल पाएगी, जो अभी तक न तो बांग्लादेश के थे और न ही भारत के.

भारत की संसद इसे पारित कर चुकी है, जिसके कारण अब भारत से 17,158 एकड़ की 111 बस्तियां बांग्लादेश को सौंपी जाएंगी और इसके बदले में 7,110 एकड़ की 51 बस्तियां भारत का हिस्सा बनेंगी. यह एक बड़ा कदम है और इससे भारत को सुरक्षा के लिहाज से काफी फायदा मिलेगा. कारण यह है कि अब दोनों देशों के 6.1 किमी की अचिह्नित सीमा तय हो सकेगी, जिससे बांग्लादेश से अवैध घुसपैठ और तस्करी को रोकने में सफलता मिलेगी, जो भारत की सुरक्षा और अर्थव्यवस्था, के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो रही है.

5 नेपाल की अशांति ने बढ़ायी भारत की चिंता

भारत और नेपाल के बीच गहन ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक संबंधों का एक लंबा इतिहास रहा है, जिसमें कई बार तनाव और सहजताएं निर्मित होती देखी गयीं, लेकिन नेपाल के नये संविधान को लेकर चले मधेसी आंदोलन के बाद से भारत के प्रति नेपाल के बदलते नजरिये ने चिंताजनक स्थिति का निर्माण किया है.

वर्ष 2015 में नेपाल में दो घटनाएं हुईं. पहली 25 अप्रैल, 2015 को भूकंप त्रासदी की. इस भूकंप बचाव के लिए अभियान चलानेवाला भारत विश्व का पहला देश बना और उसने भारतीय वायुसेना के विमानों ने आॅपरेशन मैत्री के तहत जो बचाव किया वह ठीक वैसा ही था, जैसा कि भारत अपने इंटीग्रल पार्ट्स में करता है. इससे भारत ने नेपाल को भावनात्मक रूप से मजबूत किया, लेकिन कुछ दिन बाद ही उसकी सोशल साइट्स पर इंडिया गो बैक, मधेसी संकट के दौरान बैक फ्राॅम इंडिया जैसी शब्दावलियां, भारत-नेपाल संबंधों के लिए शुभ नहीं मानी जा सकतीं. नेपाल में नये संविधान के बनने के बाद मधेसी आंदोलन आरंभ हुआ. यह आंदोलन 11 सूत्री मांगों को लेकर चला. इसे लेकर मधेसियों ने भारतीय सीमा पर नाकेबंदी कर दी, जिससे भारत से नेपाल को होनेवाली आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बाधित हुई और इन्हीं बाधाओं के साथ भारत-नेपाल रिश्तों में दरारों का दिखना आरंभ हो गया. इसी बीच नेपाल में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव हुए जिन पर माओवादियों ने कब्जा किया है. यह राजनीतिक परिवर्तन भारत के लिहाज से बहुत बेहतर नहीं माना जा सकता.

6 श्रीलंका के साथ रिश्तों में गरमाहट की उम्मीद

हाल ही में हुआ श्रीलंका में हुआ राजनीतिक परिवर्तन भारत के लिए राहत की सांस लेनेवाला अवश्य है. वहां राष्ट्रपति के रूप में महिंदा राजपक्षे का चुना जाना और उनकी भारत यात्रा के दौरान असैन्य परमाणु समझौते सहित कुछ अन्य समझौतों पर हस्ताक्षर होना भारत-श्रीलंका रिश्तों में नयी गरमाहट पैदा करते हैं, जिसे भविष्य की लिहाज से सकूनदेह माना जा सकता है. लेकिन ये परिवर्तन भारत को यह संदेश भी दे रहे हैं कि भारत को कूटनीति के मामलों पर गंभीर होमवर्क की जरूरत है, ताकि भविष्य के कूटनीतिक चुनौतियों से वह रणनीतिक ढंग से निपटने में कामयाब हो सके. फिलहाल भारत को ‘न्यू लव एंड हेट गेम’ को समझने और नयी रणनीतिक के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है. अब देखना है कि हमारा राजनय कितना कुछ नया सीख पाता है और भारत के हित में प्रयुक्त कर पाता है.

2015 में प्रधानमंत्री

की विदेश यात्राएं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब तक के कार्यकाल में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों सहित कुल 34 विदेशी दौरे कर चुके हैं. मोदी ने 2014 के मध्य में सत्ता संभालने के बाद अपने विदेश दौरे की शुरुआत हिमालय की गोद में बसे महत्वपूर्ण पड़ोसी देश भूटान से की थी. साल 2015 का अंत मोदी के रूस, अफगानिस्तान और पाकिस्तान दौरे से हुआ. नये साल में भी स्विट्जरलैंड, चीन, लाओस और पाकिस्तान जैसे देशों के महत्वपूर्ण दौरे होंगे. विदेशी दौरे में द्विपक्षीय संबंध, मेक-इन-इंडिया, स्किल डेवलपमेंट, मेडिकल रिसर्च और फूड सिक्यूरिटी जैसे अहम मुद्दे रहे. यहां जानते हैं प्रधानमंत्री के वर्ष 2015 में हुए विदेशी दौरों और उनसे हासिल उपलब्धियों के बारे में.

1 सिशेल्स

10-11 मार्च, 2015

हिंद-महासागर विस्तार कार्यक्रम के तहत प्रधानमंत्री ने सेशेल्स दौरे पर वहां के राष्ट्रपति एलेक्सिस माइकेलिन से मुलाकात की और समुद्री, द्विपक्षीय विकास व सहयोग के मुद्दे पर विस्तृत चर्चा की. भारत द्वारा निर्मित पहले कोस्टल सर्विलांस रडार सिस्टम (सीएसआरएस) का उद्घाटन किया. भारत ने कोस्टल सर्विलांस हेतु डोर्नियर एयरक्राफ्ट सौंपा.

भारत-सेशेल्स संबंध : दोनों देशों के बीच वर्ष 2010-11 के दौरान 40 मिलियन डॉलर का व्यापार हुआ. दोनों देशों के बीच पर्यटन, पेट्रोलियम, कम्युनिकेशन व आइटी, फार्मास्युटिकल्स सहित रक्षा और तकनीकी सहयोग पर सहमति है.

2 मॉरीशस

11-13 मार्च, 2015

मॉरीशस के स्वतंत्रता दिवस (12 मार्च) पर प्रधानमंत्री मोदी मुख्य अतिथि थे. इस दौरान नये रक्षा सहयोग समझौते की घोषणा के साथ प्रधानमंत्री ने भारत निर्मित मार्शियन नवल पेट्रोल शिप सौंपा. दोनों देशों के बीच ‘ब्लू इकोनॉमी’ सहित कुल पांच समझौते हुए.

भारत-मॉरीशस संबंध : भारतीय मूल की 68 आबादी के कारण मॉरीशस भारत का सबसे बड़ा ऐतिहासिक, राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक साझेदार है. पिछले दशक के दौरान भारत में सबसे अधिक एफडीआइ (55.2 बिलियन डॉलर) मॉरीशस से ही आया. 2007 से 2011 के बीच मॉरीशस के लिए सबसे बड़ा आयातक देश (816 मिलियन डॉलर) भारत ही रहा.

3 श्रीलंका

13-14 मार्च, 2015

प्रधानमंत्री ने अपने श्रीलंका दौरे पर नॉर्दर्न-प्रोविंस रेलवे लाइन का उद्घाटन किया. दौरे के समय श्रीलंका ने 86 भारतीय मछुआरों को छोड़ने की घोषणा की. पू‌र्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद श्रीलंका का दौरा करनेवाले पहले प्रधानमंत्री मोदी जाफना भी गये.

भारत-श्रीलंका संबंध : सार्क, साउथ एशिया को-ऑपरेटिव इन्वायरमेंट प्रोग्राम, साउथ एशियन इकोनॉमिक यूनियन और बिम्सटेक जैसे बहुपक्षीय संस्थाओं का सदस्य होने के नाते मजबूत आर्थिक और सामाजिक रिश्ते तो हैं ही, साथ ही दोनों की साझा विरासत भी है.

4 सिंगापुर

29 मार्च, 2015

अपने इस दौरे पर प्रधानमंत्री सिंगापुर के प्रथम प्रधानमंत्री ली कुआन यू के अंतिम संस्कार में शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने इस्राइल के राष्ट्रपति सहित दुनिया के तमाम बड़े नेताओं से मुलाकात की.

5 फ्रांस

9-12 अप्रैल, 2015

अप्रैल में हुए दौरे में 36 राफेल जेट सौदे को अंतिम रूप दिया. इसके अलावा जैतापुर न्यूक्लियर प्रोजेक्ट सहित कुल 17 समझौतों को अंतिम रूप दिया गया. फ्रांस ने भारत में दो बिलियन यूरो के निवेश की घोषणा की. इसके अलावा फ्रेंच डिफेंस, सिविल न्यूक्लियर पावर, फूड प्रोसेसिंग और मेक-इन-इंडिया जैसे मुद्दे अहम रहे.

6 जर्मनी

12-14 अप्रैल, 2015

मेक-इन-इंडिया को प्रमोट करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री ने दुनिया के सबसे बड़े औद्योगिक मेले ‘हनोवर मेसे’ में इंडिया पेवेलियन का उद्घाटन किया. पीएम ने इंडो-जर्मन बिजनेस सम्मिट को संबोधित किया. मोदी और जर्मन चांसलर एंगेला मर्केल ने भारत और यूरोपीय यूनियन के बीच मुक्त व्यापार समझौते की वकालत की. शहरी विकास और उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए दोनों देशों द्वारा संयुक्त वक्तव्य जारी किया गया.

7 कनाडा

14-16 अप्रैल, 2015

भारत-कनाडा के द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए चर्चा में एयरोस्पेस, रक्षा, शिक्षा, ऊर्जा, खनन, अक्षय ऊर्जा, इन्फ्रास्ट्रक्चर, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी सहित तमाम मुद्दे शामिल रहे. कनाडा के प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर के साथ मोदी ने अप्रवासी भारतीयों की एक जनसभा को संबोधित किया. प्रधानमंत्री ने कनाडा के पेंशन फंड के पदाधिकारियों से मिल कर निवेश का न्योता दिया. दौरे पर बाइलेटरल इन्वेस्टमेंट एंड प्रमोशन एंड प्रोटेक्शन एग्रीमेंट (बीआइपीपीए) और कांप्रिहेंसिव इकोनॉमिक को-ऑपरेशन एग्रीमेंट (सीइसीए) आदि पर विस्तृत चर्चा हुई. इस दौरे पर कनाडा ने भारत को लंबे समय तक यूरेनियम आपूर्ति करने पर स्वीकृति प्रदान की.

8 चीन

14-16 मई, 2015

दोनों देशों के मिलिट्री हेडक्वार्टर्स के बीच ‘हॉट लाइन’ स्थापित करने पर सहमति बनी. इसरो और चाइना स्पेस एजेंसी आपसी सहयोग करेंगे. कर्नाटक-सिचुआन, औरंगाबाद-दुहुआंग, चेन्नई-कांगकिंग, हैदराबाद-किंग्दाओ जैसे बड़े शहर सिस्टरहुड प्रोजेक्ट के तहत विकसित होंगे. दोनों देशों के बीच व्यापार घाटा पर चर्चा के साथ चाइनीज पर्यटकों को ई-वीजा देने और चेन्नई में नये चाइनीज कांसुलेट जनरल और चेंग्दू में इंडियन मिशन स्थापित करने पर समझौता हुआ. कुल मिला कर दोनों देशों के बीच विभिन्न स्तरों पर 22 बिलियन डॉलर के व्यापार पर सहमति बनी.

9 मंगोलिया

16-17 मई, 2015

मंगोलिया की यात्रा करनेवाले मोदी देश के पहले प्रधानमंत्री बने. मंगोलिया के ढांचागत विकास के लिए एक बिलियन डॉलर की मदद की घोषणा की. दोनों देशों के बीच सीमा सुरक्षा, पुलिसिंग एंड सर्विलांस, एयर सर्विसेज, साइबर सिक्यूरिटी और रिन्यूएबल एनर्जी सहित 13 समझौतों पर हस्ताक्षर हुए.

10 दक्षिण कोरिया

18-19 मई, 2015

प्रधानमंत्री के दक्षिण कोरिया दौरे पर ‘डबल टैक्सेशन एवाॅयडेंस एग्रीमेंट’ सहित सात समझौते हुए. इस दौरान प्रधानमंत्री ने सीइओ फोरम को भी संबोधित किया. मोदी ने ह्यूडई हैवी इंडस्ट्रीज शिपयार्ड का भी भ्रमण किया. इस्ट-एशिया पॉलिसी के तहत मोदी ने दोनों देशों के बीच ‘स्पेशल स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप’ के विकास पर जोर दिया.

11 बांग्लादेश

6-7 जून, 2015

प्रधानमंत्री का बांग्लादेश दौरा बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा सकता है. इस दौरे पर लैंड-बाउंड्री एग्रीमेंट (एलबीए) को अंतिम रूप देने के साथ कुल 22 समझौते हुए. प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय शहीद स्मारक पर जाकर 1972 के शहीदों को श्रद्धांजलि दी. दो बिलियन डॉलर के अनुदान की घोषणा के साथ कोलकाता-ढाका-अगरतला व ढाका-शिलांग-गुवाहाटी बस सेवा को मंजूरी दी. सीमा बल और तीस्ता नदी जल बंटवारे पर भी विस्तृत चर्चा की गयी.

12 उज्बेकिस्तान

6 जुलाई, 2015

प्रधानमंत्री ताशकंद में लाल बहादुर शास्त्री स्मारक गये. दोनों देशों के बीच धरातलीय मार्ग के जुड़ने और संपर्क को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया. आतंकवाद से संयुक्त रूप से और प्रभावी ढंग से निपटने के लिए दोनों देशों के बीच सहमति बनी. आपूर्ति के समझौते पर हस्ताक्षर किया गया. इस दौरे में मुख्य रूप से आर्थिक, क्षेत्रीय व सामरिक सहयोग जैसे मुद्दों पर बात हुई.

13 कजाखस्तान

7 जुलाई, 2015

एक दिनी दौरे में रक्षा सहयोग, यूरेनियम आपूर्ति सहित कुल पांच प्रमुख समझौते हुए. भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के उद्देश्य से एनसी‘कजाएटॉमप्रोम’जेएससी और न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआइएल) के बीच यूरेनियम की आपूर्ति हेतु कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर किया गया. मोदी और कजाक राष्ट्रपति नूर सुल्तान नजरवायेव ने आतंकवाद से लड़ने का संकल्प िलया.

14 रूस

8-10 जुलाई

ब्रिक्स देशों के सातवें सम्मेलन और शंघाई सहयोग संगठन के सम्मेलन में शामिल होने मोदी 8 जुलाई, 2015 को रूस पहुंचे. प्रधानमंत्री ने ब्रिक्स देशों के बीच मजबूत सहयोग स्थापित करने का आह्वान किया. भारत को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की सदस्यता प्रदान की गयी. मोदी ने इस दौरे पर पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से भी मुलाकात की. दोनों के बीच एनएसए स्तर की बातचीत पर सहमति बनी. इससे पहले मई में हुए दौरे पर कुडनकुलम के लिए दो अन्य न्यूक्लियर रिएक्टर और चार तलवार क्लास अतिरिक्त युद्धक पोतों पर सहमति बनी थी.

15 तुर्कमेनिस्तान

10-11 जुलाई

तापी गैस पाइपलाइन परियोजना को जल्द शुरू करने के उद्देश्य से 10 बिलियन डॉलर के निवेश पर सहमति बनी. रक्षा क्षेत्र में सहयोग और आतंकवाद से निपटने के लिए समझौते हुए. दोनों देशों ने आतंकवाद से िमलकर निपटने का संकल्प लिया.

16 किर्गिस्तान

12 जुलाई, 2015

किर्गिस्तान दौरे पर दोनों देशों के बीच नये सुरक्षा सहयोग के समझौते की घोषणा की गयी. दोनों देशों ने आतंकवाद से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए एक-दूसरे को सहयोग का भरोसा दिलाया. इस मौके पर किर्गिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की दावेदारी का समर्थन किया.

17 ताजिकिस्तान

12-13 जुलाई

ताजिकिस्तान दौरे पर दुशांबे में प्रसिद्ध कवि रवींद्रनाथ टैगोर की प्रतिमा का प्रधानमंत्री ने अनावरण किया. व्यापार, निवेश और संपर्क बढ़ाने संबंधित समझौतों पर हस्ताक्षर किया गया. भारत ने पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ताजिकिस्तान के बीच ट्रेड एंड ट्रांजिट एग्रीमेंट में चौथे पार्टनर के रूप में शामिल होने की इच्छा व्यक्त की. दोनों देशों ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ने का संकल्प लिया.

18 यूएइ

16-17 अगस्त

पिछले 34 वर्षों में संयुक्त अमीरात की यात्रा करनेवाले मोदी पहले प्रधानमंत्री बने. इस दौरान उन्होंने शेख जायेद मसजिद का दौरा किया. प्रधानमंत्री ने भारत में एक ट्रिलियन डॉलर के निवेश का आह्वान किया. दुबई क्रिकेट ग्राउंड पर मोदी ने अाप्रवासी भारतीयों की एक सभा को संबोधित करते हुए ई-माइग्रेट पोर्टल, भारतीय कर्मचारियों के लिए काउंसेलर कैंप ‘मदद’ की घोषणा की. दोनों देशों ने ऊर्जा व व्यापार को बढ़ावा देने और आतंकवाद से लड़ने का संकल्प लिया.

19 आयरलैंड

23 सितंबर, 2015

देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू के बाद मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने आयरलैंड का दौरा किया. अपने एक दिनी दौरे पर प्रधानमंत्री ने आयरलैंड से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की दावेदारी के लिए समर्थन मांगा. इसके अलावा पीएम ने भारतीय आइटी फर्मों को स्थापित करने के उद्देश्य से आयरलैंड की विजा पॉलिसी में छूट की मांग की. अपने आइरिस समकक्ष एंडा केनी से प्रधानमंत्री ने आतंकवाद और कट्टरता से जैसी वैश्विक चुनौतियों पर चर्चा की.

20 यूएन/ यूएस

24-30 सितंबर

दौरे के पहले चरण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया. डिजिटल इंडिया को प्रभावी बनाने के उद्देश्य से कई कंपनियों के सीइओ की पीएम ने सिलिकॉन वैली में बैठक की. इसके बाद मार्क जुकरबर्ग के साथ फेसबुक हेडक्वार्टर पहुंचे. सैन जोस में भारतीय समुदाय को संबोधित किया.

21 यूके

12-14 नवंबर

यूके दौरे पर प्रधानमंत्री ने ऊर्जा, रक्षा और विकास से संबंधित 18 बिलियन डॉलर के कई बड़े समझौतों पर हस्ताक्षर किये. उन्होंने क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय के साथ लंच किया. मोदी ने वेंबले स्टेडियम में करीब 50 हजार अाप्रवासियों भारतीयों को संबोधित किया. प्रधानमंत्री अपनी यात्रा के दौरान टाटा मोटर्स की जगुआर लैंड रोवर (जेएलआर) भी देखने सोलीहल भी गये. प्रधानमंत्री ने साइबर सिक्यूरिटी व चाइल्ड पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर मुद्दों से निपटने के लिए तकनीक हस्तांतरण पर चर्चा की और रक्षा व सुरक्षा के क्षेत्र में परस्पर सहयोग बढ़ाने के लिए संयुक्त वक्तव्य जारी किया.

22 तुर्की

15-16 नवंबर

जी-20 सम्मेलन में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री 15 नवंबर को तुर्की के एंतालिया शहर पहुुंचे. इस मौके पर प्रधानमंत्री ने आतंकवाद और धर्म के परस्पर संबंधों को तोड़ने का आह्वान किया. सम्मेलन में वैश्विक अर्थव्यवस्था, विकास, निवेश, व्यापार, ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन सहित तमाम मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई. यहां प्रधानमंत्री ने आॅस्ट्रेलिया, स्पेन, सऊदी अरब के सलमान अल साउद और तुर्की के प्रमुख नेताओं से वार्ता की.

23 मलयेशिया

21-22 नवंबर

प्रधानमंत्री आसियान व्यापार एवं निवेश सम्मेलन में शामिल होने के लिए 21 नवंबर, 2015 को मलयेशिया पहुंचे. कुआलालंपुर के नजदीक पेटेलिंग जाया नामक स्थान पर प्रधानमंत्री ने स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण किया. इस दौरान प्रधानमंत्री पूर्व एशिया सम्मेलन में भी शामिल हुए. इस दौरे पर रक्षा सहयोग और आयुर्वेद को बढ़ावा देने पर सहमति बनी.

24 सिंगापुर

23-25 नवंबर

सामरिक सहयोग के कई समझौतों पर हस्ताक्षर किये गये. भारत-सिंगापुर सहयोग के 50 साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री ली शीन लूंग ने संयुक्त रूप से स्मारक टिकट जारी किया.

प्रधानमंत्री ने 37वां सिंगापुर व्याख्यान दिया.

25 यूएन/ फ्रांस

30 नवंबर-1 दिसंबर

नरेंद्र मोदी नवंबर के अंत में फिर फ्रांस गये. पेरिस में जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में शामिल हुए. यहां ‘इंटरनेशनल सोलर एलायंस’ की घोषणा की.

26 रूस

23-24 दिसंबर

16वें भारत-रूस सम्मेलन में शामिल होने प्रधानमंत्री 23 दिसंबर को रूस गये. दोनों देशों के बीच 200 कमोव-226टी हेलीकॉप्टर के संयुक्त रूप से उत्पादन, रूसी एयर डिफेंस मिसाइल एस-400 की खरीद पर सहमति बनी. रक्षा क्षेत्र के अलावा आर्थिक व सामरिक संबंधों पर विस्तार से चर्चा की गयी.

27 अफगानिस्तान

25 दिसंबर, 2015

साल के आिखर में प्रधानमंत्री मोदी अफगानिस्तान पहुंचे. यहां उन्होंने 90 मिलियन अमेरिकी डॉलर से भारत द्वारा निर्मित अफगानी संसद का उद्घाटन किया. यहां प्रधानमंत्री ने अफगानिस्तान को 4 एमआइ-25 हेलीकॉप्टर देने की घोषणा की. अफगानिस्तान के एकदिनी दौरे के बाद प्रधानमंत्री कुछ घंटे के लिए पाकिस्तान भी गये.

प्रस्तुित À ब्रह्मानंद िमश्र

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