दक्षा वैदकर
एक ऑफिस में किसी नये कर्मचारी ने ज्वॉइन किया. यहां सभी कर्मचारी उतना ही काम करते, जितना उन्हें दिया जाता. वह नया कर्मचारी अपना काम खत्म करने के बाद सीनियर्स से और काम मांगता. वह बिल्कुल खाली नहीं बैठता. सर, मेरे लायक कोई और काम है क्या? सर, मैं कुछ मदद करूं आपकी?
कहते हुए वह ढेर सारे एक्स्ट्रा काम कर लिया करता. सीनियर्स उससे खुश थे, लेकिन उसके साथी कर्मचारी नाराज थे. वे उसे बार-बार कहते कि जब तुम्हारी पोस्ट कुछ ज्यादा बड़ी नहीं है, सैलरी भी तुम्हें सीमित मिलती है, तो फिर तुम क्यों बेवजह आगे बढ़-बढ़ कर सारे काम लेते रहते हो? उन्हें तुम्हारे टैलेंट की कद्र नहीं है, तभी तो तुम्हारी नियुक्ति इस छोटे काम पर हुई है.
तब वह कर्मचारी उन्हें कहता, ‘मैं मानता हूं कि आधिकारिक तौर पर मैं ये सब काम करने के लिए अधिकृत नहीं हूं, लेकिन इस तरह काम में सहयोग करने से मैं सीनियर्स को अपनी क्षमता का प्रदर्शन करके दिखाता हूं. मैं यह काम उनके लिए नहीं, बल्कि अपने लिए कर रहा हूं.’ आप लोगों को जान कर खुशी होगी कि जल्दी ही उस नये कर्मचारी को प्रोमोशन मिल गया.
दोस्तों, आमतौर पर हम भी अन्य कर्मचारियों की तरह ही सोचते हैं. हमें लगता है कि जितनी सैलरी मिल रही है, उतना काम करो. जितना कहा जाये, उतना ही काम करो. आगे बढ़-बढ़ कर काम लेने से फायदा नहीं.
उल्टा सामनेवाला क्रेडिट ले जायेगा. वह हमसे ज्यादा काम करवा कर अपना फायदा निकाल रहा है… आदि. हो सकता है कि यह सच भी हो. सामनेवाले आपसे काम करवा कर फायदा ले रहा हो, लेकिन यह भी सच है कि आप उस काम को करके अपना अनुभव बढ़ा रहे हैं. खुद को उस पोजीशन के लिए तैयार कर रहे हैं.
इसलिए आपको बस काम करना चाहिए और सीनियर्स के सामने यह साबित करने की कोशिश करनी चाहिए कि आप इस पद के लिए मजबूत दावेदार हैं, ताकि जब भी प्रोमोशन की बात आये, उनके दिमाग में आपका नाम सबसे पहले आये.
daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in
बात पते की..
– यदि आप सालों तक एक ही पोजीशन पर एक जैसा काम करना चाहते हैं, तो फिर उतना ही काम करें, जितना आपको कहा जाये.
– अपने से एक पोजीशन बड़े व्यक्ति का काम संभालना सीखें, ताकि प्रोमोशन की बात आये, तो आप पर नजर सबसे पहले पड़े.