पाक पिच पर ईरान-सऊदी का मैच चलता रहेगा..
वुसअतुल्लाह ख़ान पाकिस्तान से बीबीसी हिंदी के लिए अगला वर्ष पिछले वर्ष से बिल्कुल अलग होगा. ये 2015 है, वो 2016 होगा. सीरिया से दाइश यानी इस्लामिक स्टेट का बिस्तर गोल हो जाएगा, अगर ऐसा नहीं हुआ तो फिर बशर अल असद का बिस्तर गोल हो जाएगा, ऐसा भी नहीं हुआ तो किसी ना किसी […]
अगला वर्ष पिछले वर्ष से बिल्कुल अलग होगा. ये 2015 है, वो 2016 होगा.
सीरिया से दाइश यानी इस्लामिक स्टेट का बिस्तर गोल हो जाएगा, अगर ऐसा नहीं हुआ तो फिर बशर अल असद का बिस्तर गोल हो जाएगा, ऐसा भी नहीं हुआ तो किसी ना किसी का बिस्तर जरुर गोल होगा.
अफ़ग़ानिस्तान में ख़ून ख़राबा नए वर्ष में और बढ़ेगा. काबुल में पार्लियामेंट बिल्डिंग पर हमले का सख़्त ख़तरा है.
सऊदी अरब यमन के मामले में अच्छी तरह मामू बनने के बाद शांत हो जाएगा. सऊदी अरब और ईरान के बीच नए वर्ष में भी युद्ध नहीं छिड़ेगा. इससे अगले वर्ष भी नहीं और उससे अगले वर्ष भी नहीं.
जिस तरह से पाकिस्तानी टीम घरेलू मैच भी यूएई में खेलती है, उसी तरह से ईरान और सऊदी अरब का मैच भी पाकिस्तानी पिच पर चलता रहेगा.
नए साल के नवंबर में बराक ओबामा किसी वजह से अमरीका के राष्ट्रपति ना रहने का ऐलान करेंगे. मगर इसका मतलब ये नहीं कि डोनल्ड ट्रंप व्हाइट हाउस का जंगला फलांग जाएंगे.
2016 में भी बेनज़ीर भुट्टो की हत्या का मास्टरमाइंड नहीं पकड़ा जाएगा. आठवें वर्ष में पकड़ा भी गया तो बेनज़ीर को क्या फ़ायदा?
2016 में नवाज़ शरीफ़ क्वालालंपुर जाते हुए अचानक से दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर नहीं उतरेंगे, बल्कि पहले से बता कर उतरेंगे, अगर उन्हें जनरल राहील शरीफ़ को बताने का मौक़ा मिला तो.
मोदी जी नए वर्ष में फिर पाकिस्तान यात्रा पर जाएंगे, मगर अगली बार लाहौर की बजाए इस्लामाबाद एयरपोर्ट पर उतरेंगे, अगर हाफ़िज सईद वैगरह ने चाहा तो.
वर्ष 2016 के तेरहवें महीने में पाकिस्तान भारत को व्यापार के संदर्भ में मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा दे ही देगा.
नए वर्ष में भी बॉलीवुड पर तीन ख़ानों का कब्ज़ा रहेगा, भले ही कोई कितना ही जोर लगा ले. अलबत्ता बॉलीवुड 2016 में भी किसी के बाप से नहीं सुधरेगा.
साल के पहले छह महीने तक फ़िल्मी गीतों की इंडिस्ट्रयल प्रॉडक्शन करने वाले फास्ट फूडी मिजाज संगीतकारों पर हरियाणवी और पंजाबी धुनें छाई रहेंगी. साल के दूसरे अध्धे में भी यही होगा, शर्त लगा लें.
और ये भी शर्त लगा लें कि अरविंद केजरीवाल मोदी सरकार के लिए और इमरान ख़ान शरीफ़ सरकार का जख़्म बने रहेंगे.
और मेरी न्यू ईयर विश ये है कि बीबीसी हिंदी सर्विस के लिए इतने ही फिज़ूल बिना मतलब के ब्लॉग लिखता रहूं. परंतु हैप्पी न्यू ईयर.
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