जापान और दक्षिण कोरिया के बीच ‘कंफर्ट विमेन’ यानी यौन दासियों को लेकर ऐतिहासिक समझौता हुआ है.
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापान में बड़ी संख्या में दक्षिण कोरियाई महिलाओं को सैन्य वेश्यालयों में वेश्यावृत्ति के लिए मजबूर किया गया था.
इन्हें कंफर्ट विमेन या यौन दासी कहा जाता था.
जापान के प्रधानमंत्री शिंज़ो आबे ने इस समझौते का स्वागत करते हुए इसे दक्षिण कोरिया के साथ रिश्तों की नई शुरुआत बताया है.
जापान ने सैन्य वेश्यालयों में महिलाओं के साथ जबरन सेक्स के लिए माफ़ी मांगी है. साथ ही जापान पीड़ितों के लिए 90 लाख डॉलर का मुआवजा देने के लिए भी तैयार हो गया है.
दक्षिण कोरियाई विदेश मंत्री युन बायुंग-से ने सोल में बातचीत के बाद हुए इस समझौते को निर्णायक और अपरिवर्तनीय बताया है.
यह मुद्दा लंबे समय से दोनों देशों के रिश्तों में कड़वाहट की वजह बना था और दक्षिण कोरिया जापान से माफ़ी और पीड़ितों के लिए मुआवजे की मांग कर रहा था.
1965 के बाद इस मामले में दोनों देशों के बीच ये पहला समझौता है जो लगातार बातचीत के बाद संभव हो पाया है.
माना जाता है कि द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान 2 लाख़ महिलाओं को जापानी सैनिकों के लिए यौन दासियां बनाया गया था. इनमें से अधिकतर दक्षिण कोरिया की थीं.
इनमें से अब केवल 46 महिलाएं ही जीवित हैं और दक्षिण कोरिया में रहती हैं. कुछ महिलाएं चीन, फिलिपींस, इंडोनेशिया और ताइवान से भी लाईं गईं थीं.
इससे पहले 1993 में जापान के पूर्व कैबिनेट सचिव योहेई कोनो ने यौन दासियों को लेकर गलती स्वीकार की थी.
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