दरजी की सीख

बेटा, कैंची काटने का काम करती है और सूई जोड़ने का काम करती है. काटनेवाले की जगह हमेशा नीची होती है, परंतु जोड़नेवाले की जगह हमेशा ऊपर होती है. यही कारण है कि मैं सूई को टोपी पर लगाता हूं और कैंची को पैर के नीचे रखता हूं. एक दिन स्कूल में छुट्टी की घोषणा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 4, 2013 10:58 AM

बेटा, कैंची काटने का काम करती है और सूई जोड़ने का काम करती है. काटनेवाले की जगह हमेशा नीची होती है, परंतु जोड़नेवाले की जगह हमेशा ऊपर होती है. यही कारण है कि मैं सूई को टोपी पर लगाता हूं और कैंची को पैर के नीचे रखता हूं.

एक दिन स्कूल में छुट्टी की घोषणा होने के कारण, एक दरजी का बेटा, अपने पापा की दुकान पर चला गया. वहां जाकर वह बड़े ध्यान से अपने पापा को काम करते हुए देखने लगा. उसने देखा कि उसके पापा कैंची से कपड़े को काटते हैं और कैंची को पैर के पास टांग से दबा कर रख देते हैं. फिर सूई से उसको सीते हैं और सीने के बाद सूई को अपनी टोपी पर लगा लेते हैं.

जब उसने इसी क्रि या को चार-पांच बार देखा तो उससे रहा नहीं गया, तो उसने अपने पापा से कहा कि वह एक बात उनसे पूछना चाहता है? पापा ने कहा-बेटा बोलो क्या पूछना चाहते हो? बेटा बोला-पापा मैं बड़ी देर से आपको देख रहा हूं , आप जब भी कपड़ा काटते हैं, उसके बाद कैंची को पैर के नीचे दबा देते हैं, और सूई से कपड़ा सीने के बाद उसे टोपी पर लगा लेते हैं, ऐसा क्यों? इसका जो उत्तर पापा ने दिया- उन दो पंक्तियां में मानो उसने जिंदगी का सार समझा दिया. उत्तर था- बेटा, कैंची काटने का काम करती है, और सूई जोड़ने का काम करती है और काटनेवाले की जगह हमेशा नीची होती है, परंतु जोड़नेवाले की जगह हमेशा ऊपर होती है. यही कारण है कि मैं सूई को टोपी पर लगाता हूं और कैंची को पैर के नीचे रखता हूं.

Next Article

Exit mobile version