अच्छी बातें पढ़ें, तो अमल करना भी जरूरी
दक्षा वैदकर प्रभु यीशु एक बार झील किनारे उपदेश दे रहे थे. उपदेश के कुछ अंश इस तरह हैं, एक किसान बहुत सारे बीज लेकर खेत में बोने के लिए निकला. बीज कुछ रास्ते में गिर गये, तो कुछ पक्षियों ने चुग लिये. कुछ पथरीली जमीन पर गिरे, तो कुछ नम जमीन पर गिर कर […]
दक्षा वैदकर
प्रभु यीशु एक बार झील किनारे उपदेश दे रहे थे. उपदेश के कुछ अंश इस तरह हैं, एक किसान बहुत सारे बीज लेकर खेत में बोने के लिए निकला. बीज कुछ रास्ते में गिर गये, तो कुछ पक्षियों ने चुग लिये. कुछ पथरीली जमीन पर गिरे, तो कुछ नम जमीन पर गिर कर अंकुरित हो गये.
चट्टान होने के कारण कुछ बीजों की जड़ें ज्यादा परिपक्व नहीं हो पायीं. इसलिए वे जल्द ही सूख गये. शेष बीज उपजाऊ जमीन पर गिरे और उनकी बालियों में दाने भर आये. इतना कहने के बाद प्रभु यीशु शांत हो गये. फिर थोड़ी देर रुक कर वह बोले, प्रभु का उपदेश देनेवाला गुरु भी बीज बोनेवाले किसान की तरह है.
वह भक्त के दिल में परमात्मा का संदेश रूपी बीज बोता है, लेकिन कुछ भक्त पथरीली धरती की तरह होते हैं. उन्हें इन बातों पर विश्वास नहीं होता, क्योंकि उन्हें सांसारिक चिंताओं ने वशीभूत किया होता है. इसलिए ज्ञान रूपी बीज तुरंत नष्ट हो जाते हैं. शेष भक्तों का दिल बेहद उपजाऊ होता है. ऐसे भक्त संदेश को श्रद्धापूर्वक ग्रहण करते हैं. वे स्वयं इस आनंद की वर्षा में भींगते हैं और ओरों को भी भींगोते हैं. यह जीवन की सच्चाई है.
एक मित्र ने आज ही एक मैसेज किया, जिसका सार यह था कि ‘दुनिया में जितनी अच्छी बातें व संदेश हैं, वे दिये जा चुके हैं. अब नया कुछ कहने व देने को बाकी नहीं रहा है. अब जरूरत है, तो केवल उस पर अमल करने की.’ यह बात काफी हद तक सही है. ऐसे कई लोग हैं, जो अच्छी किताबें, अच्छे लेख पढ़ते हैं, अच्छे लोगों से मिलते हैं, अच्छी बातें सुनते हैं.
उन्हें पता होता है कि इन बातों को ग्रहण करना जरूरी है. इससे फायदा होगा, लेकिन इसके बावजूद वे इसे ग्रहण नहीं करते. कभी वे कहते हैं, ये बातें अच्छी हैं, लेकिन आज के समय में इनका मोल नहीं, तो कभी कहते हैं, अगर मैं इन बातों पर अमल करूंगा, तो बहुत नुकसान होगा. पीछे रह जाऊंगा. कुल मिला कर अच्छी बातों को न मानने के लिए उनके पास कई तरह के बहाने होते हैं. यही वजह है कि ज्ञान का बीज उनके अंदर पनप नहीं पाता.
daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in
बात पते की..
– अच्छी बातें सुनना, पढ़ना ही काफी नहीं है. इसे अपने जीवन में अमल करना भी बेहद जरूरी है. वरना आपका सुनना, पढ़ना बेकार हो जायेगा.
– जब भी कोई अच्छी सीख मिले, उसे तुरंत नोट कर लें. उसे खुद के व्यक्तित्व में, आदत में डालने की कोशिश करें, तभी जीवन सार्थक होगा.