ट्रंप ब्रिटेन आएँ या नहीं, बहस करेंगे सांसद
ब्रितानी सांसद इस बात पर बहस करेंगे कि अमरीकी राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी की दौड़ में शामिल अरबपति रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रंप के ब्रिटेन आने पर पाबंदी लगाई जाए या नहीं. डोनाल्ड ट्रंप ने मुसलमानों के अमरीका में प्रवेश को प्रतिबंधित करने की टिप्पणी की थी जिसके बाद से उसने ब्रिटेन में प्रतिबंध पर संसद में […]
ब्रितानी सांसद इस बात पर बहस करेंगे कि अमरीकी राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी की दौड़ में शामिल अरबपति रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रंप के ब्रिटेन आने पर पाबंदी लगाई जाए या नहीं.
डोनाल्ड ट्रंप ने मुसलमानों के अमरीका में प्रवेश को प्रतिबंधित करने की टिप्पणी की थी जिसके बाद से उसने ब्रिटेन में प्रतिबंध पर संसद में बहस की मांग की गई.
इस मांग को अभी तक 568000 लोगों का समर्थन मिला है.
18 जनवरी को वेस्टमिंस्टर हॉल में होने वाली इस बहस का नेतृत्व लेबर पार्टी के सांसद पॉल फ़्लिन करेंगे.
ब्रितानी प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने मुसलमानों के ख़िलाफ़ टिप्पणी पर डोनाल्ड ट्रंप की आलोचना की थी.
डोनाल्ड ट्रंप का ब्रिटेन में भी बड़ा व्यवसाय है. हालांकि कैमरन ने यह भी कहा था कि ट्रंप को ब्रिटेन आने से नहीं रोका जाएगा.
मंगलवार को ब्रितानी संसद के निचले सदन हाउस आफ़ कामंस की याचिका समिति ने इस मुद्दे पर बहस कराने का निर्णय लिया.
मौजूदा नियमों के तहत किसी भी याचिका को एक लाख लोगों से अधिक का समर्थन मिलने के बाद सांसदों को उस पर संसद में बहस कराने के मुद्दे पर विचार करना होता है.
इस बहस के बाद सांसदों की वोटिंग नहीं होगी.
समिति की अध्यक्ष लेबर पार्टी की सांसद हेलेन जोंस का कहना है कि बहस में सभी विचारों को शामिल किया जाएगा.
उन्होंने कहा, "इस याचिका पर बहस तय करके समिति यह राय नहीं दे रही है कि ब्रितानी संसद को डोनाल्ड ट्रंप के ब्रिटेन में आने पर पाबंदी लगानी चाहिए या नहीं."
"बहस के लिए किसी याचिका के लिए समय निर्धारित करने का मतलब सिर्फ़ ये होता है कि समिति ने ये फ़ैसला लिया है कि विषय पर चर्चा होनी चाहिए."
अमरीकी चुनावों के कुछ ओपिनियन पोल में डोनाल्ड ट्रंप रिपब्लिकन पार्टी की उम्मीदवारी हासिल करने की दौड़ में सबसे आगे बताए जा रहे हैं. हालांकि मुसलमानों को लेकर की गई टिप्पणी के कारण उन्हें आलोचना भी झेलनी पड़ रही है.
ब्रितानी गृह मंत्री थेरेसा मे ने इस मामले पर अभी टिप्पणी करने से इंकार कर दिया है. वे ही ब्रिटेन में दाखिल होने संबंधित प्रतिबंधों पर फैसला लेती हैं.
इस याचिका के विरोध में दायर की गई और प्रतिबंध को ग़ैरज़रूरी बताने वाली याचिका को अभी तक चालीस हज़ार लोगों का समर्थन मिला है. उस पर भी बहस की जाएगी.
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