वाशिंगटन : उत्तर कोरिया का विवादों से गहरा नाता रहा है. हाइड्रोजन बम का परीक्षण करके उसने दुनिया को चिंता में डाल दिया है. जानकारों की माने तो उत्तर कोरिया का टकराव होता तो दक्षिण कोरिया के साथ है लेकिन इसल में वह दक्षिण कोरिया के जरिए अमेरिका को भी उकसाता है और उसे दिशा-निर्देश देने वाला चीन ही है जो कि प्रशांत महासागर में एक छत्र राज करना चाहता है.
हाइड्रोजन बम का सफल परीक्षण करने के उत्तर कोरिया के दावे के बाद अमेरिका ने आज संकल्प लिया कि वह उत्तर कोरिया के उकसावे का माकूल जवाब देगा. इस बीच जापान ने उत्तर कोरिया के इस परीक्षण को बडी चुनौती और ‘गंभीर खतरा’ करार दिया. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने एक बयान में कहा, ‘‘ हम क्षेत्र में कोरियाई गणराज्य समेत अपने सहयोगियों की रक्षा करना जारी रखेंगे और उत्तर कोरिया के सभी उकसावों का उचित जवाब देंगे।’ अमेरिका ने साथ ही कहा कि वह उत्तर कोरिया के दावे की पुष्टि नहीं करता है.
इस बीच जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ मैं इसकी कडी निंदा करता हूं।’ उन्होंने कहा, ‘‘ उत्तर कोरिया का परमाणु परीक्षण हमारे देश के लिए एक गंभीर खतरा है और हम इसे कतई बर्दाश्त नहीं कर सकते।’ आबे ने कहा, ‘‘ यह स्पष्ट रुप से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्तावों का उल्लंघन है और यह परमाणु अप्रसार प्रयासों के लिए एक बडी चुनौती है.’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारा देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एक अस्थायी सदस्य के तौर पर अमेरिका, दक्षिण कोरिया, चीन और रुस के साथ समन्वित प्रयासों के जरिए कठोर कदम उठाएगा.’
किर्बी ने कहा, ‘‘ हालांकि हम इन दावों की फिलहाल पुष्टि नहीं कर सकते, हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्तावों के हर प्रकार के उल्लंघन की निंदा करते हैं और एक बार फिर उत्तर कोरिया से अपनी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं और दायित्वों का पालन करने की अपील करते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘‘ हमें एक ज्ञात कोरियाई परमाणु परीक्षण स्थल के आस पर कोरियाई प्रायद्वीप में भूकंप संबंधी गतिविधि की जानकारी है और हमने परमाणु परीक्षण संबंधी प्योंगयांग के दावों को देखा है.’ अमेरिका अपने क्षेत्रीय साझीदारों के निकट समन्वय से स्थिति का मूल्यांकन कर रहा है और उस पर नजर रख रहा है. किर्बी ने कहा, ‘‘ उत्तर कोरिया ने 2006 में पहला परमाणु परीक्षण किया था और उसने इसके बाद दो और परीक्षण किए लेकिन हम लगातार यह स्पष्ट करते रहे हैं कि हम उसे एक परमाणु देश के रुप में स्वीकार नहीं करेंगे.’