ढाका : बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ लड़ी गयी आजादी की लड़ाई में युद्ध अपराधों के दोषी और चरमपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी के शीर्ष नेता की मौत की सजा की पुष्टि कर दी और उसके साथ ही उनको सजा दिए जाने का रास्ता साफ हो गया. प्रधान न्यायाधीश एस. के. सिन्हा की अध्यक्षता वाली 4 सदस्यी पीठ ने जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख मतीउर रहमान निजामी की अपील खारिज कर दी. निजामी ने वर्ष 1971 के युद्ध के दौरान अपनी क्रूर अल बद्र मिलिशिया का इस्तेमाल करते हुए बांग्लादेश के बुद्धिजीवियों के जनसंहार की साजिश रची थी.
अभियोजन पक्ष के वरिष्ठ वकील जियाद अल मालूम ने कहा कि शीर्ष अदालत ने अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण द्वारा दी गयी मौत की सजा पर मुहर लगा दी है. इस फैसले का स्वागत करते हुए बड़ी संख्या में जुटे लोगों ने भारी सुरक्षा से लैस अदालत परिसर के बाहर रैली निकाली. अदालत ने 73 वर्षीय निजामी को तीन आरोपों में मिली मौत की सजा और दो आरोपों में मिली उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा है. बचाव पक्ष के वकील खुंदकर हुसैन ने निजामी की ज्यादा उम्र को देखते हुए उसकी मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील करने का अनुरोध किया. निजामी मानवता के खिलाफ अपराधों के शीर्ष साजिशकर्ताओं में से अंतिम जीवित व्यक्ति है. अपराध न्यायाधिकरण ने अक्टूबर 2014 में निजामी को मौत की सजा सुनाई थी. इस फैसले पर वहां के सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगाई है.