कोयला उद्योग के निजीकरण की हो रही साजिश

आसनसोल: इसीएल (आसनसोल-दुर्गापुर) ठीका श्रमिक अधिकार यूनियन की महासचिव सुदीप्ता पाल और संयुक्त सचिव शिप्रा चक्रवर्ती ने कहा कि केंद्र सरकार साजिश के तहत पब्लिक सेक्टर में सभी कार्य ठेका श्रमिकों के हाथ में सौंप कर स्थायी नौकरियों को समाप्त करना चाहती हैं ताकि इन कंपनियों का निजीकरण किया जा सके. डिसरगढ़ में पत्रकारों को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:38 PM

आसनसोल: इसीएल (आसनसोल-दुर्गापुर) ठीका श्रमिक अधिकार यूनियन की महासचिव सुदीप्ता पाल और संयुक्त सचिव शिप्रा चक्रवर्ती ने कहा कि केंद्र सरकार साजिश के तहत पब्लिक सेक्टर में सभी कार्य ठेका श्रमिकों के हाथ में सौंप कर स्थायी नौकरियों को समाप्त करना चाहती हैं ताकि इन कंपनियों का निजीकरण किया जा सके. डिसरगढ़ में पत्रकारों को संबोधित करती हुई उन्होंने कहा कि वे ठेका श्रमिकों की मांगों पर आगामी 20 मई को इसीएल मुख्यालय में होनेवाले धरना में शामिल नहीं होगी.

उन्होंने कहा कि सीआईएल के निदेशक बोर्ड ने हाई पावर कमेटी की अनुशंसा को मंजूरी दी. इसमें ठेका श्रमिकों के चार वर्ग बना कर उनके लिए अलग-अलग मजदूरी तय की गयी है. इस नये वेतनमान के अब तक लागू नहीं होने के कारण यूनियन ने कंपनी के विभिन्न क्षेत्रों में आंदोलन शुरू किया है. क्षेत्रीय स्तर के अधिकारियों में इस आदेश को लागू करने के मुद्दे पर दुविधा है और उन्होंने कंपनी मुख्यालय से स्पष्टीकरण मांगा है. इसके समर्थन में आगामी जून में कंपनी मुख्यालय पर प्रदर्शन किया जायेगा. उन्होंने कहा कि जिस तरह से इस अनुशंसा को लागू किया जा रहा है, वह ठेका श्रमिकों तथा श्रमिक वर्ग के खिलाफ जायेगा.

जिस सूची को इसमें शामिल किया गया है वह कार्य स्थायी प्रवृति का है. इससे स्थायी कार्यो में ठेका श्रमिकों के नियोजन से संबंधित कांट्रैक्ट लेबर (एबूलेशन एंड रेगुलेशन) एक्ट 1970 का विरोधी है. इससे ठेका श्रमिकों के स्थायीकरण की मांग पृष्ठभूमि में चली जायेगी. उन्होंने कहा कि केंद्रीय सरकार ने कोयला उद्योग के लिए न्यूनतम मजदूरी घोषित नहीं की है, अभी तक केटेगरी वन का वेतन ही न्यूनतम माना जाता है.

लेकिन इस समझौते में सीआइएल ने केटेगरी वन से कम वेतन को न्यूनतम वेतन मान घोषित किया है. उन्होंने कहा कि यह वेज स्ट्रर कोयला कंपनी और यूनियनों के प्रतिनिधियों से बनी हाई पावर कमेटी का निर्णय है. यह कोयला उद्योग के ठेका श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी नहीं हो सकती. उन्होंने कहा कि ठेका श्रमिकों को समान कार्य के लिए समान वेतन मिलना चाहिए. नया वेतनमान स्थायी श्रमिकों के वेतनमान से काफी कम है. हाई पावर कमेटी का यह निर्णय संविधान का उल्लंघन है. उन्होंने कहा कि इस निर्णय से स्थायी श्रमिक सरपल्स हो जायेंगे और इन्हें वीआरएस के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा. उन्होंने कहा कि यूनियन इसका विरोध करती है. केंद्र सरकार इस तरह की योजनाओं से निजीकरण को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है. इस तरह की योजनाओं से श्रमिकों का शोषण और भी बढ़ जायेगा.

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