दमिष्क : खूंखार आतंकी संगठन आइएसआइएस केकालीछाया के कारण सीरिया कीहालतबदतर हो गयी है. कुछअंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों कीरिपोर्ट में कहागया है किवहांभुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. हालात कुछ इस कदरबदतरहोगयेहैं कि लोग भूख की वजह सेपत्ते व घास के बाद मिट्टीतक खाने को मजबूर हो गयेहैं. अल जजीरा की रिपोर्ट के अनुसार, सीरिया के मडाया शहर के अबु अब्दुल रहमान को चार दिनों से कुछ खाने को नहीं मिला. इससे वह और उसके परिवार के सदस्य काफी कमजोर हो गये. यहां तक की रहमान चलने फिरने की स्थिति में भी नहीं है. संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार, सीरिया सरकार मडाया में मानवीय सहायता पहुंचाने को राजी हो गयी है.
वहां भुखमरी के कारण अबतक दो लोगों की मौत भी हो गयी है. कस्बे में अब बिल्ली कुत्ते भी दिखने कम हो गये हैं.अबतो पेड़ में पत्ते भी कम हो गये हैं, जो भूख मिटाने के साधन बने. ऐसे में लोगों ने अब मिट्टी खाना शुरू कर दिया है.लेबनानकीसीमासे 25किमीकी दूरी पर मडायाकस्बा है, जो पिछलेसाल की जुलाई से ही विद्रोहियों व सरकारीबलों के संघर्ष का केंद्रबनहुआ है.
300 बच्चे कुपोषण के शिकार हैं
ब्रिटिश बेस्ड मॉनिटरिंग ग्रुप के अनुसार, मडाया कस्बा में कम से कम 300 बच्चे कुपोषण से ग्रस्त हैं. जबकि स्थानीय कार्यकर्ताओं का कहना है कि वहां के 40 हजार लोग भोजन व दवा से वंचित हैं. अल जजीरा ने यूएन रिफ्यूजी एजेंसी की प्रवक्ता मेलिसा फ्लेमिंग के हवाले से लिखा है कि 15 नगरों के कम से चार लाख लोग संघर्ष सेइसतरहकी परेशानियों का सामना कर रहे हैं. एक डॉक्टर के हवाले से अल जजीरा ने लिखा है कि लोग घास भी खा रहे हैं.
छत नहीं, प्लास्टिक जला कर पा रहे गरमी
हालात इतने बदतर हो गये हैं कि दवा, खाना के साथ बहुत सारे लोगों के पास छत भी नहीं है. ऐसे में उन्हें जीवन यापन में दिक्कत होती है. लोग प्लास्टिक जला कर खुद को गर्म रखते हैं. अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन के एक प्रतिनिधि के हवाले से लिखा गया है कि बुधवार तक इस कस्बे की घेराबंदी के कारण कम से कम 23 लोगों को मौत हो गयी है, जिसमें बच्चें भी शामिल हैं. सीरिया में पिछले पांच साल के संघर्ष में अबतक ढाई लाख लोग मारे गये हैं. ऐसे में अब यहां शांतिप्रयास में लगे लोगों की नजर इस मुद्दे पर जेनेवा में होने वाली 25 जनवरी की बैठक पर है.
दवाई व खाने के समान खत्म
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, रेडक्रास ने कहा है कि वहां दवा व खाने की चीजें खत्म हो गयी हैं. इस इलाके की ज्यादा तसवीरें भी सामने नहीं आ पा रही हैं. वहां सहायता सामग्री पहुंचाने में इसलिए दिक्कत हो रही है, क्योंकि हिजबुल्ला ने घेराबंदी कर रखी है. दरअसल, हिजबुल्ला नहीं चाहता कि इस्लामिक स्टेट के लड़ाके लेबनान में दाखिल हों. वहां की सहायता एजेंसी इस जटिल परिस्थिति से परेशान हैं.