कोई पत्थर फेंके, तो बंद कर लें खिड़कियां

।। दक्षा वैदकर।। अगर दो लोगों के बीच संबंध खराब हैं और उनमें से एक भी यह ठान ले कि रिश्ता ठीक करना ही है, तो बात बन सकती है. यह काम चैलेंजिंग जरूर है, लेकिन असंभव नहीं है. हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा ही काटती है. अगर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 9, 2013 4:53 AM

।। दक्षा वैदकर।।

अगर दो लोगों के बीच संबंध खराब हैं और उनमें से एक भी यह ठान ले कि रिश्ता ठीक करना ही है, तो बात बन सकती है. यह काम चैलेंजिंग जरूर है, लेकिन असंभव नहीं है. हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा ही काटती है. अगर सामनेवाला आपके प्रति नकारात्मक विचार पैदा कर रहा है, तो आपको उसके प्रति सकारात्मक विचार बनाने होंगे, तभी यह दोनों एक दूसरे को काट पायेंगे और आप सामनेवाले व्यक्ति से होनेवाले नुकसान से बच सकेंगे. इसके विपरीत यदि आप भी उसके प्रति नकारात्मक विचार बनाने लगे, तो दोनों तरफ के नकारात्मक विचार मिल कर आप दोनों को बहुत नुकसान पहुंचायेंगे.

यदि आप सेलिब्रिटी है, आप किसी कंपनी में लीडर पद पर हैं, तो आपके प्रति सैकड़ों, हजारों लोग कुछ-न-कुछ विचार बनाते हैं. उदाहरण के लिए हम मान लें कि आपकी कंपनी में 100 लोग काम करते हैं. इनमें से 80 आपके बारे में बहुत अच्छा सोचते हैं और 20 लोग आपके बारे में बहुत बुरा सोचते हैं. अगर आप अपना ध्यान केवल 20 लोगों के ऊपर दें, दिनभर ये सोचें कि ये लोग मुङो पसंद क्यों नहीं करते? मैंने इनका क्या बिगाड़ा है? तो आप उन नकारात्मक लोगों की एनर्जी को और बढ़ाते हैं. आप उन 80 लोगों की सकारात्मक एनर्जी को ग्रहण ही नहीं कर पाते, जो आपके लिए फायदेमंद है. ध्यान दें, आप उन 20 लोगों के विचार भी सकारात्मक बना सकते हैं, बस आपको किसी भी स्थिति में उनके प्रति बुरा नहीं सोचना है. साथ ही आपको श्रेष्ठ कर्म करना है, लोगों की मदद करना है, उन्हें प्रेम देना है ताकि आपके प्रति सकारात्मक विचार बनानेवालों की संख्या लगातार बढ़ती जाये. कई बार हम नकारात्मक विचार पैदा करनेवाले लोगों की बातों पर ध्यान दे देते हैं और उससे हर्ट हो जाते हैं.

इससे बचने का एक ही तरीका है कि अपनी प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करें. सोचनेवाली बात है कि यदि कोई आपके घर पर पत्थर फेंक रहा है और आप खिड़की, दरवाजे खोल के देखेंगे कि कौन, क्या फेंक रहा है, तो आपको चोट लगेगी ही. बेहतर है कि दरवाजे, खिड़कियां बंद कर लें. बुरी बातों पर ध्यान ही न दें.

बात पते की..

यहां खिड़की बंद करने का मतलब है कि दूसरों के प्रति नकारात्मक विचार न लाना, उनसे नफरत न करना. केवल अपने काम पर फोकस करना.

जो लोग हमारे बारे में बुरा कर रहे हैं, सोच रहे हैं, उनके प्रति भी अपनत्व की भावना रखें. इसे ही कहते हैं अपने विचारों का ऊंचा उठाना.

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