सोच में केंद्रित है जीत का मनोविज्ञान
दक्षा वैदकर बात उस समय की है, जब जापान में दो राज्यों के बीच युद्ध चल रहा था. युद्ध अपने चरम पर था. आनेवाला कल युद्ध का आखिरी दिन था. ऐसे कठिन समय में जापान के एक राज्य के सेनापति ने अपनी सेना के समस्त सरदारों के साथ बैठक की. बैठक में पक्ष और विपक्ष […]
दक्षा वैदकर
बात उस समय की है, जब जापान में दो राज्यों के बीच युद्ध चल रहा था. युद्ध अपने चरम पर था. आनेवाला कल युद्ध का आखिरी दिन था. ऐसे कठिन समय में जापान के एक राज्य के सेनापति ने अपनी सेना के समस्त सरदारों के साथ बैठक की. बैठक में पक्ष और विपक्ष की शक्ति को लेकर चर्चा हुई.
शत्रु की सेना संख्या, हथियार और अपनी क्षमता सहित हर तरह से उन पर हावी थी. बैठक करनेवाले राज्य के सरदारों का आत्मविश्वास डगमगाने लगा, लेकिन सेनापति पीछे नहीं हटना चाहता था. तब उसने सैनिकों से कहा, निर्णय सुबह होगा. सुबह हुई, सेना चलते-चलते एक मंदिर के सामने रुकी.
सेनापति पूजा के लिए मंदिर में चला गया. थोड़ी देर बाद वह मंदिर से वापिस निकला और उसने सैनिकों से कहा, मेरे पास अभिमंत्रित किया हुआ सिक्का है. यह हमें बतायेगा कि युद्ध लड़ना है या पीछे हटना है. इसके बाद उसने सिक्के को आसमान में उछाला. सिक्का उछालने के पहले उसने कहा था कि अगर चित आता है, तो विजय होगी और पट आता है, तो पराजय.
सिक्का जमीन पर गिरा. लोगों में खुशी की लहर दौड़ गयी, क्योंकि सिक्का चित की तरफ से गिरा था. सैनिकों का आत्मविश्वास फिर से जाग गया. युद्ध के मैदान में जब दोनों सेनाएं आमने-सामने थी, तो आत्मविश्वास से भरी सेना ने जम कर युद्ध किया. हुआ यूं कि उन्होंने अपने से ज्यादा भारी सेना के लोगों को हरा दिया. युद्ध समाप्त हो चुका था. विजयी सेना के सरदार ने दूसरे सरदार से कहा, हमें तो जीतना ही था. यह सुन कर सेनापति ने सरदार को अपने पास बुलाया और वह अभिमंत्रित सिक्का दिखाया. उस सिक्के के दोनों तरफ चित बना हुआ था.
कहानी का सार है कि कठिन परिस्थितियों में जो अभिमंत्रित सिक्का हमें सफलता दिलाता है, वह हमारा आत्मविश्वास ही है. यदि विश्वास दृढ़ हो कि यह कार्य करना है, तो सैकड़ों बाधाओं को पार करके भी हम उसमें सफल हो जायेंगे. जीत का मनोविज्ञान आत्मविश्वास में निहित है, इसलिए कहा भी गया है कि ‘मन के हारे हार है मन के जीते जीत’.
daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in
बात पते की..
– जब भी कोई समस्या सामने आये या कोई कठिन काम आपको मिले, आप दिमाग में यह विचार न आने दें कि यह आपसे नहीं हो पायेगा.
– जब आप किसी काम को लेकर संशय में रहते हैं, तो आपका आत्मविश्वास डगमगाता है और बिना काम करे ही अपनी हार मान लेते हैं.