जर्मनी के कोलोन शहर में नए साल के जश्न के दौरान सैकड़ों महिलाओं के यौन शोषण का मामला सामने आया था.
इन मामलों की जांच कर रहे जर्मन अधिकारियों ने हाल ही में कहा है कि यौन शोषण के मामलों में एक ख़ास व्यवहार ‘तहर्रुश’ देखा गया.
(कोलोन- सैकड़ों महिलाओं का एकसाथ उत्पीड़न)
अब ये ‘तहर्रुश’ आख़िर है क्या? दरअसल यह अरबी भाषा का एक शब्द है. इसका शाब्दिक अर्थ ‘उत्तेजना’ या ‘उकसावा’ है, लेकिन असल में इसका अनुवाद ‘उत्पीड़न’ है.
इस शब्द का इस्तेमाल नाबालिग़ों और युवाओं के यौन शोषण के लिए भी किया जा सकता है. लेकिन आम तौर पर मिस्र के स्थानीय मीडिया और आम बोलचाल में इसका इस्तेमाल ‘यौन उत्पीड़न’ के संदर्भ में किया जाता है.
तहर्रुश मौखिक, व्यवहारिक या शारीरिक हो सकता है और व्यक्तिगत या सामूहिक भी.
ये व्यवहार मुख्यतः सार्वजनिक जगहों और लगभग हमेशा प्रदर्शनों या भीड़भाड़ में ही किया जाता है, जहां हमलावरों के पास आसानी से भीड़ में गुम हो जाने का मौक़ा होता है.
मिस्र में जनवरी 2011 में हुए अरब स्प्रिंग या प्रदर्शनों से पहले भी यौन शोषण होता था. लेकिन इसके बाद से इसमें स्पष्ट रूप से इज़ाफ़ा हुआ है.
ये व्यवहार पश्चिमी देशों के ध्यान में पहली बार 2011 में तब आया था जब तहरीर चौक पर जश्न की रिपोर्टिंग कर रही सीबीएस की पत्रकार लारा लोगान को पुरुषों के एक समूह ने निशाना बनाया था.
ये फिर से सुर्खियों में तब आया जब 2014 में अब्द अल फ़तह अल-सीसी के मिस्र का राष्ट्रपति बनने पर तहरीर चौक पर मनाए जा रहे जश्न का एक वीडियो वायरल हुआ.
इसमें तहरीर चौक पर पुरुषों का एक समूह एक महिला के कपड़े उतारते हुए और उस पर यौन हमला करते हुए दिख रहा था. इस वीडियो का असर ये हुआ था कि राष्ट्रपति अल-सीसी महिला से मिलने अस्पताल पहुँचे थे.
साल 2013 के एक शोध में संयुक्त राष्ट्र के क़ाहिरा स्थित महिला संगठन ने कहा था कि मिस्र में 99 फ़ीसद से अधिक महिलाओं का कहना है कि उन्होंने कभी न कभी किसी न किसी रूप में यौन हिंसा का सामना किया है.
लेकिन मिस्र में महिलाओं की परिषद की सदस्य सना अल-सईद का कहना है कि ये आंकड़ा बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है और दर्शाता है कि मिस्र में सड़क पर आने वाली हर महिला का यौन शोषण होता है. सना अल-सईद ने ये दावा भी किया था कि अब इस व्यवहार में कमी आ रही है.
सोशल मीडिया पर मिस्र में यौन हिंसा के मुद्दे पर जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से कई अभियान भी चल रहे हैं. मिस्र में यौन हिंसा पर चर्चा होती रही है. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इसके पीछे अश्लील फ़िल्मों की बढ़ती लोकप्रियता भी हो सकती है.
कुछ अन्य का कहना है कि इस्लाम को न मानना भी एक वजह है. जबकि कुछ का तर्क ये है कि इसके पीछे महिलाओं का अश्लील पहनावा है.
हाल के सालों तक मिस्र के आपराधिक दंड संहिता में यौन हिंसा की परिभाषा नहीं थी. लेकिन जून 2014 में क़ाहिरा यूनिवर्सिटी के प्रमुख ने यौन हिंसा की शिकार एक महिला की पोशाक़ पर सवाल उठाए थे.
इस पर गंभीर बहस हुई थी और तत्कालीन अंतरिम राष्ट्रपति अदली मंसूर ने यौन उत्पीड़न को अपराध और इसके लिए पाँच साल तक की सज़ा घोषित कर दी थी.
मिस्र के क़ानून के मुताबिक़ मौखिक, व्यवहारिक, फ़ोन या ऑनलाइन यौन उत्पीड़न के लिए छह महीने से लेकर पाँच साल तक की सज़ा और लगभग सवा चार लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है.
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