‘प्रधानमंत्री बयान देते तो सांत्वना मिलती’

हैदराबाद के दलित छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या के मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य संजय पासवान ने अपनी पार्टी के सदस्यों के रवैए पर असंतुष्टि जताई है. उन्होंने कहा कि इस मामले में संवेदनशीलता दिखाई जानी चाहिए थी और स्थानीय सांसद होने के नाते बंडारु दत्तात्रेय का सीधे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 21, 2016 12:11 PM
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हैदराबाद के दलित छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या के मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य संजय पासवान ने अपनी पार्टी के सदस्यों के रवैए पर असंतुष्टि जताई है.

उन्होंने कहा कि इस मामले में संवेदनशीलता दिखाई जानी चाहिए थी और स्थानीय सांसद होने के नाते बंडारु दत्तात्रेय का सीधे तौर पर उस छात्र को एंटी-नेशनल कहना सही नहीं था.

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हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी से पीएच.डी कर रहे दलित छात्र रोहित वेमुला ने 17 जनवरी की रात फांसी लगाकर ख़ुदकुशी कर ली थी. वह इस यूनिवर्सिटी के उन पांच छात्रों में थे, जिन्हें हॉस्टल से निकाल दिया गया था.

पासवान ने कहा कि यह केंद्रीय विश्वविद्यालय का मामला था ऐसे में मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी को इस मसले पर पहले प्रतिक्रिया देनी चाहिए थी, जबकि उन्होंने बुधवार को प्रतिक्रिया दी.

उन्होंने कहा, "मानव संसाधन मंत्री के कार्यालय से इस बात के लिए बार-बार रिमाइंडर जाना सही नहीं था इसलिए मुझे लगा कि मुझे इस बात को रखना चाहिए."

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बुधवार को स्मृति ईरानी ने कहा कि इस मामले को जातिवादी रंग नहीं देना चाहिए और मंत्रालय ने जो किया वह एक प्रक्रिया के तहत ही किया, इस पर सहमति के सवाल पर पासवान ने कहा, "स्मृति ईरानी ने दूर से हस्तक्षेप किया और उन्होंने कहा कि यह मामला दलित-ग़ैर दलित का नहीं है. मैं इसे कोई गंभीर हस्तक्षेप नहीं मानूंगा बल्कि एक रस्मी हस्तक्षेप है."

पासवान का कहना है कि वहां के वाइस चांसलर को तुरंत निलंबित किया जाना चाहिए था जिससे एक संदेश मिलता.

पार्टी के क़दमों पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा, "लोग अगर अलग होंगे तो हमारी पार्टी कमज़ोर होगी, दलित समाज को अलग-थलग करना सही नहीं है. इसी वजह से मैं लोगों के बयान से संतुष्ट नहीं हूं."

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देश में एक तबक़ा इस मामले को असहिष्णुता से जोड़कर देख रहा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या पार्टी अध्यक्ष की तरफ़ से कोई बयान नहीं आया, ऐसे में पार्टी का रुख़ क्या है?

इस सवाल पर पासवान कहते हैं, "मैंने कहा है कि प्रधानमंत्री को इस मामले में एक बयान देना चाहिए था जिससे एक बड़ा संदेश जाता, लेकिन उन्होंने कोई बयान नहीं दिया."

वह कहते हैं, "प्रधानमंत्री के बयान से उस छात्र के परिवार को और उस समुदाय को थोड़ी सांत्वना मिलती. पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को भी बयान देना चाहिए था जिससे समाज में अच्छा संदेश जाता."

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