अमेरिका का अनूठा टूरिस्ट स्पॉट डेथ वैली

डेथ वैली उत्तरी अमेरिका का सबसे गरम और सूखा स्थान है. यह घाटी पश्चिम की ओर पनामिंट पर्वतमाला और पूर्व की ओर अमरगोसा पर्वत शृंखला से घिरी हुई है. दोस्तों, आज आपको डेथ वैली की जानकारी देते हैं. डेथ वैली उत्तरी अमेरिका का एक बहुत ही विचित्र स्थान है. यह कैलिफोर्निया के दक्षिण-पूर्व में नेवडा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 14, 2013 11:23 AM

डेथ वैली उत्तरी अमेरिका का सबसे गरम और सूखा स्थान है. यह घाटी पश्चिम की ओर पनामिंट पर्वतमाला और पूर्व की ओर अमरगोसा पर्वत शृंखला से घिरी हुई है.

दोस्तों, आज आपको डेथ वैली की जानकारी देते हैं. डेथ वैली उत्तरी अमेरिका का एक बहुत ही विचित्र स्थान है. यह कैलिफोर्निया के दक्षिण-पूर्व में नेवडा की सीमा के पास है. इसकी लंबाई 225 किलोमीटर है. अलग-अलग स्थानों पर इसकी चौड़ाई अलग-अलग है और यह 8 से 24 किमी. के बीच में है.

डेथ वैली उत्तरी अमेरिका का सबसे गर्म और सूखा स्थान है. यह घाटी पश्चिम की ओर पनामिंट पर्वतमाला और पूर्व की ओर अमरगोसा पर्वत शृंखला से घिरी है. इस घाटी का तकरीबन 550 वर्ग मील (1425 वर्ग किलोमीटर) इलाका समुद्र तल से नीचा है और वैडवॉटर बेसिन के निकट स्थित इसका सबसे निचला स्थान समुद्र तल से 86 मीटर (282 फुट) नीचे है. इस वैली का तापमान 49 सेंटीग्रेड तक पहुंच जाता है. यहां वर्षा केवल 5 सेमी. के लगभग होती है. घाटी में पानी का निशान तक नहीं है. यदि कहीं-कहीं पानी है भी, तो बहुत ही खारा. कहा यह भी जाता है कि इस इलाके में सोने के भंडार हैं. 1850 के दशक में यहां से भारी मात्र में सोने और चांदी को प्राप्त किया गया था. कैलिफोर्निया के आसपास के क्षेत्रों में सोने के भंडारों का पता लगाने के लिए जानेवाले बहुत से लोग इस घाटी को पार करते समय मर गये. इनमें से मैक्लियाड ब्रदर्स भी थे, जो 1908 में यहां सोने की तलाश में आये, लेकिन वापस न जा सके. ऐसी भयानक परिस्थितियों के कारण ही इस घाटी का नाम ‘डेथ वैली’ पड़ गया. डेथ वैली मूल निवासी अमेरिका के तिम्बिशा नामक जनजाति का घर है, जो करीब हजार वर्षो से यहां रहते आ रहे थे.

बन गया नेशनल पार्क
11 फरवरी, 1933 को अमेरिकी राष्ट्रपति हूवर ने इस वैली को अमेरिका का राष्ट्रीय स्मारक घोषित कर दिया था. वर्ष 1994 में इसे नये सिरे से विकसित कर ‘डेथ वैली’ को नेशनल पार्क की पहचान दे दी गयी. इसकी विचित्रता को देखने के लिए हर वर्ष यहां चार-पांच लाख लोग जाते हैं. हालांकि यह सारी घाटी ही रेगिस्तान है, लेकिन फिर भी यहां खरगोश, गिलहरी, जहरीले सांप, गिरगिट, कंगारू, चूहे आदि बहुत से जानवर मिलते हैं. 1890 में किये गये एक सर्वेक्षण में बताया गया था कि इसमें 78 प्रकार के पक्षी भी हैं.

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