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वर्ष 2013 के ग्लोबल थिंकर

-कन्हैया झा, नयी दिल्ली- दुनियाभर में प्रतिष्ठित मानी जानेवाली पत्रिका ‘फॉरेन पॉलिसी’ ने वर्ष 2013 के 100 टॉप ग्लोबल थिंकर्स की सूची जारी की है. आज के नॉलेज में इन्हीं शीर्षदस व्यक्तित्वों समेत भारत से जुड़े लोगों की उन उपलब्धियों के बारे में बताने की कोशिश की गयी है, जिसके लिए उन्हें इस सूची में […]

-कन्हैया झा, नयी दिल्ली-

दुनियाभर में प्रतिष्ठित मानी जानेवाली पत्रिका ‘फॉरेन पॉलिसी’ ने वर्ष 2013 के 100 टॉप ग्लोबल थिंकर्स की सूची जारी की है. आज के नॉलेज में इन्हीं शीर्षदस व्यक्तित्वों समेत भारत से जुड़े लोगों की उन उपलब्धियों के बारे में बताने की कोशिश की गयी है, जिसके लिए उन्हें इस सूची में स्थान दिया गया है..

मौजूदा दिल्ली विधान सभा चुनावों में एक नयी सोच वाले व्यक्ति ने तमाम आकलनों को पीछे छोड़ते हुए राजनीति को एक नयी दिशा दी है. आम आदमी पार्टी (आप) की स्थापना करनेवाले और इस पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को प्रतिष्ठित अमेरिकी मैगजीन ‘फॉरेन पॉलिसी’ ने वर्ष 2013 के 100 टॉप ग्लोबल थिंकर्स की सूची में (32वां स्थान) शामिल किया है. इस सूची में उन लोगों को शामिल किया गया है, जिन्होंने दुनिया में ‘महत्वपूर्ण परिवर्तन’ लाने में योगदान दिया और नामुमकिन की सीमा को पीछे छोड़ दिया. पत्रिका की इस सूची में उर्वशी बुटालिया और कविता कृष्णन जैसी ऐक्टिविस्ट्स को भी शामिल किया गया है. इस सूची में इन दोनों ही को 77वें स्थान पर रखा गया है. इसमें पहला स्थान अमेरिकी खुफिया सूचनाओं का खुलासा करनेवाले एडवर्ड स्नोडन को मिला है. इस सूची में मलाला यूसुफजई को भी शामिल किया गया है. अफगानिस्तान से सटे पाकिस्तानी इलाके खैबर पख्तूनख्वा में लड़कियों में शिक्षा की अलख जगानेवाली महिलाओं गुलालाइ और सबा इस्माइल को भी इस सूची में शामिल किया गया है. महज 15-16 वर्ष की उम्र में इन दोनों बहनों ने युवतियों के सशक्तिकरण के लिए ‘अवेयर गल्र्स’ की स्थापना की थी. शुरू में इन्होंने लड़कियों को उनके अधिकारों और उन्हें हासिल करने के लिए पर्याप्त रणनीति बनाने की जानकारी दी. आज इस समूह का दायरा पूरे बलूचिस्तान प्रांत और अफगानिस्तान में फैल चुका है. इन इलाकों में इस तरह की गतिविधियों को अंजाम देना बेहद चुनौतीपूर्ण माना जाता है.

ग्लोबर थिंकर्स की सूची में शामिल टॉप टेन हस्तियां

एडवर्ड स्नोडेन

वर्ष 2013 के दौरान दुनिया में सबसे बड़ी खुफिया जानकारियों का खुलासा करने वाले व्यक्ति को 100 टॉप ग्लोबल थिंकर्स की सूची में पहला स्थान दिया गया है. आज पूरी दुनिया में इस नाम को शायद सभी लोग जानते होंगे. मीडिया के माध्यम से एडवर्ड स्नोडेन ने जब अमेरिकी नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी की खुफिया जानकारियों और उसके कार्यक्रमों के बारे में बताना शुरू किया, तो उन्हें इन जानकारियों को ‘लीक’ करनेवाला बताया गया. धीरे-धीरे, स्नोडेन के इन खुलासों के बाद पूरी दुनिया में खुफिया निगरानी से जुड़े मुद्दे चरचा का विषय बन गये. स्नोडेन को देशभक्त, व्हिसिलब्लोअर, हीरो, विद्रोही, शत्रु आदि नामों से जाना जाने लगा. हांगकांग में उन्होंने पहली बार इसी वर्ष अमेरिकी खुफिया जानकारियों को लीक किया. इसके बाद वे रूस पहुंचे और अस्थायी रूप से वहीं रह रहे हैं.

कीथ एलेग्जेंडर

अमेरिका की नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी के डायरेक्टर कीथ एलेग्जेंडर अमेरिकी साइबर कमांड के कमांडर भी हैं. कीथ को अपने मित्रों के बीच ‘एलेग्जेंडर द ग्रीक’ के नाम से भी जाना जाता है. लेकिन इस चार-सितारों वाले ‘जनरल’ में वास्तव में ऐसा कुछ दिखता नहीं है. कीथ एजेग्जेंडर स्वीपिंग सर्विलांस इंफ्रास्ट्रक्चर के आर्किटेक्ट हैं, जो अमेरिका में इंटरनेट ट्रैफिक की निगरानी करती है और अमेरिका में फोन, इमेल और टेक्स्ट मैसेज के रिकॉर्ड रखती है. साथ ही, यह निगरानी इस देश तक ही सीमित नहीं, बल्कि दुनिया के अन्य कई देशों तक फैली हुई है. इस वर्ष एलेग्जेंडर उस समय सुर्खियों में आये, जब यह खुलासा हुआ कि नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी ने अपने आंकड़ों को दुनिया की बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों से जुटाया है. मेरीलैंड में साढ़े तीन सौ एकड़ में फैले इस संगठन के मुख्यालय में तकरीबन दस हजार कर्मचारी काम करते हैं.

ग्लेन ग्रीनवाल्ड/ ल्यौरा पोइट्रेस

ग्लेन ग्रीनवाल्ड और ल्यौरा पोइट्रेस ब्राजील और जर्मनी के पत्रकार हैं, जिन्होंने एडवर्ड स्नोडेन द्वारा अमेरिकी नेशनल सिक्योरिटी की जानकारियों को सार्वजनिक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. पोइट्रेस ऐसी पहली पत्रकार है, जिनसे स्नोडेन ने सबसे पहले इमेल के माध्यम से संपर्क किया था और संबंधित जानकारी मुहैया करायी थी. इसके बाद से ही ग्लेन ग्रीनवाल्ड और ल्यौरा पोइट्रेस ने स्नोडेन की ओर से हासिल जानकारियों को मीडिया के माध्यम से लीक करना शुरू किया था. इसके बाद से ही पूरी दुनिया में यह मुद्दा चरचा का विषय बन गया. इन दोनों ही का यह मानना है कि एनएसए की निगरानी कार्यो के संबंध में अभी बहुत सी कहानियों का सार्वजनिक होना शेष है.

डिलमा रॉसेफ

डिलमा रॉसेफ ब्राजील की राष्ट्रपति हैं, जिन्होंने स्नोडेन द्वारा लीक की गयी एनएसए की जानकारियों को सार्वजनिक करने में वाशिंगटन और उनके जासूसों से निबटने में महती भूमिका निभायी. रॉसेफ ने मुखर होकर अमेरिका की आलोचना करते हुए संयुक्त राष्ट्र में भी इस मुद्दे को उठाया और वाशिंगटन में आयोजित राजकीय भोज में हिस्सादारी नहीं निभायी. संयुक्त राष्ट्र में आवाज उठाते हुए उन्होंने कहा कि यदि ऐसा ही रहा, तो किसी देश के नागरिकों की सुरक्षा के अधिकार की गारंटी नहीं दी जा सकती. किसी भी दूसरे देश को अन्य देश के नागरिकों के मूलभूत मानवाधिकारों को हनन करने का अधिकार नहीं है.

रॉन वेडेन अमेरिकी सीनेटर हैं. इन्होंने एनएसए की सूचना लीक होने के बाद कहा था कि किसी कानून को गुप्त नहीं रखा जाना चाहिए. इस अमेरिकी सीनेटर ने अमेरिकी नेशनल इंटेलीजेंस के डायरेक्टर जेम्स क्लेपर से यह पूछा था कि क्या एनएसए ने करोड़ों अमेरिकियों से जुड़े किसी प्रकार के आंकड़ों को संग्रह करने का काम किया है? क्लेपर ने कहा था कि उनके हाथ बंधे हुए हैं और वे इस मामले पर कुछ भी बताने में असमर्थ हैं. वेडेन चाहते हैं कि एनएसए को अमेरिकियों के आंकड़े जुटाने का काम बंद करना चाहिए और आतंकवाद के संबंध में सरकारी कानूनों की सार्वजनिक समीक्षा की जानी चाहिए. देशभक्ति कानून और मौजूदा निगरानी कार्यक्रमों के खुलासे के लिए उन्होंने इंटेलीजेंस अधिकारियों समेत राष्ट्रपति बराक ओबामा पर भी दबाव बनाया. इंटेलीजेंस समुदाय को कांग्रेस के प्रति ज्यादा जवाबदेह बनाने की भी इन्होंने कवायद की.

जेसलीन रेडेक

जेसलीन रेडेक वाशिंगटन में सरकारी जवाबदेही परियोजना, नेशनल सिक्योरिटी एंड ह्यूमेन राइट्स की डायरेक्टर हैं. अमेरिका में इन्हें सरकारी व्हिसलब्लोअरों की रक्षक के रूप में जाना जाता है. सरकारी जवाबदेही परियोजना के साथ काम करते हुए मौजूदा समय में रेडेक उन सरकारी कर्मचारियों की पब्लिक एडवोकेट हैं, जिन्होंने इंटेलीजेंस और आतंकवाद निरोधी कार्यक्रमों से संबंधित सूचना पत्रकारों को मुहैया करायी है. इनकी सबसे प्रख्यात क्लाइंट एनएसए के एक पूर्व अधिकारी हैं थॉमस ड्रेक. ड्रेक ने एक अखबार को एजेंसी की नाकाम कंप्यूटर सिस्टम के बारे में जानकारी दी थी और इसमें टैक्स भुगतान करनेवालों के लाखों डॉलर लगने की बात कही थी. रेडेक ने अनेक कार्यक्रमों के दौरान इस तरह के लोगों की सुरक्षा की कवायद की है. इसी वर्ष अक्तूबर में इन्होंने रूस यात्र के दौरान स्नोडेन से भी मुलाकात की थी.

मोक्स मारलिनस्पाइक

मोक्स मारलिनस्पाइक सैन फ्रांसिस्को आधारित व्हिस्पर सिस्टम्स की सह-संस्थापक हैं. गुगल की सेवाओं को एंड्रॉयड एप्प के माध्यम से आम आदमी तक पहुंचाने में इनकी अहम भूमिका रही है. ऐसा माना जाता है कि जनवरी, 2011 में मिस्र की गलियों में जो आंदोलन हुआ था, उसमें इनके द्वारा इजाद की गयी संचार तकनीकों (रेड फोन और टेक्स्ट सिक्योर) का व्यापक योगदान रहा है. इन्होंने आइफोन के लिए नये संस्करण का विकास किया. गुगल को आसान बनाते हुए ज्यादा से ज्यादा लोगों तक इसकी समझ पैदा करने में मोक्स मारलिनस्पाइक की बड़ी भूमिका रही है.

केविन मेंडिया

केविन अमेरिका में मेंडिएंट नामक कंपनी के संस्थापक और चीफ एग्जीक्यूटिव हैं. मेंडिएंट अमेरिका का एक साइबरसुरक्षा फर्म है. 2010 में कई अमेरिकी कंपनियों में साइबर हमले की खबरें सामने आयी थीं. फरवरी, 2013 में मेंडिएंट के फर्म ने खुलासा किया कि अमेरिकी कंपनियों पर किये जा रहे साइबर हमले चीन से किये जा रहे हैं. उन्होंने खुलासा किया कि तकरीबन 90 फीसदी साइबर हमले चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी के मुख्यालय से किये गये हैं. हालांकि, चीन ने इन आरोपों से इनकार किया है, लेकिन इस फर्म की विश्वसनीयता को देखते हुए विशेषज्ञों ने इस आरोप को सही ठहराया है.

दमित्रि अलप्रोविच

दमित्रि अलप्रोविच कंप्यूटर सुरक्षा उद्योग से जुड़े हुए हैं और क्राउडस्ट्राइक कंपनी के सह-संस्थापक हैं. वर्ष 2010 में चीन के हैकरों ने अमेरिकी कंपनियों में सेंध लगाते हुए अरबों डॉलर की रकम के बराबर व्यापारिक सिक्रेट्स की चोरी की थी. अलप्रोविच को इसमें एक कारोबारी अवसर दिखायी दिया. अलप्रोविच ने फैसला लिया कि वे माहिर हैकरों की विशेषज्ञता का अपनी रणनीति के मुताबिक इस्तेमाल करेंगे, ताकि इस तरह की चोरी या हमले कहां से हो रहे हैं, उनका पता लगाया जा सके. क्लाइंट्स को ‘सक्रिय सुरक्षा’ मुहैया कराने के लिए उन्होंने क्राउडस्ट्राइक नामक कंपनी की स्थापना की. हालांकि, यह पेशकश विवाद का विषय जरूर बन गयी, लेकिन अधिकतर साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों ने कहा कि एक निजी बिजनेस के तौर पर यह खतरनाक विचार है. इससे हैकरों को बढ़ावा मिलने की आशंका हो सकती है.

जॉन कैरी

जॉन कैरी एक अमेरिकी राजनेता हैं, जो 68वें और वर्तमान ‘यूनाइटेड स्टेट्स सेक्रेटरी ऑफ स्टेट’ हैं. बतौर यूनाइटेड स्टेट्स सीनेट वे अपनी सेवाएं दे रहे हैं और ‘सीनेट फॉरेन रिलेशंस कमिटी’ के अध्यक्ष हैं. दुनिया में सबसे ज्यादा संघर्षरत देशों, इसराइल और फिलिस्तीन में शांति की पेशकश करने में इन्होंने अहम भूमिका निभायी है. साथ ही, सीरिया में अमेरिकी सैन्य हस्तक्षेप के बीच इन्होंने राजनीतिक वार्ताओं से समाधान के विकल्प को आगे बढ़ाया और कामयाबी हासिल की. इसके अलावा, उत्तर कोरिया से पैदा वैश्विक चुनौती से निबटने में चीन के साथ चतुराई से मामला सुलझाया और ईरान से उच्च-स्तरीय परमाणु वार्ता को सफल बनाया. अमेरिकी रणनीति से इतर इन्होंने पाकिस्तान में अमेरिकी ड्रोन हमलों को खत्म करने की भी बात कही है.
(स्रोत: फॉरेन पॉलिसी डॉट कॉम)

भारत से जुड़े शख्स

अरविंद केजरीवाल

केजरीवाल को इस सूची में 32वां स्थान दिया गया है. उन्हें ‘ग्लोबल थिंकर’ माना गया है, क्योंकि उन्होंने भारत की राजधानी में भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए एक अभियान की अगुआई की है और वे देश के ‘विशिष्ट तबके’ में एक चिंता का कारण बन चुके हैं. इस पत्रिका का कहना है कि केजरीवाल एक क्रांति को हवा दे रहे हैं. वह नयी दिल्ली को भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलाने के लिए एक प्रभावशाली अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं और जनता की जरूरतों की तरफ सरकार का ध्यान खींच रहे हैं. बतौर आम आदमी पार्टी के संस्थापक नेता केजरीवाल भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन की चाहत रखनेवालों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं. व्यापक जनांदोलन के दौरान जनता के अधिकारों के लिए ये आमरण अनशन भी कर चुके हैं. कई बड़े राजनेताओं की भ्रष्ट करतूतों का इन्होंने परदाफाश किया है.

उर्वशी बुटालिया

उर्वशी बुटालिया भारत में पहली फेमिनिस्ट पब्लिशिंग हाउस की संस्थापक हैं और काफी लंबे समय से ये महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्षरत हैं. पिछले वर्ष दिसंबर में कुख्यात दुष्कर्म की घटना ‘निर्भया कांड’ के बाद इन्होंने महिलाओं की सुरक्षा और उनके खिलाफ होनेवाली यौन हिंसाओं को लेकर अनेक मंचों पर आवाज उठायी. इस घटनाक्रम के बाद सरकारी प्रतिक्रिया और कार्रवाइयों की इन्होंने आलोचना की. इन्होंने इस संबंध में मौजूदा सरकारी नीतियों की आलोचना की और महिलाओं के लिए नये क्राइसिस सेंटर्स समेत हेल्प लाइनों और अन्य संसाधनों की स्थापना किये जाने पर जोर दिया.

कविता कृष्णन

कृष्णन ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव वुमेन्स एसोसिएशन (एपवा) की राष्ट्रीय सचिव हैं. इन्हें वामपंथी विचारधारा की कार्यकर्ता माना जाता है. पिछले वर्ष हुए सनसनीखेज ‘निर्भया कांड’ के बाद इन्होंने सरकार की सुस्त कार्रवाई पर करारा प्रहार करते हुए सरकारी नीतियों की आलोचना की थी. देश में यौन हिंसा के विरुद्ध महिलाओं के नजरिये में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए इन्होंने अनेक महिला समूहों के बीच कार्य किया है. साथ ही, यौन हिंसा के विरुद्ध प्रभावी कानून बनाने की मांग को लेकर इन्होंने लोगों के बीच जागरुकता फैलाने का सराहनीय कार्य किया है.

संजय बासु

बासु स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में एपीडेमियोलॉजिस्ट (महामारी विज्ञानी) और फिजिशियन हैं. दुनियाभर में महामारी का रूप ले रहे फ्लू से निबटने में अमेरिका द्वारा अक्षम होने के बाद बासु ने अपने एक सहयोगी के साथ इस पर कार्य किया और कुछ हद तक सफलता पायी. इन्होंने आर्थिक दृष्टिकोण से नागरिकों के स्वास्थ्य का विश्लेषण करते हुए कहा कि कठिन समय में लोगों के स्वास्थ्य पर निवेश की रकम को बढ़ाना चाहिए.

रोहित वांचु

वांचु न्यूयॉर्क में गिवडायरेक्टली नामक संगठन के संस्थापक सदस्यों में शामिल हैं. यह संगठन गरीबों को दिल खोल कर मदद करने के लिए दान देने की मुहिम चला रहा है. इस संगठन का कहना है- आप गरीबों को बिना किसी लगाव के पैसे दीजिए, क्योंकि वे जानते हैं कि उनके लिए सबसे जरूरी चीज क्या है. माना जाता है कि इस संगठन के इस तरह के विचारों से प्रेरित होकर ही ब्राजील से लेकर युगांडा तक की सरकारों ने जरूरतमंदों के लिए नकदी हस्तांतरण योजना शुरू की है.

आनंद ग्रोवर

आनंद एक मानवाधिकार वकील और संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत हैं. गरीबों को एचआइवी/ एड्स और कैंसर जैसी बीमारियों के लिए सस्ती दवाएं मुहैया कराने के लिए इन्होंने कानूनी लड़ाई लड़ी है. इसी मुहिम के तहत इस वर्ष अप्रैल में इन्होंने एक स्विस कंपनी के खिलाफ भारत में एक कानूनी जीत हासिल की है, जिसे इस दिशा में एक बड़ी सफलता के तौर पर देखा गया है.

जॉन कैरी एक अमेरिकी राजनेता हैं, जो 68वें और वर्तमान ‘यूनाइटेड स्टेट्स सेक्रेटरी ऑफ स्टेट’ हैं. बतौर यूनाइटेड स्टेट्स सीनेट वे अपनी सेवाएं दे रहे हैं और ‘सीनेट फॉरेन रिलेशंस कमिटी’ के अध्यक्ष हैं. दुनिया में सबसे ज्यादा संघर्षरत देशों, इसराइल और फिलिस्तीन में शांति की पेशकश करने में इन्होंने अहम भूमिका निभायी है. साथ ही, सीरिया में अमेरिकी सैन्य हस्तक्षेप के बीच इन्होंने राजनीतिक वार्ताओं से समाधान के विकल्प को आगे बढ़ाया और कामयाबी हासिल की. इसके अलावा, उत्तर कोरिया से पैदा वैश्विक चुनौती से निबटने में चीन के साथ चतुराई से मामला सुलझाया और ईरान से उच्च-स्तरीय परमाणु वार्ता को सफल बनाया. अमेरिकी रणनीति से इतर इन्होंने पाकिस्तान में अमेरिकी ड्रोन हमलों को खत्म करने की भी बात कही है.
(स्रोत: फॉरेन पॉलिसी डॉट कॉम)

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