अधिकतर अमेरिकी चाहते हैं अगला राष्ट्रपति न करे इस्लाम की आलोचना

वाशिंगटन : हाल ही में किए गये एक सर्वेक्षण में पाया गया है कि अमेरिका के अधिकतर नागरिक चाहते हैं कि देश का अगला राष्ट्रपति होशियार हो और वह इस्लामी चरमपंथियों के बारे में बात करते समय पूरे इस्लाम की आलोचना न करे. पेव के सर्वेक्षण में कल कहा गया कि 70 प्रतिशत डेमोक्रेट और […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 4, 2016 12:43 PM

वाशिंगटन : हाल ही में किए गये एक सर्वेक्षण में पाया गया है कि अमेरिका के अधिकतर नागरिक चाहते हैं कि देश का अगला राष्ट्रपति होशियार हो और वह इस्लामी चरमपंथियों के बारे में बात करते समय पूरे इस्लाम की आलोचना न करे. पेव के सर्वेक्षण में कल कहा गया कि 70 प्रतिशत डेमोक्रेट और डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर रुझान रखने वाले लोग चाहते हैं कि अगला राष्ट्रपति इस्लामी चरमपंथ के बारे में खरा खरा न बोले और वह पूरे इस्लाम की आलोचना न करे.

हालांकि सर्वेक्षण में शामिल हरदस में से चार लोग चाहते हैं कि अगले राष्ट्रपति को इस्लामी चरमपंथ के बारे में खरा-खरा बोलना चाहिए, फिर चाहे उसके बयान पूरे इस्लाम के खिलाफ ही क्यों न हों. सर्वेक्षण में कहा गया कि तीखे बोलों का समर्थन रिपब्लिकनों और उन लोगों द्वारा किया जाता है, जो रिपब्लिकन पार्टी की ओर रुझान रखते हैं. सर्वेक्षण में यह भी दिखाया गया कि कई अमेरिकी सोचते हैं कि अमेरिका में रहने वाले मुस्लिमों में से एक बड़ा तबका मुस्लिम विरोधी है.

सर्वेक्षण में शामिल 42 प्रतिशत व्यस्कों का कहना है कि देश में अमेरिका-विरोधी मुस्लिम ‘महज कुछ’ ही हैं या फिर बिल्कुल नहीं हैं. वहीं 49 प्रतिशत जनता का कहना है कि कम से कम ‘कुछ’ अमेरिकी मुस्लिम तो अमेरिका विरोधी हैं. ऐसा कहने वालों में वे 11 प्रतिशत लोग भी शामिल हैं, जिनका कहना है कि ‘अधिकतर’ या ‘लगभग सभी’ अमेरिकी मुस्लिम अमेरिका विरोधी हैं. 14 प्रतिशत का मानना है अमेरिका में रहने वाली ‘लगभग आधी’ मुस्लिम आबादी अमेरिका विरोधी है.

सर्वेक्षण में कहा गया कि कई अमेरिकी इस्लामी चरमपंथ को लेकर चिंतित हैं लेकिन अधिकतर लोगों का मानना है कि धर्म के नाम पर की गयी हिंसा में समस्या लोगों के साथ है, धर्म के साथ नहीं. कुल 68 प्रतिशत अमेरिकियों का मानना है कि बड़ी समस्या इस बात की है कि कुछ हिंसक प्रवृत्ति के लोग अपने कृत्यों को उचित ठहराने के लिए धर्म का इस्तेमाल करते हैं. सिर्फ 22 प्रतिशत लोगों का मानना है कि कई धर्मों की शिक्षाएं हिंसा को बढ़ावा देती हैं. हालांकि जब धार्मिक शिक्षाओं को बड़ी समस्या बताने वाले लोगों से समस्या पैदा करने वाले कुछ धर्मों के नाम बताने के लिए कहा गया तो उनके जवाबों में इस्लाम सबसे ज्यादा आम जवाब था.

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