ISIS खत्म होने की कगार पर : अमेरिका
वाशिंगटन : अमेरिका ने कहा है कि आतंकवादी समूह इस्लामिक स्टेट विश्व के कुछ हिस्सों में व्याप्त ‘‘राजनीतिक अराजकता’ का फायदा उठाने की कोशिश कर रहा है ताकि वह इराक और सीरिया के अलावा इन इलाकों में भी अपनी जड़ें जमा सके. व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जोश अर्नेस्ट ने कल कहा कि अमेरिका लंबे […]
वाशिंगटन : अमेरिका ने कहा है कि आतंकवादी समूह इस्लामिक स्टेट विश्व के कुछ हिस्सों में व्याप्त ‘‘राजनीतिक अराजकता’ का फायदा उठाने की कोशिश कर रहा है ताकि वह इराक और सीरिया के अलावा इन इलाकों में भी अपनी जड़ें जमा सके. व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जोश अर्नेस्ट ने कल कहा कि अमेरिका लंबे समय से इस रणनीति को ध्यान में रखे हुए है कि आईएसआईएल ने राजनीतिक अराजकता वाले अन्य इलाकों का फायदा उठाने की कोशिश की है ताकि वह वहां भी अपने पैर जमा सके. उन्होंने कहा कि हम देखते हैं कि वह सीरिया में ऐसा करने में सफल रहा. इसलिए हम इस अराजकता और आईएसआईएल के विकास की मुख्य जड़ें बशर अल असद के असफल नेतृत्व को मानते हैं.
अर्नेस्ट ने कहा कि और हमने देखा कि उन्होंने इराक में पैर पसारने के लिए वहां की कुछ कमजोरियों और अस्थिरता का लाभ उठाया इसलिए हमने यह बात ध्यान में रखी है कि वे लीबिया और यहां तक कि अफगानिस्तान जैसे अन्य स्थानों पर भी पैर पसारने के बारे में संभवत: सोच रहे होंगे. उन्होंने कहा कि हम यह करना जारी रखेंगे. हम लगातार नजर रखेंगे कि लीबिया में मौजूद खतरे में क्या बदलाव आता है और हम कार्रवाई करने के लिए तैयारी करते रहेंगे. व्हाइट हाउस के ताजा आकलन के अनुसार, आईएस की ओर से इराक और सीरिया में लड रहे लडाकों की संख्या 31500 से कम होकर 25000 रह गई है.
अर्नेस्ट ने कहा कि अब, इसका अर्थ यह हुआ कि वे बड़ा खतरा बने हुए हैं लेकिन उनकी संभावित संख्या कम हुई है और यह आईएसआईल के खिलाफ लड़ रहे हमारे साझीदारों के प्रयासों का परिणाम है. उन्होंने कहा कि अमेरिका और हमारे सहयोगी साझीदारों ने कई हवाई हमले किये है जिन्होंने आईएसआईएल के कई लडाकों को युद्ध के मैदान से खदेड दिया है. अर्नेस्ट के अनुसार आईएसआईएल इराक और सीरिया में खलीफा शासन स्थापित करने की कोशिश कर रहा है. हम उन पर वहां बहुत अधिक दबाव बना रहे हैं, ऐसे में उनके लिए अन्य स्थानों की राजनीतिक अस्थिरता का फायदा उठाना मुश्किल हो जाएगा लेकिन इस समय, हम जानते हैं कि उनके पास ऐसा करने की क्षमता है और इसलिए हम अफगानिस्तान और लीबिया जैसे स्थानों में आईएसआईएल के खतरे को ध्यान में रखे हुए हैं.