1979 से ही वायु प्रदूषण का जोखिम!

आज भले ही दुनियाभर में वायु प्रदूषण पर चिंता जतायी जा रही हो और इससे निबटने के उपायों पर जोर दिया जा रहा है, लेकिन इसका जोखिम 30 सालों से भी ज्यादा समय से होना पाया गया है. ‘साइंस डेली’ के मुताबिक, इनसान के लिए वायु प्रदूषण का जोखिम 30 साल पहले ज्यादा घातक था. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 10, 2016 12:40 AM

आज भले ही दुनियाभर में वायु प्रदूषण पर चिंता जतायी जा रही हो और इससे निबटने के उपायों पर जोर दिया जा रहा है, लेकिन इसका जोखिम 30 सालों से भी ज्यादा समय से होना पाया गया है. ‘साइंस डेली’ के मुताबिक, इनसान के लिए वायु प्रदूषण का जोखिम 30 साल पहले ज्यादा घातक था.

इसे समझने के लिए इंगलैंड में पिछले 38 सालों के संबंधित आंकड़ों का अध्ययन किया गया है. एमआरसी-पीएचइ सेंटर फॉर एनवायरमेंट एंड हेल्थ ने 1971, 1981, 1991 और 2001 में इनसानी बस्तियों में वायु प्रदूषण के असर का अध्ययन किया. इस शोध में पाया गया कि ब्राेंकाइटिस जैसी सांस संबंधी अनेक बीमारियों का लोगों में बहुत ज्यादा जोखिम था.

इस शोध की मुखिया एना हेंसेल का कहना है कि हमारे लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि वायु प्रदूषण का जोखिम किस काल में इनसानों पर कितना रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, 1971 से 1991 के बीच जीवाश्म ईंधनों को जलाने से पैदा हुआ काला धुआं बेहद घातक था, जिसमें सल्फर डाइऑक्साइड जैसे खतरनाक प्रदूषित कारण मौजूद थे.

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