बड़ों के मान-सम्मान का बच्चे रखें ख्याल

घर का बड़ा बच्चा यदि अच्छा निकल जाये तो बाकी सब अपने आप सही रास्ते पर चलते हैं और अपने बड़े भाई या बहन जैसा बनने की सोचते हैं. बड़े होने के नाते यह जिम्मेवारी भी उनकी है. तुम एकदम सही कह रही हो रिमझिम बेटा. तुमने आज वाकई मुङो खुश कर दिया और मेरे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 18, 2013 11:00 AM

घर का बड़ा बच्चा यदि अच्छा निकल जाये तो बाकी सब अपने आप सही रास्ते पर चलते हैं और अपने बड़े भाई या बहन जैसा बनने की सोचते हैं. बड़े होने के नाते यह जिम्मेवारी भी उनकी है.

तुम एकदम सही कह रही हो रिमझिम बेटा. तुमने आज वाकई मुङो खुश कर दिया और मेरे जन्मदिन पर तुम इससे अच्छा और कोई तोहफा दे ही नहीं सकती थीं, बल्कितुम्हारी दादी और पूरे घर को तुम्हारा ये तोहफा हमेशा याद रहेगा. हमें तुम पर नाज है बेटा. आज तुमने खुश कर दिया. मैं चाहता था कि तुम अपने गांव के लिए कुछ करो मगर मैं कभी कह नहीं सका, क्योंकि मुङो लगता था कि पता नहीं तुम ये बात मानोगी कि नहीं.

अपनी जमीन से हमेशा जुड़े रहना चाहिये. पढ़-लिख कर अपनों के लिए भी कुछ ना कर पाओ तो ऐसी पढ़ाई से क्या फायदा? तुम नहीं जानती कि तुमने यह फैसला लेकर अपने भाई-बहनों को बहुत अच्छा संदेश दिया है और एक मिसाल बनी हो, क्योंकि घर का बड़ा बच्चा यदि अच्छा निकल जाये तो बाकी सब अपने आप सही रास्ते पर चलते हैं और अपने बड़े भाई या बहन जैसा बनने की सोचते हैं. इसलिए घर के सबसे बड़े बच्चे को यह सोचना चाहिए कि उसका एक गलत कदम या फैसला उसके बाकी भाई-बहनों को भी भ्रमति कर सकता है और अक्सर बड़े भाई-बहन घर भी संभालते हैं, क्योंकि बड़े होने के नाते यह जिम्मेवारी भी उनकी है. अब मुङो बाकी बच्चों की चिंता नहीं. हां थोड़ी-बहुत वैभव की है, क्योंकि इसके रंग-ढंग मुङो समझ नहीं आते और पता नहीं ये क्या करेगा. दीनानाथ जी ने कहा. बाबा मैं इतना भी बुरा नहीं हूं जितना आप समझते हो. वैभव ने कहा. मतलब तू कुछ तो बुरा है. ये तू खुद एक्सेप्ट कर रहा है.

दीनानाथ जी ने हंसते हुए कहा. नहीं बाबा. मैं आप सबकी आशाएं जरूर पूरी करूंगा. आपने जो कुछ मुङो सिखाया है मैं भूला नहीं हूं, लेकिन मैं गांव में क्या कर सकता हूं. आप ही बताइए, इंजीनियरिंग करने के बाद मैं यहां क्या करूंगा. वैभव ने कहा. क्यों तुम कभी-कभी यहां आकर यहां के बच्चों को मोटिवेट नहीं कर सकते? कैसे बेहतर तरीके से पढ़ें, कैसे एग्जाम की तैयारी करें, ये तुम बता सकते हो. तुम समझते ही हो कि एग्जाम के समय में किसी की गाइडेंस की कितनी जरूरत होती है. तुम उनका हौसला बढ़ा सकते हो और चूंकि तुमने खुद ये परीक्षा पास कर इंजीनियरिंग की होगी, तो तुम्हारी बातें वो समङोंगे और उन्हें सही रास्ता भी मिलेगा. तुम उनको सही सलाह दे सकते हो. तुम सब ऐसा कुछ करो कि युवा पीढ़ी की सही सोच और मकसद सामने आये जिससे हमें अपनी युवा पीढ़ी पर गर्व हो.

देखो बातो-बातों में रास्ते का भी पता नहीं चला और घर भी आ गया. मगर इस बार का तुम लोगों का ये गांव जाने का तोहफा मैं कभी नहीं भूलूंगा और रिमझिम के फैसले ने आज मेरा सीना गर्व से चौड़ा कर दिया. माता-पिता और बड़ों को क्या चाहिए, सिवाय इसके कि उनके बच्चे बड़ों के मान-सम्मान का ख्याल रखें. बच्चों की वजह से माता-पिता की आंखें झुके नहीं, बल्कि गर्व से उनके सिर ऊपर उठें.

अगर हमारे देश के बच्चों में किसी भी तरह से समाज की सेवा करने की भावना आ जाये तो हमारा देश वाकई खुशहाल हो जायेगा और समाज में जितना अपराध युवाओं की वजह से बढ़ रहा है, उस पर रोक लगेगी. अगर हमारे देश के युवा संभल जाएं और हम अपने बच्चों को सही दिशा, अच्छी सोच के साथ अच्छे संस्कार दें, तो आनेवाले समय में हमारे सामने एक स्वस्थ समाज सामने होगा, लेकिन मेरे बच्चों, उसके लिए तुम्हें पढ़ना होगा. तुम लोगों के एग्जाम होने वाले हैं. बहुत मस्ती हो गयी, अब सिर्फ और सिर्फपढ़ाई पर ध्यान देना. दीनानाथ जी ने कहा. तभी राशि ने कहा आप फिक्र मत करिये बाबूजी, इस बार झरना और वंशिका की जिम्मेवारी मैं लेती हूं और इनके सिलेबस के अनुसार ही इनके लिए टाइम टेबल बनाऊंगी और उसी के अनुसार पढ़ाई करवाऊंगी. मैं निश्चिंत हुआ राशि बहू, लेकिन मुङो परिणाम अच्छे दिखेंगे तभी संतुष्टि मिलेगी. दीनानाथ जी ने कहा.

वीना श्रीवास्तव

लेखिका व कवयित्री

इ-मेल:veena.rajshiv@gmail.com

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