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उधार की राइफल से जीता स्वर्णपदक

मन में कुछ करने का जज्बा हो तो इनसान क्या नहीं कर सकता! ऐसे ही दिल में कुछ करने की ख्वाहिश रखनेवाली स्मिता ऋ षिकेश पाटील ने अपने पास हथियार न होने के बावजूद ऑल इंडिया शूटिंग पुलिस चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीत कर सफलता की नयी मंजिल हासिल की है. मुंबई की गामदेवी पुलिस […]

मन में कुछ करने का जज्बा हो तो इनसान क्या नहीं कर सकता! ऐसे ही दिल में कुछ करने की ख्वाहिश रखनेवाली स्मिता ऋ षिकेश पाटील ने अपने पास हथियार न होने के बावजूद ऑल इंडिया शूटिंग पुलिस चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीत कर सफलता की नयी मंजिल हासिल की है.

मुंबई की गामदेवी पुलिस स्टेशन में कार्यरत स्मिता ने अथाह काम होने के बावजूद भी अपने सपने को साकार कर लिया. उन्होंने शूटिंग प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीत कर इस बात को साबित कर दिया कि भले ही इनसान के पास साधन न हो, लेकिन दिल में जीत की ख्वाहिश होनी चाहिए.

सपने को किया साकार
स्मिता के पास बंदूक खरीदने के पैसे नहीं थे. वह कहती हैं कि जब मुङो पता चला कि बंदूक की कीमत दो लाख रुपये है, तो वह मेरी सामथ्र्य के परे था. लेकिन सिर्फ साधन न होने के कारण मैं अपने सपने को धोखा नहीं दे सकती थी. मैंने एक क्लब में जाकर अभ्यास करना शुरू किया. यह मेरे निरंतर अभ्यास का ही परिणाम है कि मैंने अक्तूबर में हुए ऑल इंडिया पुलिस शूटिंग चैंपियनशिप में जीत हासिल की. स्मिता की कड़ी मेहनत देख कर दक्षिणी मुंबई के एक व्यापारी ने उन्हें बंदूक प्रायोजित करने की बात भी कही है.

हुईं पुरस्कृत
गामदेवी पुलिस के सीनियर निरीक्षक प्रदीप लोलंकर ने बताया कि अधिकतर बंदूक की भारी कीमतों के चलते लोग प्रतियोगिता में भाग नहीं ले पाते. मुङो इस बात की बेहद खुशी है कि उस व्यापारी की आर्थिक मदद के चलते स्मिता आगे भी अपनी मंजिल को नया रूप दे सकेगी और हर कदम में कामयाब हो पायेगी. स्मिता के अथक प्रयासों और अपने काम के प्रति निष्ठा को देखते हुए मुंबई पुलिस ने उन्हें पांच हजार रुपये इनाम देने का निश्चय किया है. इसके साथ ही उन्हें अच्छी सर्विस के रिकॉर्ड के लिए नामांकित किया गया है.

आगे बढ़ने में सबका सहयोग मिला
स्मिता अपनी कामयाबी का सारा श्रेय अपने वरिष्ठ अधिकारी लोलंकर और परिवार को देती हैं. वह कहती हैं कि जब उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारी से अपने शौक के बारे में बताया, तो उन्होंने मेरे सपने को समझा और मेरा साथ दिया. इन सबके साथ-साथ उन्होंने बंदूक के लिए एक वित्तदाता की व्यवस्था भी की, जिसके चलते उनके पास अब अपनी खुद की बंदूक है. सन 2006 में स्वतंत्र वीर सावरकर एयर फोर्स क्लब में शूटिंग का अभ्यास करने के बाद स्मिता पुलिस नायक के रूप में भर्ती हुई थी. उस समय भी उन्होंने कई मेडल पर अपना कब्जा किया था. वह अपनी जीत का सारा श्रेय अपने परिवार को देती हैं. इसके साथ ही वह मुंबई स्पोर्ट्स विभाग में कार्य करना चाहती हैं.

अन्य पदक
इन सबके साथ-साथ स्मिता ने गन फॉर ग्लोरी प्रतियोगिता में भी कांस्य पदक जीता है. इसके साथ ही सातवीं ऑल भारतीय पुलिस शूटिंग चैंपियनशीप में पुणो में गोल्ड मेडल विजेता रही हैं. इसके साथ ही दस मीटर इवेंट और पीप साइट एयर राइफल में भी उन्होंने 400 में से 386 अंक प्राप्त किया है.

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