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जब बच्चे लायक बन जायें, तो माता-पिता को भी मानने चाहिए बच्‍चों के फैसले

यह मेल 24 वर्षीय युवती का है जो विप्रो में नौकरी करती है. वह एक लड़के को चाहती है. लड़का एमबीए है, नौकरी कर रहा है. लड़की बंगाली और लड़का माहेश्वरी हैं. इसलिए दोनों के घरवाले विवाह के लिए तैयार नहीं हैं. दोनों के ही घरवाले कहीं और शादी करने पर जोर दे रहे हैं. […]

यह मेल 24 वर्षीय युवती का है जो विप्रो में नौकरी करती है. वह एक लड़के को चाहती है. लड़का एमबीए है, नौकरी कर रहा है. लड़की बंगाली और लड़का माहेश्वरी हैं. इसलिए दोनों के घरवाले विवाह के लिए तैयार नहीं हैं. दोनों के ही घरवाले कहीं और शादी करने पर जोर दे रहे हैं. दोनों बच्चे बालिग हैं और दोनों ही कहीं और विवाह के लिए तैयार नहीं हैं.
लड़की ने लिखा है कि “आपने बहुत पहले कहा था कि घर से भागने से पहले बच्चों को अपने मम्मा-पापा और घरवालों के बारे में सोचना चाहिए. इसलिए हमने अभी तक शादी नहीं की. मैंने घरवालों को समझाने का बहुत प्रयास किया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. अगर वे स्ट्रिक्ट हैं, तो मैं भी स्ट्रिक्ट हूं. मेरा फैसला भी नहीं बदलेगा.
मैं कैसे किसी और का जीवन बरबाद कर सकती हूं? मैं किसी के साथ एडजस्ट नहीं कर पाऊंगी. ऐसा ही उसके साथ भी होगा जिसे मैं चाहती हूं, तो हो गए न चार जीवन बर्बाद ? हम दोनों आत्मनिर्भर हैं, समझदार हैं. अगर वे हमारी बात नहीं मानें तो हमें उनके विरूद्ध जाना पड़ेगा. मैं अपने पेरेंट्स से बहुत प्यार करती हूं लेकिन मैं उसे भी बहुत चाहती हूं.
अब तक मैं उनके अनुसार ही चली, लेकिन अब नहीं. उनकी जिंदगी तो कट गयी. यह मेरी जिंदगी का सवाल है. अब तक हमने खुद पर काबू रखा. आपकी बात मानकर बहुत कोशिश की कि पापा-मम्मा मान जायें, पर वे नहीं मान रहे तो हमारे पास क्या ऑप्शन है? अगर वे चाहते हैं कि हम गलत कदम उठाएं, घर से भागकर शादी करें तो ठीक हैं, हम ऐसा ही करेंगे. हमारे दोस्त कहते हैं कि कोर्ट मैरिज कर लो, मगर फिर आपकी बात याद आती है कि लोग मम्मा की परवरिश पर उंगली उठाएंगे. मम्मा ने मुझे बहुत प्यार से पाला है.
मगर प्यार करना गुनाह है क्या? हम पढ़-लिखकर सोचने-समझने और सही फैसला लेने लायक बनते हैं. हम दोनों ही क्वालीफाइड हैं, कमाते हैं, हमारा कैरियर है. वह लड़का बहुत अच्छा है मैम. अगर हमारे पेरेंट्स बात नहीं मानेंगे तो मैं जान दे दूंगी लेकिन किसी और से शादी नहीं करूंगी. आप जैसी मां सबको मिलनी चाहिए. आपके बच्चे बहुत लकी हैं.”
जब बच्चों को दूसरे बच्चों के मम्मी-पापा अच्छे लगने लगें और वे दूसरे बच्चों को लकी मानने लगें, तो समझिए हालात बहुत खराब हैं. आपके बच्चे आपसे बहुत नाराज हैं. उनको आपसे बहुत-सी उम्मीद है.
वे चाहते हैं कि बचपन से सारी ख्वाहिशों को पूरा करनेवाले पेरेंट्स जिंदगी के सबसे खूबसूरत फैसले में उनका साथ दें. वे आपसे बहुत सारा प्यार और सहयोग चाहते हैं, जो उन्हें नहीं मिल रहा. उनको लगता है कि आप उन्हें और उनके प्यार को समझ नहीं रहे.
आपने बच्चों को अच्छी परवरिश दी. पढ़ाया-लिखाया. कैरियर बनाने में उनको पूरा सहयोग दिया, लेकिन जब वे मैच्योर हो जाएं, उनका कैरियर बन जाये, अपने फैसले लेने की क्षमता उनमें आ जाये, तो माता-पिता को भी उनके फैसले मानने चाहिए. यह तो तय है कि जो बच्चे नौकरी कर रहे हैं और अपनी पसंद से विवाह करना चाहते हैं तो वे आज नहीं तो कल, उसी से विवाह करेंगे जिसे वो चाहते हैं, तो आपको उनकी बात मान लेनी चाहिए.
आप क्यों खलनायक बन रहे हैं? अगर आप भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल करके उनका विवाह कहीं और करवा भी देंगे तो यह जानकर आप कभी खुश नहीं हो पाएंगे कि आपका बच्चा नाखुश है, समझौते करके जी रहा है. माता-पिता तो बच्चों की खुशी ही चाहते हैं. अंतरजातीय विवाह कोई आठवां आश्चर्य तो नहीं है. यह केवल आपके देखने और सोचने का नजरिया है. हम सब इनसान हैं. इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं है. अपने बच्चों की खुशी में ही आपकी खुशी होनी चाहिए. आपमें से कोई भी अपने बच्चों को नहीं खोना चाहेगा.
आप 21वीं सदी में जीनेवाले पेरेंट्स हैं. समय के साथ अपने विचारों को बदलिए. एक तरफ आप बच्चों को ऊंची शिक्षा दे रहे हैं. दूसरी तरफ आप अब भी जातिवाद में उलझे हैं. बच्चों को नेक इनसान बनाइए. अगर बच्चे आपका इतना सम्मान करते हैं तो आपको भी बच्चों की खुशी का ध्यान रखना चाहिए. अखबार में अक्सर पढ़ते हैं कि बच्चों ने घर से भागकर शादी की. जबरन शादी करने पर जान दे दी. उसके बाद माता-पिता के रोने से क्या होता है? अगर आपके लिए बच्चों की भावनाओं, प्यार, खुशी का ही महत्व नहीं तो फिर रोना क्यूं और किसलिए ? जब चिड़िया खेत ही चुग जाएगी तब कुछ नहीं होगा? वहां कोई फसल नहीं लहलहाएगी.
पेरेंट्स अच्छी तरह जानते हैं कि मना करने पर बच्चे या तो कोर्ट मैरिज करेंगे, घर से भाग जाएंगे या फिर अपना जीवन ही खत्म कर लेंगे. इसलिए भलाई इसी में है कि बच्चों को सहर्ष स्वीकारोक्ति दी जाये. जितना सम्मान आपका वे अभी करते हैं उससे कहीं ज्यादा वे बाद में करेंगे. उन्हें हमेशा याद रहेगा कि कैसे आपने उनके प्यार को स्वीकार किया. अगर आप जबरदस्ती उनका विवाह करेंगे तो वो खुश नहीं रहेंगे और उन्हें दुखी देखकर क्या आप सुखी रह सकेंगे? बच्चे तकलीफ में हों तो माता-पिता कैसे सुखी हो सकते हैं? अगर उन्होंने कोई गलत कदम उठा लिया तो आप जीवन भर रोयेंगे.
क्या आप यह बरदाश्त कर सकेंगे? बच्चों को गलत कदम उठाने को मौका आप ही देते हैं. विवाह के बाद अक्सर घरवाले राजी हो जाते हैं तो पहले बवाल क्यों? अगर आपका बच्चा मन से खुश है तो वो किसी भी तूफान का, अभाव का सामना कर लेगा. हो सकता है दोनों को संघर्ष करना पड़े तो वो मिल कर सहर्ष संघर्ष करेंगे, क्योंकि उनके पास प्यार और हौसले की ताकत है, जो उनको शक्ति देगी.
क्रमश:

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