हरियाणा के जींद में बूढ़ा खेड़ा रेलवे स्टेशन पर पेट्रोल बम से हमले किया गया है.
जींद के पुलिस अधीक्षक अभिषेक जोरवाल ने बीबीसी को बताया कि किसी ने स्टेशन पर बम फेंका था लेकिन आग पर क़ाबू पा लिया गया और घटना में कोई घायल नहीं हुआ है.
हरियाणा में पिछले दिनों से जाट आरक्षण आंदोलन को लेकर आंदोलन जारी है.
तनाव को देखते हुए रोहतक और भिवानी ज़िलों के शहरी इलाक़ों में कर्फ़्यू लगा दिया गया है.
कई इलाक़ों में सेना को बुलाया गया है और उपद्रव मचाने वालों को देखते ही गोली मारने के आदेश दे दिए गए हैं.
इस बीच जाट नेता यशपाल मलिक ने बीबीसी से कहा कि जब सरकार जाटों की बात सुनने को तैयार नहीं है तो उनके पास सड़कों के उतरने के सिवाय कोई विकल्प नहीं है.
उन्होंने कहा, "जाट आरक्षण की मांग को लेकर कई सालों से आंदोलन कर रहे हैं लेकिन सरकार सुनने को तैयार नहीं है. जब वे सड़क पर आते हैं तब उनसे बात शुरू होती है."
मलिक ने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर राज्य में गैर जाट राजनीति का चेहरा बनने का प्रयास कर रहे हैं. पहले भी हरियाणा में इस तरह के प्रयास होते रहे हैं. भजनलाल जी ने भी यह प्रयास किया था.
उन्होंने कहा कि खट्टर की राजनीति की पोल तीन दिन पहले खुल गई जब मुख्यमंत्री ने जाटों के प्रतिनिधियों को बुलाया और कहा कि हम आपको आर्थिक रूप से पिछड़े कोटे में शामिल कर देंगे. यह जाटों की मांग नहीं थी. वह उन्हें गुमराह करना चाह रहे थे.
मलिक ने कहा कि खट्टर ने शाम को बयान दिया कि जाटों के साथ सरकार का समझौता हो गया जबकि उनसे मिलकर बाहर आए जाटों ने कहा कि उन्होंने इस पर कोई सहमति नहीं जताई है.
उन्होंने कहा कि खट्टर को राजनीति का कोई अनुभव नहीं है और वह पूरे आंदोलन को गुमराह करते रहे. यहां के नेता जातीय मानसिकता से ग्रस्त हैं और हर चीज़ को राजनीतिक नज़रिए से देखते हैं.
मलिक ने साथ ही कहा कि जो लोग जाट आंदोलन के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे हैं वे राजनीति से प्रेरित हैं. उनका इससे कोई लेनादेना नहीं है. हम किसी का हक़ नहीं छीनना चाहते हैं.
उन्होंने कहा, "हमने सरकार से मांग की है कि अगर आप ओबीसी की मौजूदा सूची में छेड़छाड़ नहीं करना चाहते हैं तो उसे बढ़ा दीजिए. जब आप ईबीसी बढ़ा रहे हैं तो ओबीसी बढ़ा दीजिए. तमिलनाडु और दूसरे राज्यों में ऐसा है."
मलिक का कहना है कि 1956 में केलकर समिति की रिपोर्ट में हरियाणा के जाटों का नाम था. 1989 के मंडल आयोग में भी उन्हें शामिल किया गया था. जब मंडल आयोग की सिफ़ारिशें लागू हुईं तो जाट को जानबूझकर छोड़ा गया. देवीलाल से दुश्मनी के चलते ऐसा किया गया.
उन्होंने कहा कि 1989 से पहले देश में किसान और ग़ैर किसान की राजनीति होती थी लेकिन 1994 में भजनलाल ने उच्चतम न्यायालय में अर्ज़ी लगाई और देवीलाल सरकार ने जिन दस जातियों को आरक्षण दिया था उनमें से जाट सहित पांच जातियां निकाल दीं.
मलिक ने कहा कि ओबीसी आरक्षण में क्रीमी लेयर का प्रावधान है और इस तरह संपन्न जाटों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा.
उन्होंने प्रदर्शनकारियों से हिंसा से दूर रहने की अपील करते हुए कहा कि इससे आंदोलन अपने उद्देश्य से भटक जाता है और सरकारें यही चाहती हैं.
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