हर बात फेसबुक पर डालने की नहीं होती
चस्का चस्का.. लगा है चस्का चस्का.. ये चस्का है फेसबुक का. फेसबुक इस्तेमाल करनेवालों की संख्या जितनी तेजी से बढ़ रही है. कुछ लोगों को इसका चस्का कुछ इस तरह लगा है कि वे सोते-बैठते, खाते-पीते, हर चीज फेसबुक पर डालते हैं. यहां तक तो ठीक भी है. हद तो तब हो जाती है, जब […]
चस्का चस्का.. लगा है चस्का चस्का.. ये चस्का है फेसबुक का. फेसबुक इस्तेमाल करनेवालों की संख्या जितनी तेजी से बढ़ रही है. कुछ लोगों को इसका चस्का कुछ इस तरह लगा है कि वे सोते-बैठते, खाते-पीते, हर चीज फेसबुक पर डालते हैं. यहां तक तो ठीक भी है. हद तो तब हो जाती है, जब वे अपनी निजी चीजें फेसबुक पर डालते हैं. लोगों की ऐसी ही हरकतें अब रिश्तों में दरार डाल रही हैं. ऐसे कई कपल, दोस्त, रिश्तेदार हैं, जिनके बीच इसी वजह से झगड़ा हुआ है..
आज हर उम्र के लोग फेसबुक से जुड़े हैं. चाहे युवा हों या बुजुर्ग, सबको ही फेसबुक नामक सोशल नेटवर्किग साइट खूब भा रही है. लोग एक-दूसरे के स्टेटस को लाइक करते हैं, उस पर कमेंट करते हैं, अपने स्टेटस को अपडेट करते हैं, वगैरह.. वगैरह.. तमाम तरह की एप्लीकेशंस हैं, जिनको इस्तेमाल करते हुए वे घंटों फेसबुक पर बिताते हैं.
कुछ समझदार लोग फेसबुक का सकारात्मक इस्तेमाल करते हैं, जैसे अपनी लिखी किताबों, ब्लॉग का प्रचार, किसी सामाजिक मुद्दे पर लोगों की राय जानना आदि. तो कुछ लोग फेसबुक का इस्तेमाल केवल दोस्तों की संख्या बढ़ाने, गेम्स खेलने,
बेमतलब के चैट के लिए करते हैं. कई लोगों के स्टेटस अपडेट पढ़ कर ऐसा लगता है कि वे अपनी निजी जिंदगी को कितने बेवकूफों की तरह खुशी-खुशी बाजारू कर रहे हैं. हम यह नहीं कह रहे कि अपनी जिंदगी को सबके साथ बांटना गलत है, पर यह तो हम सभी जानते हैं कि जिंदगी के कुछ एहसास इतने निजी होते हैं कि उनको यूं जगजाहिर करने से उनके मायने बदल जाते हैं. ऐसे स्टेटस ‘आइ गॉट माय फस्र्ट किस’, ‘आज मेरे पिताजी का देहांत हो गया’ ‘यार फिर पेट दुख रहा है, ये मंथली प्रॉब्लम लड़कियों को क्यों आती है’ जैसी चीजें फेसबुक पर डालने का क्या मतलब है? ऐसे लोग क्या यह चाहते हैं कि लोग उनकी निजी बातों को जान कर खुशी के साथ उनके दुख को लाइक करके उस पर कमेंट दें या फिर ऐसे लोग लोगों की सहानुभूति चाहते हैं अपने दुखों पर.. गॉड नोज वेल..
लोगों की ऐसे हरकतें तो यही साबित करती हैं कि ऐसे लोग जितना अधिक समय फेसबुक पर बिताते हैं, वे अपनी निजी जिंदगी में उतने ही तन्हा और कुंठित होते हैं, इसलिए ऐसी बचकानी हरकतें करते हैं.
पूरी तरह बदल दी है जिंदगी
फेसबुक ने लोगों की जिंदगी ही बदल दी है. एक वक्त था, जब लोग तीज-त्योहार पर एक-दूसरे के घर जाते थे और उनसे मिलते थे. अब तो लोग फेसबुक पर स्टेटस डाल देते हैं. सभी को टैग कर देते हैं और अपनी जिम्मेवारियों से मुक्त हो जाते हैं.
यहां बहन मरी और वहां फेसबुक पर डाला स्टेटस
पिछले दिनों एक महिला ने फेसबुक पर डाला ‘अभी-अभी मुङो पता चला है कि मेरी चचेरी बहन का देहांत हो गया है. इस बात से मैं बहुत आहत हूं. समझ ही नहीं आ रहा है कि क्या करूं? कैसे रिएक्ट करूं? रह-रह कर मुङो बहन के साथ बिताये मेरे बचपन के दिन याद आ रहे हैं. आंसू हैं कि रुकने का नाम ही नहीं ले रहे. आप सभी प्लीज मेरी बहन की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें.’ महिला के स्टेटस डालने के बाद कई लोगों ने उसे लाइक किया और सहानुभूति भरी लाइनें लिखी. हालांकि कुछ समझदारों ने यह भी लिखा कि ऐसे वक्त में भी आपको फेसबुक पर स्टेटस डालना सूझ रहा है, इस पर आपकी दाद देनी होगी.
फेसबुक पर चैटिंग से रोका, तो कर ली आत्महत्या
युवाओं पर फेसबुक का क्रेज कुछ इस कदर छा गया है कि इसके इस्तेमाल से रोकने पर वे किसी भी हद तक जा सकते हैं. महाराष्ट्र की एक 17 साल की लड़की को जब उसके पैरेंट्स ने मोबाइल पर चैटिंग और फेसबुक का इस्तेमाल करने से रोका, तो उसने आत्महत्या ही कर ली. दरअसल सभी पैरेंट्स की तरह उस लड़की के पैरेंट्स की इच्छा भी लड़की को गलत रास्ते पर जाने से रोकना भर थी. वे अपनी बेटी को पढ़ाई में मन लगाने और फेसबुक, मोबाइल पर बहुत देर तक चैट करने से बचने के लिए कहते रहते थे. खुदकुशी से पहले लड़की ने एक चिट्ठी भी लिखी. लड़की ने अपने सुसाइड नोट में लिखा, क्या फेसबुक इतना बुरा है? मैं ऐसे घर में नहीं रह सकती, जहां फेसबुक का इस्तेमाल करने पर इतनी पाबंदी हो.