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रेल बजट में नवोन्मेषी उपायों की दरकार

कायाकल्प की राह में कम नहीं हैं चुनौतियां पिछले साल बजट पेश करते हुए रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने अनेक नयी रेलगाड़ियों और स्टेशनों जैसी पारंपरिक घोषणाओं से किनारा करते हुए रेल प्रणाली के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के महत्वाकांक्षी इरादे देश के सामने रखा था. उस बजट में अगले पांच साल में 132 अरब […]

कायाकल्प की राह में कम नहीं हैं चुनौतियां
पिछले साल बजट पेश करते हुए रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने अनेक नयी रेलगाड़ियों और स्टेशनों जैसी पारंपरिक घोषणाओं से किनारा करते हुए रेल प्रणाली के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के महत्वाकांक्षी इरादे देश के सामने रखा था. उस बजट में अगले पांच साल में 132 अरब डॉलर के भारी निवेश और इंफ्रास्ट्रक्चर तथा सेवाओं की बेहतरी के लक्ष्यों का उल्लेख था.
इन उपायों की जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही थी. लेकिन, इन्हें पूरा करने की राह विभिन्न कारणों से कतई आसान नहीं है. वैश्विक शोध संस्था मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट और अन्य सूचनाओं के मद्देनजर रेल मंत्री के सामने उपस्थित चुनौतियों और रेलवे के कायाकल्प की दिशा में उनकी पहलों का एक विश्लेषण…
आजादी के बाद से ज्यादातर वर्षों में कुप्रबंधन और उपेक्षा के कारण भारतीय रेल की स्थिति खराब होती गयी है. एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में यात्री आवागमन और माल ढुलाई में मजबूती के बावजूद राजस्व और क्षमता विस्तार के मामले में रेल फिसड्डी होता गया है.
यात्री किराये में भारी सब्सिडी तथा तकनीकी विकास की कमी इसके मुख्य कारण हैं. हालांकि पिछले साल रेल मंत्री सुरेश प्रभु के बजट ने रेल की वर्तमान स्थिति का जो विश्लेषण किया और उसमें सुधार के लिए जिन उपायों की घोषणा की गयी थी, उनसे यह उम्मीद बनी है कि आगामी वर्षों में रेल का कायाकल्प संभव है.
सुधार की दिशा में पहल
भारतीय रेलवे रोजाना 19 हजार ट्रेनें संचालित करता है, जिनमें 12 हजार से अधिक यात्री गाड़ियां और सात हजार से अधिक माल गाड़ियां हैं तथा यह करीब 20 बिलियन डॉलर की सालाना कमाई करता है. पिछले रेल बजट में 2016 तक रेल पटरियों की लंबाई 1,14,000 किलोमीटर से बढ़ा कर 1,38,000 किलोमीटर करने के लक्ष्य के साथ इंफ्रास्ट्रक्चर को धीरे-धीरे, लेकिन लगातार बढ़ाने के उपायों की घोषणा हुई थी.
रेल में व्यापक सुधार के लिए नीति आयोग के मौजूदा सदस्य और अर्थशास्त्री बिबेक देबरॉय के नेतृत्व में बनी समिति की सिफारिशों पर भी रेल मंत्रालय विचार कर रहा है. उम्मीद है कि रेल बजट में इस संबंध में कुछ महत्वपूर्ण नीतिगत घोषणाएं हो सकती हैं.
पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए रेल मंत्रालय सौर ऊर्जा और सीएनजी के इस्तेमाल की दिशा में भी अग्रसर है.
इससे ईंधन खर्च में भारी बचत संभावित है. पानी की खपत को नियंत्रित करने के लिए वैक्यूम टॉयलेट लगाने का काम भी चल रहा है. यात्री सुविधाओं में बेहतरी के उद्देश्य से 400 रेल स्टेशनों पर उच्च गति के वाइ-फाइ देने, फास्ट-फूड की उपलब्धता तथा इ-टिकट के विस्तार की दिशा में भी उल्लेखनीय प्रयास जारी हैं.
समाधान के लिए चार सूत्री पहल
बहरहाल, सुरक्षा और सुविधाओं के साथ रेल की क्षमता बढ़ाने की चुनौतियां भी रेल मंत्री सुरेश प्रभु के सामने हैं. परियोजनाओं को समयबद्ध तरीके से पूरा करना, निवेश को निर्बाध रूप से लाना तथा यात्री सेवाओं में घाटे को कम करना जैसी समस्याओं का समाधान आसान नहीं है.
रेल की समस्याओं के समाधान के लिए रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने चार-सूत्री पहल किये हैं-
1) यात्रियों के अनुभव में बेहतरी.
2) रेल को यात्रा का सुरक्षित साधन बनाना.
3) पटरियों, भीड़-भरे नेटवर्कों का क्षमता-परिवर्द्धन.
4) भारतीय रेल को वित्तीय रूप से स्व-पोषित बनाना.
1) यात्री सुविधाओं के लिए फंड जुटाना
मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट का मानना है कि राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के कारण रेल किरायों में समुचित वृद्धि नहीं हो पा रही है, जबकि बड़ी संख्या में यात्री बेहतर सुविधाओं- आसान आरक्षण, सफाई, समय से गाड़ियों का चलना, अच्छा भोजन और सुरक्षा- के लिए अधिक किराया देने के लिए तैयार हैं.
रिपोर्ट ने एनसीएइआर के सर्वेक्षण को उद्धृत करते हुए बताया है कि 55 फीसदी रेल यात्री तेज गति की यात्रा के लिए अधिक किराया देने के लिए तैयार हैं, करीब 100 फीसदी यात्री गति में 10 से 15 फीसदी तेजी के बदले एक से दस फीसदी अधिक किराया देने के लिए तैयार हैं, 40 फीसदी से अधिक यात्री बेहतर सुविधाओं के एवज में 10 फीसदी से अधिक बढ़ोतरी के पक्षधर हैं. रिपोर्ट का मानना है कि यदि ट्रेनों की गति और सेवाओं में बेहतरी होगी, तो किराये में वृद्धि का बहुत कम विरोध होगा.
2) रेल को यात्रा का सुरक्षित बनाना
भारत में सड़कों की तुलना में दोनों श्रेणियों- यात्री और माल ढुलाई- में रेल यातायात का सुरक्षित साधन है. लेकिन अन्य देशों की तुलना में स्थिति निराशाजनक है. दुर्घटनाओं का सबसे बड़ा कारण 30 हजार से अधिक क्रॉसिंग, खासकर निगरानीविहीन 11,500 क्रॉसिंग हैं.
2012 में रेलवे ने जानकारी दी थी कि वर्ष 2008 से 2012 के बीच कुल दुर्घटनाओं का 41 फीसदी और कुल मौतों का 65 फीसदी हिस्सा क्रॉसिंगों पर ही घटित हुआ था. विगत चार दशकों (2014 तक) में निगरानीवाले क्रॉसिंगों की संख्या 27 फीसदी बढ़ी है और निगरानीविहीन क्रॉसिंगों की संख्या 57 फीसदी कम हुई है.
3) पटरियों, भीड़-भरे नेटवर्कों का क्षमता-परिवर्द्धन
यातायात में रेल के मुकाबले सड़क मार्ग की बढ़ती हिस्सेदारी का कारण यह है कि रेल में भीड़ बहुत है. देबरॉय समिति ने पिछले वर्ष जून में दी गयी रिपोर्ट में कहा था कि 60 फीसदी रेल पटरियों की क्षमता का दोहन 80 फीसदी से अधिक होता है जो रेल मानकों के अनुसार अधिकतम इस्तेमाल है.
अत्यधिक भीड़ भरे नेटवर्कों का हाल और भी खराब है. हालांकि ऐसे नेटवर्क पूरी रेल का सिर्फ 18 फीसदी हिस्सा ही हैं, लेकिन इनसे 56 फीसदी ट्रैफिक गुजरता है और यहां की 88 फीसदी पटरियों का अधिकतम सीमा से ज्यादा इस्तेमाल होता है. बीते सालों में निवेश इन नेटवर्कों के दोहरीकरण के बजाये नयी पटरियां बिछाने में हुआ है जिनसे कमाई कम और खर्च अधिक हुआ है. लेकिन इन पांच सालों में बोझ कम करने में नेटवर्क विस्तार के बराबर ही खर्च करने की योजना है, जबकि बीते दस सालों में नयी पटरियों की तुलना में दोहरीकरण पर आधा धन ही निवेशित किया जाता था.
दैनिक यात्रियों की संख्या बढ़ाने का लक्ष्य : रेल मंत्रालय ने 2015 से 2019 के बीच दैनिक यात्रियों की संख्या 21 मिलियन से बढ़ाकर 30 मिलियन करने तथा वार्षिक माल ढुलाई को एक बिलियन टन से बढ़ा कर 1.5 बिलियन टन करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. बोझ के स्तर को भी करीब 100 फीसदी से कम कर 80 फीसदी से नीचे लाने की कोशिश की जा रही है.
4) भारतीय रेल को वित्तीय रूप से स्व-पोषित बनाना
भारतीय रेल के लिए यह सबसे बड़ी चुनौती है. वित्तीय रूप से सक्षम होने का अर्थ है कि इसे अपने काम से अधिशेष पैदा करना होगा ताकि वह मौजूदा परियोजनाओं को भी पूरा करे और परिसंपत्तियों के नवीनीकरण के लिए भी खर्च कर सके.
इस स्थिति में पहुंचने के लिए राजस्व बढ़ाने तथा खर्च में कटौती करनी होगी. इस संकल्प को पूरा करने के लिए रेल ने निम्न उपायों की घोषणा की है-
– ईंधन खर्च (वित्त वर्ष 2014 में कुल कमाई का 21 फीसदी)- डीजल की तुलना में बिजली सस्ती होने के कारण भारत ने अब तक 51 फीसदी यात्री गाड़ियों और 63 फीसदी माल गाड़ियों का विद्युतीकरण कर दिया है. रेल ईंधन बजट में अगले पांच साल में हर साल 50 अरब रुपये की कटौती की दिशा में सक्रिय है.
-राजस्व के लिए अधिक इस्तेमाल – खाली मालगाड़ियों की बुकिंग पर छूट देने की योजना के साथ इस दिशा में पहल की गयी है ताकि कमाई में वृद्धि की जा सके.
-रेलगाड़ियों की गति तेज करना- माल गाड़ियों की मौजूदा 25 किमी प्रति घंटे की रफ्तार को बढ़ा कर 75 से 100 किमी करने की कोशिश हो रही है. इससे राजस्व में तीन से चार गुणा बढ़ोतरी की संभावना है.
– वेतन खर्च- हालांकि रेल मंत्रालय ने वेतन खर्च के संबंध में किसी योजना की घोषणा नहीं की है. यह एक बड़ी चुनौती है क्योंकि पिछले पांच साल की कुल राजस्व प्राप्ति का 56 फीसदी इसी मद में खर्च हुआ है.
रेल देश का सबसे बड़ा रोजगारदाता है, किंतु 1992 के उच्चतम स्तर के बाद इसके कर्मचारियों की संख्या में 20 फीसदी की कमी हुई है. अगर इसे कुल ट्रैफिक के साथ मिला कर देखें, तो उत्पादकता में काफी वृद्धि हुई है. वर्ष 2016 और 2018 के बीच 60 हजार कर्मचारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं.
यह संख्या कुल कर्मचारियों का 4.5 फीसदी है. वर्ष 2007 में योजना आयोग ने एक अध्ययन प्रस्तुत किया था, जिसमें कहा गया था कि कर्मचारी उत्पादकता के मामल में भारत दुनिया के खराब देशों में शामिल है. इस मामले में बेहतर उपाय करने की गुंजाइश है.
विभिन्न दुर्घटनाओं में कमी का ब्योरा
दुर्घटना का प्रकार नवंबर 2013 से नवंबर 2014 से
सितंबर 2014 के बीच सितंबर 2015 के बीच
टक्कर 4 1
पटरी से उतरना 62 47
आग 5 3
एमएलसी दुर्घटना 7 6
विविध दुर्घटनाएं 4 7
यूएमएलसी दुर्घटनाएं 51 36
कुल दुर्घटनाएं 133 100
प्रभु कीउपलब्धियां
नवंबर 2014 से सितंबर 015 के बीच रेलवे की प्रमुख उपलब्धियां
– 2003 किमी लाइन बिछायी गयी नवंबर, 2014 से सितंबर, 2015 के बीच, जबकि इसके पिछले वर्ष के दौरान 1,626 किमी लाइन बिछायी गयी थी.
– अप्रैल से सितंबर, 2015 के दौरान विद्युतीकरण कार्य में पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 87.22 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. इस वर्ष 498 किमी रेलमार्ग का विद्युतीकरण किया गया, जबकि पिछले वर्ष यह 266 किमी रहा.
– इस वर्ष 2,800 किमी रेल पथ का नवीकरण किया गया, जबकि पिछले वर्ष यह आंकड़ा 2,715 किमी था.
– मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के चंबल इलाके में 108 किमी लंबी आगरा-इटावा नयी रेल लाइन पर ट्रेन का उद्घाटन.
– राजस्थान में 122 किमी लोहारू- सीकर बड़ी रेल लाइन पर गाड़ियों का परिचालन शुरू.
– छत्तीसगढ़ में 17 किमी लंबी डल्लीराजहरा- डोंडी नयी लाइन पर ट्रेनों का आवागमन शुरू.
यात्री सुविधाओं का विस्तार
– 1,052 स्टेशनों को आदर्श स्टेशन के रूप में अपग्रेड करने के लिए चुना गया था. इसमें से जुलाई, 2015 तक 956 स्टेशनों काे अपग्रेड किया गया.
– 74 ट्रेनें ऑन-बोर्ड हाउसकीपिंग की सुविधा के दायरे में.
– 11 प्रमुख स्टेशनों पर वाइ-फाइ सेवा की शुरुआत.
– ट्रेन कैंसिल होने पर यात्रियों को एसएमएस से जानकारी.
– मोबाइल फोन से पेपरलेस जनरल टिकट.
– हिंदी में इ-टिकटिंग पोर्टल.
– सभी ट्रेनों के नये जनरल डिब्बों में मोबाइल चार्जिंग सुविधा.
– वरिष्ठ नागरिकों के लिए डिब्बों में लोअर बर्थ कोटा 2 से बढ़ा कर 4 किया गया.
नयी उत्पादन यूनिट
– 160 किमी प्रति घंटा की स्पीड से चलने वाले एलएचबी डिब्बों के निर्माण की दूसरी यूनिट चेन्नई में शुरू.
– कोलकाता के निकट बजबज में एलएचबी बोगी फ्रेम निर्माण यूनिट आरंभ.
– हल्दिया में डेमू कारखाने की शुरुआत.
डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर
– साल 2018 तक पूर्वी समर्पित माल गलियारा यानी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर को शुरू करने के लिए तेजी से काम जारी.
– 3,300 किमी का अतिरिक्त नेटवर्क जुड़ जायेगा डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर शुरू होने पर भारतीय रेल में.
– मालगाड़ियों की औसत स्पीड में बढ़ोतरी के साथ मौजूदा नेटवर्क पर भीड़-भाड़ की हालत से राहत मिलने की उम्मीद.
– डबल स्टेक कंटेनर और लॉन्ग हॉल ट्रेन (3-4 मालगाड़ियों को जोड़ कर चलाने) से प्रति यूनिट ट्रासपोर्टेशन लागत में कमी.
संरक्षा के क्षेत्र में पहल
-आइआइटी, कानपुर के सहयोग से एक तकनीक विकसित की गयी, जिससे बिना कर्मचारी वाले रेलवे फाटकों पर दुर्घटनाएं रोकने में कामयाबी मिली.
-नान-एसी कोच में आग और धुआं पहचान करनेवाले सिस्टम का परीक्षण शुरू किया गया. अब तक यह सुविधा केवल एसी कोच के लिए ही मौजूद थी.
-पश्चिमी रेलवे ऐसा पहला जोन बन गया है, जहां बिना कर्मचारी के एक भी रेल फाटक नहीं है. यहां सभी फाटकों पर कर्मियों की तैनाती कर दी गयी है.
तकनीकी सुधार की पहल
-रेल फाटकों पर ट्रेन एलर्ट के लिए वेब आधारित सिस्टम की शुरुआत.
-सभी 68 रेल डिवीजनों में वेब आधारित रेलट्रैक मैनेजमेंट सिस्टम का क्रियान्वयन.
-सर्वाधिक व्यस्त यातायात वाले रेलखंड गाजियाबाद- मुगलसराय के बीच अत्याधुनिक तरीके से संचालन के लिए व्यापक शोध.
-सेंट्रली मैनेज्ड रेलवे डिस्प्ले नेटवर्क टेक्नोलॉजी को मंजूरी.

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