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आर्थिक समीक्षा में ‘अच्छे रोजगार” सृजित करने पर जोर

नयी दिल्ली: देश के श्रम बाजार में आने वाले समय में चुनौती बडी संख्या में ‘अच्छे रोजगार’ सृजन करने की है जो न केवल सुरक्षित हों बल्कि अच्छी पगार भी मिले. वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा संसद में पेश 2015-16 की आर्थिक समीक्षा में कहा कि जनसंख्या संबंधी लाभांश का लाभ उठाने तथा कार्यबल में […]

नयी दिल्ली: देश के श्रम बाजार में आने वाले समय में चुनौती बडी संख्या में ‘अच्छे रोजगार’ सृजन करने की है जो न केवल सुरक्षित हों बल्कि अच्छी पगार भी मिले. वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा संसद में पेश 2015-16 की आर्थिक समीक्षा में कहा कि जनसंख्या संबंधी लाभांश का लाभ उठाने तथा कार्यबल में शामिल होने वालों की बढती आकांक्षा को पूरा करने के लिये अर्थव्यवस्था को ऐसे रोजगार सृजित करने की जरूरत है जो बेहतर, सुरक्षित, उत्पादक और अच्छी पगार वाली हो. ये रोजगार संगठित क्षेत्र में सृजित होंगे.

औपचारिक क्षेत्र में रोजगार सृजन के रास्ते में दो बाधाएं हैं, पहला, औपचारिक कामगारों पर विनिमय-प्रेरित कर और कामगारों और रोजगारों के बीच स्थानिक असंतुलन. इसमें कहा गया है कि इन चुनौतियों से पार पाने के लिये ईमानदार प्रयास करने होंगे और इसमें निजी द्वोत्र, राज्य सरकारों तथा केंद्र की अहम भूमिका होगा. समीक्षा के अनुसार 1989 और 2010 के बीच 1.05 करोड नये रोजगार सृजित किये गये जिसमें केवल 37 लाख रोजगार या 35 प्रतिशत संगठित क्षेत्र में थे.
समीक्षा में कहा गया है कि ठेके पर काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या बढ़ी है. वर्ष 1999 में जहां अनुबंध पर काम करने वाले कर्मचारियों का प्रतिशत विनिर्माण क्षेत्र में काम कर रहे सभी पंजीकृत कर्मचारियों का 12 प्रतिशत था जो 2010 में बढकर 25 प्रतिशत हो गया. इसका कारण यह है कि कंपनियां कर्मचारियों के किसी प्रकार के विद्रोह का सामना किये बिना केवल अपना उत्पादन बढाना चाहती हैं. समीक्षा के अनुसार, ‘‘अर्थव्यवस्था को गति देने के लिये केंद्र को यह सुनिश्चित करना है कि श्रम नियमन कर्मचारी केंद्रित हों. सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने दिल्ली में प्रेस कांफ्रेस कर आर्थिक सर्वे पर पत्रकारों के सवालों का जवाब दिया.

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