इंजेक्शन नहीं गोली के रूप में लीजिए इंसुलिन का डोज

अब तक इंजेक्शन ही था मरीजों के पास विकल्प मधुमेह के रोगियों के लिए इंसुलिन की अहमियत क्या है, यह उनसे बेहतर कोई और नहीं बता सकता. लगभग एक सदी पूर्व हुई इसकी खोज के बाद से लेकर अब तक इस जीवन रक्षक दवा को मधुमेह के मरीज सूई के जरिये लेते रहे हैं और […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 20, 2013 8:09 AM

अब तक इंजेक्शन ही था मरीजों के पास विकल्प

मधुमेह के रोगियों के लिए इंसुलिन की अहमियत क्या है, यह उनसे बेहतर कोई और नहीं बता सकता. लगभग एक सदी पूर्व हुई इसकी खोज के बाद से लेकर अब तक इस जीवन रक्षक दवा को मधुमेह के मरीज सूई के जरिये लेते रहे हैं और इसकी गोली का विकल्प हमेशा से वैज्ञानिकों की तलाश में था. लेकिन अब एक भारतीय वैज्ञानिक ने मधुमेह के मरीजों के लिए इंसुलिन के इंजेक्शन की चुभन का विकल्प ढूंढ लिया है. स्वास्थ्य पत्रिका अमेरिकन केमिकल सोसाइटी जर्नल में छपी एक खबर के अनुसार, यह उन मरीजों के लिए काफी फायदेमंद होगा, जिन्हें आम तौर पर सूई चुभने से होनेवाले दर्द से बचने के लिए इंसुलिन के इंजेक्शन लेने के लिए बारबार सोचना पड़ता है.

ऐसे होगा दवा का ब्रेक-अप

वैज्ञानिकों के लिए इंसुलिन की दवा इंजेक्शन की जगह गोली की तरह दिया जाना अब तक किसी चुनौती से कम नहीं था. इसमें सबसे बड़ी बाधा थी गोली के अवयवों का ब्रेकअप करने की थी, चूंकि गोली ठोस होती है और इंजेक्शन के जरिये दी जानेवाली की दवा तरल. पत्रिका ने लिखा है कि खाने का ब्रेकअप करनेवाले एंजाइम्स से इस काम में मदद ली जा सकेगी. चूहों पर किये गये पहले परीक्षण के नतीजे उत्साहवर्धक आये हैं. संयोग जैन बताते हैं कि प्रयोग से उनके शरीर में मौजूद खून में ग्लूकोज की मात्र कम हो गयी. यह कमी उसी अनुपात में थी, जिस अनुपात में उन्हें इंसुलिन की मात्र दी गयी थी.

नया फॉर्मूला

इस चुनौती को पार पाने का रास्ता बताया है नेशनल इंस्टीटय़ूट ऑफ फार्मास्यूटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च के संयोग जैन ने. उन्होंने लाइपोजोम्स की बनी और इंसुलिन से भरी कुछ छोटी पुड़िया तैयार की. उसके बाद उन्होंने इन लाइपोजोम्स को पॉलीइलेक्ट्रोलाइट्स की परतों से ढक दिया. इन पुड़ियों को संयोग ने लेयरोजोम्स का नाम दिया है. खास है कि इसके भीतर मौजूद इंसुलिन शरीर में धीरेधीरे घुलता रहेगा और ज्यादा देर तक प्रभावी रहेगा.

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