लाहौर : पाकिस्तान के विवादास्पद ईश निंदा कानूनों में बदलाव की मांग करने वाले पंजाब के गवर्नर सलमान तासीर की हत्या के दोषी पूर्व पुलिस कमांडो मुमताज कादरी को आज तड़के रावलपिंडी जेल में फांसी दे दी गई. इस्लामी कट्टरपंथियों ने फांसी के विरोध में देशभर में प्रदर्शन किए और इसे ‘‘काला दिवस” करार दिया.
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पाकिस्तानी गवर्नर के हत्यारे को दी गई फांसी, इस्लामी कट्टरपंथियों ने किए प्रदर्शन
लाहौर : पाकिस्तान के विवादास्पद ईश निंदा कानूनों में बदलाव की मांग करने वाले पंजाब के गवर्नर सलमान तासीर की हत्या के दोषी पूर्व पुलिस कमांडो मुमताज कादरी को आज तड़के रावलपिंडी जेल में फांसी दे दी गई. इस्लामी कट्टरपंथियों ने फांसी के विरोध में देशभर में प्रदर्शन किए और इसे ‘‘काला दिवस” करार दिया. […]
अधिकारियों ने बताया कि कादरी को आज सुबह करीब साढ़े चार बजे रावलपिंडी की अडियाला जेल में फांसी दी गई. उसने 2011 में इस्लामाबाद के एक बाजार में पंजाब के उदारवादी गवर्नर की ईशनिंदा कानूनों की आलोचना करने के कारण हत्या कर दी थी. कादरी ने तासीर को 28 गोलियां मारी थीं.
फांसी के कुछ घंटे बाद ही कई शहरों में कादरी के समर्थकों ने सडकों पर प्रदर्शन शुरू कर दिए. ये लोग उसे मजहब की रक्षा करने वाले नायक के रुप में मानते हैं. समर्थकों ने कादरी को फांसी दिए जाने पर हिंसा की धमकी दी थी. रेंजर्स और पुलिस को रावलपिंडी में कादरी के घर के बाहर तैनात किया गया है जहां उसके सैकडों समर्थक एकत्र हो गए. इस्लामाबाद में भी सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं.
कादरी को नायक जैसा दर्जा देने वाले सुन्नी समूहों ने रावलपिंडी में मुख्य मार्गों को अवरुद्ध कर दिया जिससे राजधानी इस्लामाबाद से आवाजाही रुक गई है. पुलिस और अर्द्धसैनिक बल सडकों पर गश्त कर रहे हैं. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए रावलपिंडी और शेष पंजाब प्रांत में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है.
एक पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘सुरक्षाबल हाई अलर्ट पर हैं और सड़कों को खोलने के लिए अतिरिक्त पुलिस मंगाई जा रही है.” कादरी ने जनवरी 2011 में इस्लामाबाद के बाजार में 66 वर्षीय तासीर को दिन दिहाडे 28 गोलियां मारी थीं. उसने बाद में अपराध स्वीकार करते हुए कहा था कि उसे ईशनिंदा कानूनों में बदलाव करने के तासीर के आह्वान पर आपत्ति थी.
तासीर उस ईसाई महिला के समर्थन में आगे आए थे जिस पर ईशनिंदा का आरोप लगाया गया था और उन्होंने ईशनिंदा कानूनों को ‘‘काले कानून” बताया था जिसके कारण उन्हें कट्टरपंथियों की आलोचना का सामना करना पड़ा था. एक आतंकवाद रोधी अदालत ने उसी साल कादरी को दोषी ठहराया था और उसकी निंदा की थी. इस्लामाबाद हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी उसके फैसले को बरकरार रखा था.
कादरी की पुनरीक्षण याचिका भी पिछले साल 14 दिसंबर को शीर्ष अदालत ने खारिज कर दी थी जिसके बाद उसके पास राष्ट्रपति ममनून हुसैन को दया याचिका देने का आखिरी विकल्प बचा था. राष्ट्रपति ने भी उसकी दया याचिका खारिज कर दी थी. कट्टरपंथी धार्मिक समूह इस बात की मांग कर रहे थे कि कादरी को माफ कर दिया जाना चाहिए क्योंकि उसने ‘‘ईशनिंदा” करने वाले की हत्या की है.
सुन्नी तहरीक के प्रमुख सरवात एजाज कादरी ने फांसी की निन्दा की. उसने कहा, ‘‘देश के इतिहास में यह एक काला दिन है. जिन्होंने कादरी को फांसी दी है, उन्होंने भविष्य में अपनी सफलता के अवसर खो दिए हैं.” कादरी के लिए कल रावलपिंडी में जनाजे की नमाज अदा की जाएगी.
पाकिस्तान में ईश निंदा एक संवेदनशील मामला है. यहां कई बार आरोप साबित नहीं होने पर भी भीड़ के हिंसक हो जाने की घटनाएं होती हैं. यह विवादास्पद कानून पाकिस्तान के सैन्य शासक जिया उल हक ने 1980 के दशक में पेश किया था और अब तक सैकड़ों लोगों पर इसके तहत आरोप लगे हैं.
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