आम बजट 2016 : निखरेगा गांव, तो मजबूत होगा देश
आ अब चलें गांव की ओर. इसी में समाया है आम बजट का पूरा सार. अरुण जेटली जी के इस बजट को जहां से और जैसे भी देखें यही बात समझ में आती है. बजट एलानों से साफ है कि सरकार का फोकस गांवों के विकास को रफ्तार देने के साथ शिक्षा और कौशल विकास […]
आ अब चलें गांव की ओर. इसी में समाया है आम बजट का पूरा सार. अरुण जेटली जी के इस बजट को जहां से और जैसे भी देखें यही बात समझ में आती है. बजट एलानों से साफ है कि सरकार का फोकस गांवों के विकास को रफ्तार देने के साथ शिक्षा और कौशल विकास पर है.
वहीं पिछले कई वर्षों में यह पहला मौका है जब बजट भाषण में रक्षा क्षेत्र का उल्लेख नहीं किया गया. वैसे रक्षा क्षेत्र का कुल बजट 3,40,921.98 करोड़ रुपये रखा गया है, जिसमें 82 हजार करोड़ रुपये वन रैंक वन पेंशन के लिए आवंटित है.
नयी दिल्ली : बजट के एलानों से स्पष्ट है कि सरकार रोड, रेलवे और बुनियादी ढांचा को रफ्तार देने के लिए सरकारी निवेश बढ़ाने जा रही है. साथ ही, खेती और ग्रामीण इलाकों पर फोकस करते हुए ग्रामीण स्कीमों पर ज्यादा खर्च करेगी. ई-कॉमर्स सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए भी कई कदमों का एलान हुआ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस बजट को गांव के विकास पर केंद्रित बताया है. वहीं वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण और उसके बाद भी साफ कहा कि सरकार की पहली प्राथमिकता देश के गांव है.
वैसे प्रधानमंत्री ने हाल ही एक किसान रैली में बजट को लेकर शुरुआती संकेत दे दिये थे. कहा था कि 2022 तक उनकी सरकार किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य रखती है. आम बजट में जेटली ने मोदी के इसी विजन को आगे बढ़ाने का काम किया है. किसानों के लिए बजट में 25 हजार करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जबकि ग्रामीण इलाकों में मूलभूत ढांचे से भी सरकार ने सरोकार दिखाया है.
खेती में किसानों की मदद के लिए नाबार्ड को बीस हजार करोड़ रुपये का सिंचाई फंड दिया गया है, वहीं सिंचाई योजना के लिए 17000 करोड़ रुपये की राशि भी बजट में है.
इसी तरह कृषि के लिए अलग से 35984 करोड़ रु पये का फंड है, जबकि गांव में मजदूरों को रोजगार मुहैया करवाने के लिहाज से मनरेगा के तहत 5 लाख तालाब बनवाने की भी घोषणा की गयी है.
रक्षा बजट में ओआरओपी के लिए 82 हजार करोड़
वर्ष 2016-17 के लिए कुल 3,40,921.98 करोड़ रुपये के रक्षा बजट की घोषणा की गयी है, जिसमें 82 हजार करोड़ रुपये की राशि पूर्व सैनिकों की ‘वन रैंक वन पेंशन’ (ओआरओपी) के लिए रखी गयी है. वर्ष 2015-16 का रक्षा बजट संशोधित अनुमानों के अनुसार 2.33 लाख करोड़ रुपये है.
तीनों सेनाओं, आधुनिकीकरण के लिए पूंजी परिव्यय 78,586.68 करोड़ रुपये रखा गया है. हालांकि, वित्त मंत्री अपने बजट भाषण रक्षा आवंटन के बारे में कोई उल्लेख नहीं किया. ज्ञात हो कि 2016-17 के लिए केंद्र सरकार के कुल खर्च रक्षा बजट का हिस्सा लगभग 17.2 प्रतिशत है. इसमें सबसे अधिक बढ़ोतरी पेंशन खर्च में है.
मौजूदा वित्त वर्ष के लिए इसके 60,238 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान के विपरीत आगामी वित्त वर्ष के लिए इसे बढ़ा कर 82,332.66 करोड़ रुपये किया गया है. वहीं, तीनों सेवाओं के पूंजीगत व्यय में 4287.07 करोड़ रुपये की मामूली वृद्धि की गयी है. रक्षा बजट की घोषणा ऐसे समय में की गयी है, जबकि तीनों सेनाएं राफेल लड़ाकू विमान, अपाचे, चिनूक व कामोव हेलीकाप्टर जैसे सौदों को अंतिम रूप देने की ओर है.
आधार को सांविधिक मान्यता सब्सिडी का फायदा सीधे खाते में
बजट में आधार को सांविधिक दर्जा दिलाने का निर्णय लिया है, ताकि यह सुनिश्चित हो कि सरकार की ओर से दी जानेवाली सब्सिडी का फायदा सीधा जरूरतमंदों के खाते में पहुंच सके. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने स्पष्ट किया, आधार संख्या या पहचान नागरिकता या निवास-स्थान से जुड़े किसी अधिकार की पुष्टि नहीं करेगा.
दीन दयाल उपाध्याय जन्म शताब्दी के लिए 100 करोड़ रुपये
आम बजट में पंडित दीन दयाल उपाध्याय की जन्म शताब्दी और गुरु गोबिंद सिंह की 350वीं जयंती मनाने के लिए 100-100 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गयी है. केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि देश अपनी आजादी की 70वीं सालगिरह भी मनायेगा. सरकार आजादी की 70वीं सालगिरह के बाद राष्ट्र की यात्रा के लिए प्रमुख पड़ाव तय करेगी.
गृह मंत्रालय को 77383 करोड़ रुपये
आम बजट में गृह मंत्रालय को 77383 करोड़ रुपये आवंटित किया गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 24.56 प्रतिशत की वृद्धि है. इसमें से गैर योजना मद में 67408 करोड़ रुपये और योजना मद में 9975 करोड़ रुपये शामिल हैं. बजट में सीआरपीएफ को 16228 करोड़, बीएसएफ को 14652 करोड़, प्रमुख हवाई अड्डों, परमाणु प्रतिष्ठानों की सुरक्षा में लगे बलों के लिए 6067 करोड़, भारत तिब्बत सीमा पुलिस को 4231 करोड़ और असम राइफल्य को 4363 करोड़, सशस्त्र सीमाबल को 3854 करोड़ और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड को 688 करोड़ करोड़ आवंटित किया गया है.
न हानि न लाभ, ‘हेफा’ से शैक्षणिक विकास
एक हजार करोड़ रुपये के आरंभिक पूंजी आधार के साथ उच्च शिक्षा वित्त पोषण एजेंसी (हेफा) की स्थापना होगी. इसकी निधियों का उपयोग देश की शीर्ष शैक्षणिक संस्थाओं में आधारभूत ढांचे के सुधार के लिए किया जायेगा. हेफा ‘न हानि, न लाभ’ के आधार पर कार्य करनेवाला संगठन होगा, जो बाजार से निधियां प्राप्त करेगा. इसकी अनुपूर्ति दान और सीएसआर की निधियों से करेगा.
इसके अलावा विद्यार्थियों, उच्चतर शिक्षा संस्थाओं और नियोक्ताओं को अभ्यर्थियों के डिग्री प्रमाणपत्र के लिए प्रतिभूति निक्षेपागार की तर्ज पर विद्यालय परित्याग प्रमाणपत्रों, काॅलेज उपाधियों, शैक्षणिक पुरस्कारों और अंक तालिकाओं संबंधी एक डिजिटल निक्षेपागार की स्थापना भी होगी.
62 नये नवोदय विद्यालय
देशभर में प्राथमिक शिक्षा को सर्व सुलभ करने के बाद अब हम शिक्षा के स्तर पर ध्यान देकर अगला कदम उठाना चाहते हैं. इसके लिए सर्व शिक्षा अभियान के तहत आवंटन किया जायेगा और अभी तक शामिल न किये गये शेष जिलों में 62 नये नवोदय विद्यालय खोले जायेंगे.
समर्थकारी संस्थाएं
बजट में एलान किया गया कि 10 सरकारी और 10 निजी संस्थाओं को एक समर्थकारी विनियामक संरचना मुहैया करायी जायेगी, ताकि वे विश्व स्तरीय शिक्षण व अनुसंधान संस्थाओं के रूप में उभर सके. इससे आम भारतीयों को उच्च स्तरीय शिक्षा कम खर्च पर उपलब्ध हो सकेगी.
जमाना आगे, तो हम क्यों रहें पीछे
डिजिटल साक्षरता मिशन से छह करोड़ लोग होंगे साक्षर
बदले वक्त के साथ हमारा नजरिया और शिक्षा का तरीका भी बदलना जरूरी है, विशेषकर ग्रामीण भारत का. इसी बात को ध्यान में रखते हुए सरकार ने ग्रामीण भारत के लिए डिजिटल साक्षरता मिशन शुरू करने की योजना बनायी है, ताकि अगले तीन वर्षों में करीब छह करोड़ अतिरिक्त लोगों को डिजिटल रूप से साक्षर किया जा सके. हालांकि, सरकार डिजिटल साक्षरता के लिए दो योजनाओं, राष्ट्रीय डिजिटल साक्षरता मिशल और डिजिटल साक्षरता अभियान, को पहले ही मंजूरी दे चुकी है.
फिलहाल 16.8 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से 12 करोड़ घरों में कंप्यूटर नहीं हैं. इनके डिजिटल तौर पर साक्षर होने की संभावना कम है. डिजिटल साक्षरता का अर्थ है कंप्यूटर, टैबलेट, स्मार्टफोन जैसे डिजिटल उपकरण और इंटरनेट के उपयोग की जानकारी हो.
1700 करोड़ से खुलेंगे 1500 कौशल केंद्र
सरकार की महत्वकांक्षी योजना स्किल इंडिया के लिए विशेष प्रावधान किये गये हैं. इस मिशन का उद्देश्य है युवा आबादी का समुचित लाभ उठाना है. बजट में देशभर में 1500 बहु कौशल प्रशिक्षण संस्थाओं की स्थापना करने का निर्णय किया गया है. इन कार्यक्रमों के लिए बजट में 1700 करोड़ रुपये की राशि अलग से रखने का प्रस्ताव है.
तीन वर्ष में एक करोड़ हुनरमंद
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने उद्योग जगत और शिक्षाविदों के एक राष्ट्रीय कौशल विकास प्रमाणन बोर्ड की स्थापना करने का निर्णय किया है. अगले तीन वर्षों में एक करोड़ युवाओं को हुनरमंद बनाने के लिए प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना को और अधिक बेहतर बनाने का भी प्रस्ताव किया.
मेक इन इंडिया : घरेलू मूल्यवर्द्धन को बढ़ावा
आम बजट में प्रधानमंत्री की ड्रीम प्रोजेक्ट मेक इन इंडिया का भी जिक्र है. वित्त मंत्री ने कहा कि सीमा एवं उत्पाद शुल्क से जुड़ा ढांचा ‘मेक इन इंडिया’ अभियान की दिशा में घरेलू मूल्यवर्धन को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. उन्होंने अनेक खास कच्चे माल, मध्यवर्ती वस्तुओं एवं कलपुर्जों और कुछ अन्य विशेष वस्तुओं पर देय सीमा एवं उत्पाद शुल्क में उपयुक्त बदलाव करने और प्रक्रियाओं को सरल बनाने का प्रस्ताव किया है, ताकि घरेलू उद्योग की लागत घटायी जा सके और प्रतिस्पर्द्धी क्षमता बेहतर की जा सके.
कोयले पर स्वच्छ ऊर्जा उप कर दोगुना
सरकार ने स्वच्छ ऊर्जा उपकर का नाम बदल कर स्वच्छ पर्यावरण उपकरण करते हुए कोयले, लिग्नाइट व पिट पर उपकर को मौजूदा 200 रुपये से बढ़ा कर 400 रुपये प्रति टन करने का प्रस्ताव किया. उल्लेखनीय है कि सरकार ने स्वच्छ पर्यावरण पहलों के वित्तपोषण के लिए कोयले पर स्वच्छ ऊर्जा उप कर को 2015-16 हेतु 100 रुपये से बढ़ा कर 200 रुपये प्रति टन किया था.
सब्सिडी बिल चार प्रतिशत घटा
खाद्य, उर्वरक व पेट्रोलियम उत्पादों पर कुल सब्सिडी आगामी वित्त वर्ष 2016-17 में चार प्रतिशत से भी ज्यादा घट कर लगभग 2,31,781.61 लाख करोड़ रुपये रहना अनुमानित है. यह सब्सिडी बिल 2015-16 के लिए 2,41,856.58 करोड़ रुपये (संशोधित अनुमान) था. सरकार ने आगामी वित्त वर्ष के लिए खाद्य सब्सिडी के लिए 1,34,834.61 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, जबकि मौजूदा वित्त वर्ष के संशोधित अनुमानों के तहत यह राशि 1,39,419 करोड़ रुपये है.
पूर्वोत्तर के विकास के लिए 33,097 करोड़
केंद्रीय बजट में पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के लिए 33,097 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. इसमें जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए 412 करोड़ रुपये का एक विशेष कोष भी शामिल है. ग्रामीण जनसंख्या की आजीविका, कौशल एवं क्षमता निर्माण के लिए 223 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं. परियोजना का वित्तपोषण विश्व बैंक के जरिय किया जाना प्रस्तावित है.
बजट विश्लेषण
यह आर्थिक नहीं, बल्कि राजनीतिक बजट
संदीप बामजई
वरिष्ठ आर्थिक पत्रकार
वैसे तो यह केंद्रीय सरकार का बजट है, लेकिन ‘भारत का बजट’ के रूप में इस पर संघ परिवार की छाप है. रुरल इंडिया, जिसे भारत कहा जाता है, में बहुत सारी परेशानियां हैं, सूखा है, बाढ़ है, कृषि संकट है, भुखमरी है, बेरोजगारी है, किसानों की आत्महत्याएं हैं वगैरह-वगैरह, इन्हीं पर पूरा फोकस है इस बजट में. जिस ‘सूट-बूट की सरकार’ को कांग्रेस की तरफ से चुनौती दी गयी थी, उसका पूरा ध्यान इस बार भारत पर गया है. ऐसे में अगर आप इकोनॉमिक टर्म (आर्थिक शब्दावली) में सोचें, तो पायेंगे कि कांग्रेस और भाजपा में फर्क नहीं है.
कांग्रेस ने मनरेगा जैसी कुछ योजनाओं में राशि आवंटित कर ग्रामीण वोट को अपनी तरफ खींचा, अब वही काम भाजपा कर रही है. जिस तरह से बुनियादी ढांचे के लिए सड़क, हाइवे, रेलवे और मनरेगा को राशि आवंटित की गयी है, उससे यही लगता है कि यह बजट आर्थिक बजट नहीं, बल्कि राजनीतिक बजट है.
किसी भी केंद्रीय बजट में एक मिशन (कोई बड़ी योजना), रिफॉर्म (कोई बड़ा सुधार) या किसी बड़ी योजना का आना बहुत सकारात्मक बजट माना जाता है, लेकिन इस बार के बजट में ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला है.
लेकिन हां, एक मायने में यह बजट मुझे अच्छी लगा कि मेरी याद्दाश्त में यह पहली बार है, जब बजट को दस भागों में बांटा गया हो. इसकी शुरुआत ग्रामीण अर्थव्यवस्था से हुई, फिर बुनियादी ढांचा और निवेश की बात हुई, फिर मनरेगा, एलपीजी से होते हुए युवाओं के लिए कौशल प्रशिक्षण तक गया. इन दस भागों को बजट के दस स्तंभ कहा गया. यह थोड़ा अच्छा लगा कि कम-से-कम कुछ नया करने की कोशिश हुई. लेकिन, भारत जैसी एक बड़ी अर्थव्यवस्था के नजरिये से यह बजट फेल रहा.
मेरे कहने का तत्पर्य यह बिल्कुल भी नहीं है कि सरकार को किसानों की अनदेखी करनी चाहिए. जहां 65 प्रतिशत से ज्यादा किसान रहते हों, वहां हर सरकार फर्ज है कि इस बड़ी आबादी के लिए जनकल्याणकारी योजनाएं लायी जायें और उनके जीवन को समृद्ध बनाया जाये. लेकिन, सरकार को मध्यवर्ग के लिए भी कुछ करना चाहिए था. एकतरफा बजट नहीं होना चाहिए था, बल्कि सबके लिए कुछ न कुछ जरूर होना चाहिए था.
इस सरकार ने अपने पिछले बजट में 59,500 करोड़ रुपये के आक्रामक निवेश का लक्ष्य रखा था, लेकिन सिर्फ 18,400 करोड़ रुपये के लक्ष्य तक ही पहुंच पायी. यह बात सरकार को समझ में आ गयी, तो सरकार ने इस बार उस लक्ष्य को 36,000 करोड़ रुपये कर दिया. कुल मिला कर कहें, तो सरकार ने इस बार भारत के लिए यानी किसानों के लिए अच्छा सोचा है. ऐसा लग रहा है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतें गिरने से बचे पैसे का इस्तेमाल इस बजट में किया गया है, जो कि अच्छी बात है.
बजट प्रतिक्रिया
वित्त मंत्री जी ने इतिहास रच दिया है. पहली बार सड़कों के विकास के लिए एक लाख करोड़ से अधिक का आवंटन किया गया है. राजमार्गो के लिए 55 हजार करोड़ रुपये का आवंटन किया है.
नितिन गडकरी, कैबिनेट मंत्री
मैंने संसद में कई बजट पेश होते देखे हैं, लेकिन यह सर्वश्रेष्ठ बजटों में से एक है. बजट में ऐसे तमाम ऐतिहासिक कदम उठाये गये हैं, जिसका मकसद हाइवेज और रेलवेज जैसे अहम क्षेत्रों में तेजी और सुधार लाना है.
लालकृष्ण आडवाणी, वरिष्ठ नेता, भाजपा
केंद्र के बजट में गरीबों से किनारा किया गया है. देश में 25 करोड़ लोगों के सिर पर छत नहीं, उनका घर नहीं. बजट में उनके लिए कोई प्रावधान नहीं िकया गया है. इस बजट से गरीबों को कुछ भी नहीं िमलेगा.
लालू प्रसाद, राजद प्रमुख
कृषि संकट में है और किसान आत्महत्या कर रहे हैं, लेकिन सरकार ने कुछ नहीं किया है. जेटली ने जताने की कोशिश की कि वे कृषि को प्राथमिकता दे रहे हैं. पर उन्होंने उर्वरकों पर सब्सिडी कम कर दी है.
डी राजा, भाकपा नेता
विकास की प्रथमिकताओं को ध्यान में रख कर बजट बनाया गया है. ग्रामीण अर्थव्यवस्था और इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार को लेकर कड़े स्टेप्स लिये हैं. दो वर्षों से मानसून के फेल है, ऐसे बजट की जरूरत थी.
हर्षवर्धन नियोटिया, प्रेसीडेंट फिक्की