अगर आपको पत्नी-बच्चों से प्यार है तो आज ही नशे को कहिए अलविदा

घर में अक्सर ऐसा होता है पापा-चाचा या अन्य पुरुष सदस्य की सिगरेट, पान मसाला, तम्बाकू, खैनी बच्चे चोरी-छुपे प्रयोग करते हैं. अगर उन पर ध्यान न दिया जाये तो फिर यह आदत ऐसी लत बन जाती है जो कड़े कदम उठाने के बाद भी नहीं छूटती. जो भी इन आदतों का शिकार हैं, वे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 3, 2016 8:37 AM
घर में अक्सर ऐसा होता है पापा-चाचा या अन्य पुरुष सदस्य की सिगरेट, पान मसाला, तम्बाकू, खैनी बच्चे चोरी-छुपे प्रयोग करते हैं. अगर उन पर ध्यान न दिया जाये तो फिर यह आदत ऐसी लत बन जाती है जो कड़े कदम उठाने के बाद भी नहीं छूटती. जो भी इन आदतों का शिकार हैं, वे एक बार खुद से सवाल करें- क्या उनको अपने माता-पिता, पत्नी और बच्चों से प्यार नहीं है जो वे नशे की गिरफ्त में हैं? सीए अंतिम वर्ष के छात्र ने ईमेल भेजा है. उस छात्र ने कहा है कि मुझे दुख होता है जब मैं अपने जूनियर्स को यह कहते सुनता हूं कि यह समय मौज-मस्ती का है, तो पहले मौज-मस्ती ही करनी चाहिए.
सभी प्यार-मुहब्बत के चक्कर में हैं. जो आपके कॉलम से सीखता हूं, वह उनको बताने की कोशिश करता हूं. मैं उनको समझाता हूं कि वे पढ़ाई और कैरियर बनाने की तरफ ध्यान दें. उन्हें यह भी याद दिलाता हूं कि आधुनिकता के समय में पढ़ाई की क्या एहमियत है. बिना पढ़ाई के तो भविष्य की कल्पना भी करना बेकार है. मुझे खुशी तब होती है जब उनमें से कुछ मेरी बातें को समझते हैं और इसके लिए मैम मैं आपको दिल से शुक्रिया अदा करता हूं.
मैं उन सभी बच्चों को दिल से धन्यवाद कह रही हूं जो मेरा साथ दे रहे हैं. बच्चो, हम हमेशा पहला कदम उठाने से डरते हैं, लेकिन क्यों ? किसी न किसी को तो आगे बढ़ना होता है. एक कदम उठेगा तभी तो दूसरा उसका साथ देने के लिए उठेगा. यह मैं इसलिए कह रही हूं, क्योंकि जब मैंने यह शुरुआत की तो मैं अकेली थी, मगर आज लगता है मैं अकेली नहीं हूं. आप में से बहुत से प्यारे-प्यारे बच्चे, हमारे भाई-बहन और अध्यापक भी इससे जुड़ गये हैं.
कुछ तो बदलाव आया ही है. इसीलिए कह रही हूं, जो बातें आप समझ रहे हैं वह अपने मित्रों को जरूर समझाएं. मन में कुछ करने की आग सबके अंदर होती है. जरूरत है तो उसे पहचानने और उस मशाल को जलाये रखने की. आप सब मशाल हैं. एक ऐसी मशाल जो रास्ते का अंधकार दूर करती है. मशाल आग लगाती भी है और अंधेरे में राह भी दिखाती है. अब आपको तय करना है कि आपको क्या बनना है. आप सोच-विचार कर तय लीजिए कि आपको अंधकार दूर करने के लिए जलना है या खुद का जीवन बरबाद करने के लिए.
अगर समय रहते आप घर वापस आ गये, तो बहुत अच्छा है, वरना अगर घर के बाहर रात में आप तूफान में फंस गये तो जाने क्या होगा. इसलिए समय से चलना सीख लीजिए. दोस्तों को सही रास्ता दिखाना दोस्ती का उद्देश्य होना चाहिए. इसलिए जब कभी आपको लगे कि आपका दोस्त कुछ गलत करने जा रहा है तभी उसे टोकिए. जब आपको उसकी चाल में बदलाव दिखाई दे, तभी उसे रोकने का प्रयास कीजिए. ऐसा न हो कल वह गलत रास्ते पर तेज दौड़ने लगे, तब आप उसे रोक नहीं पाएंगे. उस सीए के छात्र ने एक बात और लिखी है कि आज के युवाओं में, छात्रों में नशे की लत बढ़ रही है. इस पर आप बच्चों को बताएं.
बच्चों में नशे की आदत न पड़े इसके लिए भी शुरुआत घर से ही करनी होगी. सबसे पहले घर के पुरुष सदस्यों को खुद पर नियंत्रण रखना होगा. घर में पिता, चाचा-ताऊ या बाबा क्यों न हों, उन्हें अपनी इस आदत को बदलना होगा. जब आप नशे की किसी भी वस्तु का सेवन नहीं करेंगे तो बच्चों से भी कह सकेंगे. सबसे बड़ी बात तो यह है कि जब बच्चे आपको देखेंगे ही नहीं तो वे जल्दी हिम्म्त नहीं कर सकेंगे. घर में अक्सर ऐसा होता है पापा-चाचा या अन्य पुरुष सदस्य की सिगरेट, पान मसाला, तम्बाकू, खैनी बच्चे चोरी-छुपे प्रयोग करते हैं.
अगर उन पर ध्यान न दिया जाये तो यह आदत ऐसी लत बन जाती है, जो कड़े कदम उठाने के बाद भी नहीं छूटती. जो भी इन आदतों के शिकार हैं, वे एक बार खुद से सवाल करें- क्या उनको माता-पिता, पत्नी और बच्चों से प्यार नहीं है जो वे नशे की गिरफ्त में हैं? अगर आप 50-100 रुपये भी रोज खर्च करते हैं. 50 न सही, 20 ही मानकर चलिए, तो एक महीने के 600 रुपये तो हुए. इन छह सौ रुपयों में आप बच्चों के लिए आधा लीटर एक्स्ट्रा दूध या कुछ ड्राई फ्रूट ले सकते हैं, एक अखबार ले सकते हैं, बच्चों के स्कूल के अतिरिक्त खर्चे निकल सकते हैं.
आपने प्रति माह यदि छह सौ रुपये बचाये तो साल के सात हजार दो सौ रुपये हुए. यह तो न्यूनतम राशि आंकी है, वास्तव में तो नशा करने वालों के महीने का खर्च इससे कहीं ज्यादा है और हजारों में है. ड्रिंक करने वालों का खर्च बहुत होता है. आप सोच लीजिए कि इन रुपयों से जहर खरीदना है या इससे घर की आर्थिक समस्याओं को सुलझाना है. बात केवल खुद के जहर पीने की नहीं, आपकी देखा-देखी बच्चे इस रास्ते पर चलने लगते हैं. शुरुआत तो चोरी-छुपे तफरीह करने के लिए होती है.
फिर यह “लत” बन जाती है. जो व्यक्ति किसी भी तरह के नशे के आदी हैं, उन्हें अपने बीवी-बच्चों व घरवालों से प्यार नहीं है, क्योंकि आपका प्यार आपकी कमजोरी से हार जाता है. आप खुद ही खतरनाक बीमारियों को आमंत्रण दे रहे हैं. ईश्वर न करे घर के मुख्य सदस्य को कोई गंभीर रोग हो जाये तो सारा रुपया उसकी बीमारी में लग जायेगा. तब आपके बच्चे कैसे पढ़ेंगे? आपको कुछ हो गया तो आपकी पत्नी का क्या होगा?
बच्चों को कौन पढ़ायेगा-लिखायेगा? न जाने कितने ऐसे परिवारों से मेरा मिलना हुआ जिनके पिता ने नशे की लत में सबकुछ बेच डाला या उनका निधन हो गया और बच्चों को पढ़ाई छोड़कर काम करना पड़ा. क्या आप चाहते हैं कि आपका परिवार भी ऐसे ही परिवारों में शामिल हो? अगर नहीं चाहते और वाकई पत्नी-बच्चों से प्यार है तो आप इस नशे की लत को आज ही अलविदा कह दीजिए. अपना नहीं तो अपनी पत्नी और बच्चों का ख्याल करिए.
क्रमशः

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