लिनिंग टावर ऑफ पीसा

लिनिंग टावर ऑफ पीसा को झुकी हुई मीनार भी कहते हैं. इसे बनाने में लगभग 200 वर्ष लग गये. क्या है इस मीनार की खासियत आओ जानते हैं.. इटली में लीनिंग टावर ऑफ पीसा को वास्तुशिल्प का अद्भुत नमूना माना जाता है. अपने निर्माण के बाद से हीं मीनार नीचे की ओर झुकती जा रही […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 21, 2013 10:01 AM

लिनिंग टावर ऑफ पीसा को झुकी हुई मीनार भी कहते हैं. इसे बनाने में लगभग 200 वर्ष लग गये. क्या है इस मीनार की खासियत आओ जानते हैं..

इटली में लीनिंग टावर ऑफ पीसा को वास्तुशिल्प का अद्भुत नमूना माना जाता है. अपने निर्माण के बाद से हीं मीनार नीचे की ओर झुकती जा रही है. इसी झुकने की वजह से यह दुनिया भर में मशहूर हुई. इस मीनार को देखने के लिए सिर्फ इटली हीं नही पूरे विश्व के लोग आते हैं. पीसा की झुकी हुई मीनार को पूरा करने में 200 साल लगे.

इस संसार के सात अजूबों में पीसा की मीनार का भी नाम शामिल है. यूरोप महाद्वीप के दक्षिण में स्थित इटली बड़ा हीं मनोहारी देश है. इटली के हीं पीसा नगर है में है यह मीनार. इसका झुकाव 13 फुट है. इसे देखकर काफी अचरज होता है कि सैकड़ों साल पहले बनी हुई इतनी बड़ी मीनार झुकी हालत में कैसे खड़ी है. यही इनकी सबसे बड़ी विशेषता है और सभी लोग सिर्फ यही देखने इटली आते हैं.

ऊंची ही नहीं, बहुत सुंदर भी
प्यार से कुछ भी बनाया जाता है, तो वह अपने आप में खास हो जाता है. पीसा के निवासियों ने अपने नगर में इटली के संसार प्रसिद्ध सुंदर नगर वेनिस के घंटाघर से भी बढ़िया मीनार बनाने के इच्छुक थे, परंतु यह मीनार झुक गयी. आज तक यह मीनार उसी हालत में खड़ी है. यह मीनार लकड़ी के लट्ठों को जमीन में गाड़कर उसके ऊपर बनायी गयी है.

मीनार थोड़ी ही बन पायी थी कि एक ओर से धरती में धंसनी शुरू हो गयी, फिर भी इसको बनाना बंद नहीं किया गया. यह मीनार बहुत ऊंची ही नहीं बहुत सुंदर भी है. इसका बाहरी भाग संगमरमर का बना हुआ है. इस मीनार में विश्वविख्यात इटालियन ज्योतिषी गैलीलियो ने आज से कोई 300 साल पहले अपनी विद्या का प्रयोग किया था. इस कारण इसका ऐतिहासिक महत्व और बढ़ गया है. इस तरह के इमारत इतिहास में दुर्लभ हैं. आज विश्व भर से सैलानी इस विशाल इमारत को देखने के लिए पहुंचते हैं.

पीसा में प्रोफेसर थे गैलीलियो
गैलीलियो पीसा में प्रोफेसर थे. गैलीलियो से 2000 साल पहले इटली में एक और प्रसिद्ध विद्वान हो चुके थे, जिनका कहना था कि यदि हम एक ही सामग्री के बने हुए अलग-अलग बोझ के दो गोले लें और उन गोलों को एक साथ पृथ्वी पर गिरायें, तो भारी गोला पहले जमीन पर पहुंचेगा. 2000 साल तक सभी लोग इस सिद्धांत को सत्य मानते रहे, लेकिन गैलीलियो ने कहा कि नहीं भारी और हल्के दोनों ही गोले एक साथ जमीन पर पहुंचेंगे.

लोग गैलीलियों का मजाक उड़ाने लगे, लेकिन वह हताश नहीं हुए. उन्होंने एक दिन पीसा विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों और छात्रों को एकत्र किया और अपना प्रयोग दिखलाने के लिए हाथ में दो गोले लेकर पीसा की मीनार के ऊपर चढ़ गये. एक गोले का बोझ दस पौंड था, दूसरे का एक पौंड. गैलीलियो ने मीनार पर दोनों गोले एक साथ गिराये और दोनों एक ही साथ जमीन पर आकर गिरे. फिर तो लोगों ने गैलीलियो की बड़ी प्रशंसा की. कुछ वर्ष पहले गिरने की आशंका से इसे दर्शकों के लिए बंद कर दिया गया था, लेकिन इसे अब फिर से सभी के लिए खोल दिया गया है और इटली आनेवाला हर व्यक्ति इस मीनार को देखने अवश्य आता है.

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