समस्या रहित जीवन की उम्मीद छोड़ दें

दक्षा वैदकर एक युवक प्राइवेट कंपनी में कार्यरत था. वह अपनी जिंदगी से खुश नहीं था. वह कई तरह की समस्या से परेशान था और उसी के बारे में सोचता रहता था. एक बार शहर से कुछ दूरी पर एक महात्मा ने डोरा डाला. उस युवक को इसकी जानकारी हुई, तो वह भी दर्शन के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 22, 2016 6:02 AM
दक्षा वैदकर
एक युवक प्राइवेट कंपनी में कार्यरत था. वह अपनी जिंदगी से खुश नहीं था. वह कई तरह की समस्या से परेशान था और उसी के बारे में सोचता रहता था. एक बार शहर से कुछ दूरी पर एक महात्मा ने डोरा डाला. उस युवक को इसकी जानकारी हुई, तो वह भी दर्शन के लिए पहुंचा.
महात्मा जी के पास सैकड़ों भक्त अपनी परेशानी लेकर आये हुए थे. जब उस युवक का नंबर आया, तो उसने कहा, ‘मैं अपनी जिंदगी से बहुत दुखी हूं. क्या कोई ऐसा उपाय नहीं है, जिससे मेरी सभी परेशानियां दूर हो जाएं?’ महात्मा जी मुस्कुराये और उन्होंने कहा, ‘आज बहुत देर हो गयी है. मैं तुम्हारे प्रश्नों के उत्तर कल दूंगा, लेकिन तुम मेरा एक छोटा-सा काम करोगे? हमारे काफिले में लगभग सौ ऊंट है. ऊंटों की देखभाल करने वाला बीमार है. मैं चाहता हूं कि तुम इन ऊंटों की देखभाल करो. जब सभी ऊंट बैठ जाएं, तो तुम सो जाना.’
इतना कह कर महात्मा जी अपने तंबू में चले गये. दूसरे दिन महात्मा ने उस युवक से पूछा, ‘बेटा, क्या तुम्हें अच्छी नींद आयी. युवक ने कहा, मैं एक पल के लिए भी नहीं सो पाया. मैं ने सभी ऊंटों को बैठाने की पूरी कोशिश की, लेकिन कोई-न-कोई ऊंट फिर खड़ा हो जाता.’ महात्मा जी बोले, ‘मैं जानता था यही होगा. आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ है कि ये सारे ऊंट एक साथ बैठ जाएं.’ युवक बोला, ‘जब आपको पता था, तो आपने ऐसा करने के लिए क्यों कहा?’
तब महात्मा जी बोले, ‘देखो, जब तक एक समस्या का समाधान करने की कोशिश करोगे, तब तक दूसरी समस्या खड़ी हो जायेगी. यह जीवन है. ये समस्याएं बनी रहेंगी. कभी कम, तो कभी ज्यादा. इसलिए इन समस्याओं का सामना करते हुए जीवन का आनंद लो.’ समस्या रहित जीवन की उम्मीद छोड़ खुश रहना सीखो.
daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in

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