’75 फ़ीसदी विवाहित महिलाओं का बलात्कार होता है’

अमृता शर्मा बीबीसी मॉनिटरिंग एक जैसा इतिहास, क्रिकेट के लिए एक जैसी दीवानगी और कश्मीर को लेकर बराबर की कटुता के अलावा भारत और पाकिस्तान दोनों देशों में जो एक जैसा है वो है औरतों का हक़ और शादी के अंदर अपनी बीवी से बलात्कार का मुद्दा. दोनों देशों के अंदर औरतों के हक़ के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 1, 2016 9:52 AM
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एक जैसा इतिहास, क्रिकेट के लिए एक जैसी दीवानगी और कश्मीर को लेकर बराबर की कटुता के अलावा भारत और पाकिस्तान दोनों देशों में जो एक जैसा है वो है औरतों का हक़ और शादी के अंदर अपनी बीवी से बलात्कार का मुद्दा.

दोनों देशों के अंदर औरतों के हक़ के मुद्दे पर भारी विरोध है ख़ासकर शादी के अंदर अपनी बीवी से बलात्कार और सुरक्षा के हक़ के मुद्दे पर. इसके लिए पारिवारिक व्यवस्था के ख़त्म होने के ख़तरे का हवाला दिया जाता है.

2013 के जनवरी में जस्टिस जे एस वर्मा समिति ने जब ‘आपराधिक क़ानून में संशोधन’ पर अपनी रिपोर्ट दी तो उसमें इस बात की अनुशंसा की गई कि भारत में बीवी से बलात्कार भी क़ानून के दायरे में आना चाहिए.

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लेकिन संसद के पैनल ने कहा कि अगर बीवी से बलात्कार के मुद्दे को क़ानून के दायरे में लाया जाता है तो "पूरी पारिवारिक व्यवस्था दबाव में आ जाएगी".

इसमें आगे जोड़ते हुए गृह राज्य मंत्री हरीभाई चौधरी ने कहा कि समिति ऐसी अनुशंसा के माध्यम से "हो सकता है कि ज़्यादा अन्याय करें."

महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा कि बीवी से बलात्कार भारत में अपराध की श्रेणी में नहीं आ सकता है क्योंकि इसके लिए "शिक्षा और अशिक्षा का स्तर, ग़रीबी, सामाजिक रीति रिवाज और धार्मिक विश्वास" ज़िम्मेदार हैं.

उन्होंने कहा कि यह "समाज की उस मानसिकता के कारण होता है जो शादी को एक संस्कार मानती है."

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वर्तमान क़ानून (भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 375) के मुताबिक़, "किसी पुरुष द्वारा अपनी पत्नी, जिसकी उम्र 15 साल से कम न हो, के साथ यौन संबंध बनाना या यौन कृत्य करना बलात्कार नहीं है."

संयुक्त राष्ट्र पॉपुलेशन फ़ंड के मुताबिक़ भारत में 75 फ़ीसदी विवाहित महिलाओं के पति उनका बलात्कार करते हैं.

भारत में पुरुष अधिकार कार्यकर्ता इस क़ानून का विरोध कर रहे हैं. वे इसे ‘कमज़ोर पुरुषों’ के क़ानूनी अधिकारों को दबाने के प्रयास के रूप में देख रहे हैं.

उल्लेखनीय है कि 125 देशों में यौन उत्पीड़न, 119 देशों में घरेलू हिंसा और केवल 52 देशों में पति के बलात्कार किए जाने के ख़िलाफ़ क़ानून है.

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हालांकि हाल के समय में कई देशों में पत्नी के साथ ज़बरदस्ती यौन संबंध बनाने को अपराध की श्रेणी में शामिल किया गया है.

मलेशिया ने 2007, तुर्की ने 2005, बोलीविया में 2013 में इस क़ानून को अपनाया है.

संयुक्त राज्य अमरीका में 1970 के दशक में ही यह लागू हो गया था. यूरोपीय देशों में 90 के दशक में यह लागू हुआ. ब्रिटेन में 1991 में पति के बलात्कार करने को गैर क़ानूनी घोषित किया गया.

लेकिन भारत, चीन, अफ़ग़ानिस्तान, सऊदी अरब और पाकिस्तान उन 49 देशों में शामिल हैं जहां पति के बलात्कार करने को अपराध नहीं माना जाता है.

पाकिस्तान में महिला हक़ों की बात एक अभिशाप बनी हुई है.

हाल ही में पाकिस्तान के सबसे बड़े प्रांत पंजाब में महिला सुरक्षा बिल पास हुआ लेकिन इसने देश के अंदर इस्लामी संगठनों को नाराज़ कर दिया.

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यह बिल ‘हिंसा’ के दायरे को व्यापक बनाते हुए उसमें किसी महिला के ख़िलाफ़ किसी भी तरह के अपराध के लिए उकसाना, घरेलू हिंसा, भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और मौखिक हिंसा, आर्थिक शोषण, पीछा करने या साइबर अपराध करने को इसमें शामिल करता है.

धार्मिक संस्थाओं ने इस बिल का विरोध यह कहते हुए किया है कि यह बिल शरिया क़ानून के ख़िलाफ़ है.

इन संस्थाओं का मानना है कि इससे "तलाक़ के मामले बढ़ेंगे और परंपरागत पारिवारिक व्यवस्था को चोट पहुंचेगी."

जमीयत-ए-उलेमा-इस्लाम पार्टी के प्रमुख मौलाना फ़ज़लुर रहमान धार्मिक और राजनीतिक रूप से प्रभावी शख़्स हैं. उन्होंने भी भारत सरकार की तर्ज़ पर ही बयान दिया, "नए क़ानून से घर टूटेंगे."

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यह विडंबना है कि जब सारी दुनिया कुछ दिन पहले अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मना रही थी तब भारत और पाकिस्तान में औरतें अब भी संविधान में दिए गए अपने बुनियादी हक़ के लिए संघर्ष कर रही हैं.

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