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भारत की नाराजगी के बाद चीन का जवाब – मसूद नहीं है आतंकवादी

संयुक्त राष्ट्र : चीन ने पाकिस्तान समर्थक अपने रुख पर कायम करते हुए अब कहा है कि जैश-ए-मोहम्मद का प्रमुख और पठानकोट आतंकवादी हमले के सरगना मसूद अजहर का मामला उसे ‘आतंकवादी’ घोषित करने की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की शर्तों को पूरा नहीं करता. संयुक्त राष्ट्र में चीन के स्थाई प्रतिनिधि लियु जिएयी ने […]

संयुक्त राष्ट्र : चीन ने पाकिस्तान समर्थक अपने रुख पर कायम करते हुए अब कहा है कि जैश-ए-मोहम्मद का प्रमुख और पठानकोट आतंकवादी हमले के सरगना मसूद अजहर का मामला उसे ‘आतंकवादी’ घोषित करने की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की शर्तों को पूरा नहीं करता. संयुक्त राष्ट्र में चीन के स्थाई प्रतिनिधि लियु जिएयी ने कल यहां पत्रकारों से कहा कि काली सूची में डालने के लिए ‘सूचीबद्ध (करने की किसी प्रक्रिया) को शर्तों को पूरा करना होगा. जिएयी ने यह बात तब कही जब उनसे संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध समिति में अजहर का मामला ‘तकनीकी स्थगन’ पर रखने के चीन के फैसले पर पूछा गया.

उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्‍ट्र के मसूद अजहर के फैसले के बाद भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दायर की है. इतना ही नहीं चीन के प्रति भी भारत ने अपनी नाराजगी जाहिर की है. इसके बाद चीन ने कहा, ‘यह सुनिश्चित करना परिषद के सभी सदस्यों की जिम्मेदारी है कि इन शर्तों पर अमल कया गया है.’ बहरहाल, चीनी राजनयिक ने इसपर तफ्सील से कुछ नहीं कहा. जिएयी की यह टिप्पणी उस दिन आयी जिस दिन 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद के पांच स्थाई सदस्यों में शामिल चीन ने अप्रैल माह के लिए परिषद की चक्रीय अध्यक्षता संभाली.

भारत ने संयुक्त राष्ट्र में जैश प्रमुख पर प्रतिबंध लगवाने की अपनी कोशिश में चीन की ओर से अडंगा लगाये जाने पर तीखी प्रतिक्रिया की है और कहा है कि प्रतिबंध समिति आतंकवाद से निबटने में ‘चुनिंदा रुख’ अपना रही है. कल ही, बीजिंग में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता होंग ली ने चीन के फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि उनका देश तथ्यों और नियमों के आधार पर ऐसे मुद्दों पर ‘यथार्थवादी और उचित तरीके से’ कदम उठाता है.

ली ने कहा, ‘हमने हमेशा (समूहों और उनके नेताओं पर प्रतिबंध लगाने के) सूचीबद्ध करने के मुद्दे पर प्रस्ताव 1267 के तहत गठित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद समिति के तहत यथार्थवादी और उचित तरीके से तथ्यों और प्रासंगिक नियमों एवं प्रक्रियाओं के अधार पर काम किया है.’ उन्होंने संकेत दिया कि चीन इस मुद्दे पर भारत के साथ संपर्क में था और कहा, ‘चीनी पक्ष हमेशा सूचीबद्ध करने के मुद्दे पर संबंधित पक्षों के साथ संवाद में रहा है.’

भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की थी

भारत ने कल कहा कि वह इस बात को लेकर निराश है कि पठानकोट आतंकवादी हमले के मुख्य षड्यंत्रकर्ता एवं जैश ए मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र समिति में प्रतिबंधित करने के उसके आवेदन पर एक तकनीकी रोक लगा दी गयी है. भारत ने इस कदम को ‘समझ से परे’ बताते हुए कहा कि जैश की ज्ञात आतंकवादी गतिविधियों और अल-कायदा से उसके रिश्तों के चलते संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद समिति ने 2001 में ही उसे सूचीबद्ध कर दिया था.

यह पहला मौका नहीं है जब चीन ने पाकिस्तान आधारित आतंकवादी समूहों और नेताओं पर संयुक्त राष्ट्र में प्रतिबंध लगवाने की भारत की कोशिशों में अडगा डाला है. संयुक्त राष्ट्र ने 2001 में ही जैश पर प्रतिबंध लगा दिया था लेकिन 2008 में मुंबई पर आतंकवादी हमले के बाद अजहर पर प्रतिबंध लगवाने की भारत की कोशिशें भी सफल नहीं हो सकीं क्योंकि वीटो की शक्ति वाले चीन ने वस्तुत: पाकिस्तान के कहने पर एक बार फिर प्रतिबंध में अडंगा डाल दिया था. भारत ने मुंबई हमले के सरगने जकी-उर-रहमान लखवी को रिहा करने पर संयुक्त राष्ट्र से पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी लेकिन चीन ने पिछले साल जुलाई में इसे रोक दी.

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