सटीक लक्ष्य ही आपको रास्ता दिखायेगा

।। दक्षा वैदकर।। जब भी मैं किसी बच्चे से पूछती हूं कि आपको बड़ा हो कर क्या बनना है? वह जवाब देता है, ‘मुझे अमीर बनना है.’ बच्चों की बात तो समझ में भी आती है, लेकिन कई युवा भी ऐसा ही जवाब देते हैं. वे कोई सटीक जवाब नहीं दे पाते कि उन्हें बनना […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 28, 2013 4:47 AM

।। दक्षा वैदकर।।

जब भी मैं किसी बच्चे से पूछती हूं कि आपको बड़ा हो कर क्या बनना है? वह जवाब देता है, ‘मुझे अमीर बनना है.’ बच्चों की बात तो समझ में भी आती है, लेकिन कई युवा भी ऐसा ही जवाब देते हैं. वे कोई सटीक जवाब नहीं दे पाते कि उन्हें बनना क्या है? डॉक्टर, इंजीनियर या बिजनेसमैन बोल देने से आपका लक्ष्य तय नहीं हो जाता. ना ही ऐसे तय किये लक्ष्य तक आप पहुंच सकेंगे. लक्ष्य पर तो तभी पहुंचा जा सकेगा, जब आपका लक्ष्य बिल्कुल सटीक हो. आप बताएं कि किस चीज का डॉक्टर बनना है? कैंसर रोग विशेषज्ञ बनना है या नेत्र रोग विशेषज्ञ? कौन-सा वाला इंजीनियर बनना है? मैकेनिकल इंजीनियर या सिविल इंजीनियर? बिजनेसमैन बनना है, तो किस चीज का बिजनेस करना है? यानी कि आपको आपका लक्ष्य क्लियर बोलते आना चाहिए.

जब आप एक सटीक लक्ष्य बना लेते हैं, तभी आप उस तक पहुंचने का रास्ता चुन पाते हैं. अगर आप किसी ऑटो में बैठेंगे तो आप ये नहीं कह सकते कि ‘भाई, ऑटो चालू कर दो और घूमाओ.’ आपको उसे जगह बतानी होगी. तभी वह आपको वहां पहुंचा पायेगा. याद रहें दोस्तों, ये कंफ्यूज से गोल आपको दिशा नहीं देंगे. हवा में बोले गये ये गोल आपको क्रिएटिव आइडिया नहीं देंगे.

एक बात जाननेवाली बात यह है कि हर लक्ष्य की एक सीमा तय करें. सोचनेवाली बात है, रेस में केवल भागना जरूरी नहीं होता. इसमें फिनिशिंग लाइन को छूना भी जरूरी होता है. आपको आपकी फिनिशिंग लाइन खुद बनानी होगी. इसलिए अपना गोल ऐसा रखें, जिसे आप काउंट कर सकें, नाप सकें. तीसरी व सबसे जरूरी बात यह है कि लक्ष्य ऐसे बनाएं, जो आप पा सकें. इसका मतलब ये नहीं है कि आसान लक्ष्य तय करें. इसका मतलब यह है कि लक्ष्य इतना अजीब भी तय न करें कि कभी न पा सकें. अगर आपकी आवाज फटे बांस जैसी है, तो आप ये लक्ष्य नहीं बना सकते कि मैं वर्ल्ड का बेस्ट सिंगर बनूंगा. जब आप अपनी क्षमता से दूर का लक्ष्य बनाते हैं, तो आपको वह नहीं मिलता और आप धीरे-धीरे निराश होना शुरू कर देते हैं.
बात पते की..

जब आप सटीक लक्ष्य बनाते हैं, तो आपको आपका रास्ता साफ नजर आने लगता है. आप टाइम-टेबल बना कर धीरे-धीरे चलना शुरू कर देते हैं.

लक्ष्य तय हो जाने के बाद आप समय सीमा निर्धारित करें कि कितने वक्त में आप उस लक्ष्य तक पहुंचेंगे. ऐसा करने से आप बेहतर काम कर सकेंगे.

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