नये साल यानी साल 2014 की शुरुआत हो चुकी है. पिछले दिन हम सभी ने धूमधाम के साथ इस नये वर्ष का स्वागत किया. मगर पूरी दुनिया में अपनाया जानेवाला यह ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार है. काम-काज के लिहाज से इसे ग्लोबली स्वीकार किया गया है. भारत में विभिन्न समुदायों के लोग बसते हैं और उन सभी का नया साल अलग-अलग होता है. इस अवसर पर भारतीय नववर्ष को भी जानना रोचक होगा.
बच्चों उम्मीद है नये साल में तुमने खूब मस्ती की होगी. पिछले सप्ताह मैंने तुम्हें बताया था कि ग्रेगोरियन कैलेंडर की शुरुआत कैसे हुई और कैसे जनवरी से शुरू हुआ नया साल. भारत की संस्कृति विविधतापूर्ण है. यहां हर धर्म के लोग रहते हैं. इनकी मान्यताएं और रिवाज अलग–अलग हैं. भारत में नया साल भी धर्म के अनुसार ही मनाया जाता है, यही कारण है कि हर धर्म का अपना एक कैलेंडर है.
इसलामी नववर्ष
इसलामी कैलेंडर के अनुसार मुहर्रम महीने के पहले दिन से उनका नया साल शुरू होता है. यह कैलेंडर दुनिया भर के मुसलमान अपने पर्व–त्योहारों को जानने के लिए प्रयोग में लाते हैं. यह चंद्र वर्ष पर आधारित है.
हिंदू धर्म का कैलेंडर
हिंदू धर्म का नया साल चैत्र मास के शुक्ल प्रतिपदा से माना जाता है. इसे नव संवत् के नाम से भी जाना जाता है. मान्यताओं के अनुसार भगवान ब्रrा ने इसी दिन से सृष्टि की रचना शुरू की थी. विक्रम संवत् के अनुसार भी नये साल की शुरूआत इसी दिन होती है. यह दिन होली का अगला दिन भी होता है, इस लिए एक मान्यता यह भी है कि नये साल के शुभागमन के लिए होली मनायी जाती है. इसी समय भारत में वसंत का महीना भी होता है जो प्रकृति को भी नया रूप प्रदान करता है. चारों ओर रंग–बिरंगे फूलों से बाग–बगीचे सज जाते हैं. ऐसा प्रतीत होता है जैसे प्रकृति नयी दुल्हन की तरह सजी गयी हो.
हिंदी महीनों के नाम
हिंदू मान्यताओं के अनुसार पृथ्वी 365 दिन और 4 घंटे में सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करता है. इसी अवधी में चंद्रमा पृथ्वी के 12 चक्कर लगाता है. इन दोनों के परिक्रमा के समय की गणना कर साल का कैलेंडर निकाला गया और उसी से महीनों के नाम भी रखे गये. हिन्दी माह के क्रमश: नाम हैं–
चैत्र
बैशाख
ज्येष्ठ
आषाढ़
श्रवन
भाद्रपद
आश्विन
कार्तिक
मार्गशीर्ष
पौषत्नमाघ
फाल्गुन
सिखों का नया साल
पंजाब सहित दुनिया भर के सिख वैशाखी पर्व के साथ नया साल मनाते हैं. यह अपैल माह में आता है. खेतों में फसल काटने का समय भी मार्च के अंतिम और अप्रैल के शुरूआती दिनों में होता है. सिख समुदाय वैशाखी को बहुत धूमधाम से मनाते हैं.
सिंधी समुदाय का नववर्ष
सिंधी नव वर्ष चेटीचंद उत्सव से शुरू होता है. यह चैत्र शुक्ल पक्ष के द्वितीया को मनाया जाता है. सिंधी समाज की मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान झूलेलाल का जन्म हुआ था जो वरुणदेव के अवतार माने जाते हैं.
जैन धर्म में नया साल
जैन नव वर्ष दीपावली के दूसरे दिन मनाया जाता है. यह भगवान महावीर स्वामी के मोक्षप्राप्ति के अगले दिन से शुरू होता है. इसे वीर निर्वाण संवत् कहा जाता है.
मलयाली नववर्ष
ओणम मलयाली माह के छिंगम अर्थात सितंबर माह में मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन राजा महाबलि पाताल लोक से धरती पर आकर अपनी प्रजा के लिए मंगलकामना करते हैं और आर्शीवाद देते हैं. ओणम के दिन महिलाएं नाचती–गाती हैं और पुरुष नौकायान रेस का आयोजन करते हैं.
तमिल नववर्ष
तमिल नव वर्ष पोंगल त्योहार से मनाया जाता है. पोंगल प्रति वर्ष 14-15 जनवरी को मनाया जाता है. पारंपरिक रूप से यह सम्पन्नता को समिर्पत त्योहार है जिसमें समृद्धि लाने के लिए वर्षा, धूप तथा खेतिहर मवेशियों की आराधना की जाती है. यह पर्व चार दिनों तक मनाया जाता है.