आदर्श हिंदू को चूहे की तरह होना चाहिए: आंबेडकर
संयुक्त राष्ट्र में पहली बार भारतीय संविधान के रचयिता बाबासाहेब आंबेडकर की जयंती मनाई गई है. यह उनके जन्म के 125 साल पूरे होने, यानी 14 अप्रैल के एक दिन पहले मनाई गई है. इसमें लगातार विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए असमानताओं से लड़ने पर ध्यान देने की बात कही गई है. दलित […]
संयुक्त राष्ट्र में पहली बार भारतीय संविधान के रचयिता बाबासाहेब आंबेडकर की जयंती मनाई गई है.
यह उनके जन्म के 125 साल पूरे होने, यानी 14 अप्रैल के एक दिन पहले मनाई गई है.
इसमें लगातार विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए असमानताओं से लड़ने पर ध्यान देने की बात कही गई है.
दलित अधिकारों के लिए लड़ने वाले भीमराव आंबेडकर को भारत के संविधान निर्माता के तौर पर जाना जाता है.
आंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को हुआ था. उन्हें 1990 में मरणोपरांत भारत का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ दिया गया था.
आंबेडकर ने अमरीका और ब्रिटेन दोनों देशों में उच्च शिक्षा पाई थी. विदेशी यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पीएचडी करने वाले पहले भारतीय थे.
1913 में उन्होंने कोलंबिया यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया था. इसके लिए बड़ौदा के राजपरिवार से उन्हें वज़ीफा मिला था.
1916 में लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स से अर्थशास्त्र में पीएचडी की. वह देश के पहले क़ानून मंत्री बने. वे संविधान समिति अध्यक्ष थे.
1951 में हिंदू कोड बिल के सवाल पर उन्होंने मंत्री मद से इस्तीफ़ा दे दिया था.
1952 में वे राज्यसभा के सदस्य बनाए गए. 14 अक्टूबर 1956 को आंबेडकर धर्म परिवर्तन करके बौद्ध बन गए थे.
(आंबेडकर की कही गई उपरोक्त बातें 1936 में उनके निबंध ‘एन्निहिलेशन ऑफ़ कास्ट’ से ली गई हैं.)(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)