पर्रिकर ने चीन के रक्षा मंत्री के समक्ष उठाया मसूद अजहर का मामला
बीजिंग: रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तानी आतंकवादी समूह जैश -ए- मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर को प्रतिबंधित करने के भारत के प्रयास को चीन द्वारा बाधित करने को लेकर भारत की आपत्तियां चीन के नेताओं के समक्ष आज दृढता से रखीं. पर्रिकर ने साथ ही इस मुद्दे पर तथा पाकिस्तान के कब्जे […]
By Prabhat Khabar Digital Desk |
April 18, 2016 10:56 PM
बीजिंग: रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तानी आतंकवादी समूह जैश -ए- मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर को प्रतिबंधित करने के भारत के प्रयास को चीन द्वारा बाधित करने को लेकर भारत की आपत्तियां चीन के नेताओं के समक्ष आज दृढता से रखीं. पर्रिकर ने साथ ही इस मुद्दे पर तथा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में चीन की परियोजनाओं पर स्पष्टीकरण भी मांगा. पर्रिकर ने चीन के रक्षा मंत्री चांग वानकुआन से एक मुलाकात के दौरान कहा, ‘‘भारत चीन के साथ संबंधों को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है और वह चीन के साथ मैत्रीय और सहयोग संबंधों और बढाने को प्रतिबद्ध है.”
पर्रिकर ने चीन के साथ नजदीकी संबंध बनाने की भारत की इच्छा व्यक्त करते हुए जैशे मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर को प्रतिबंधित करने के संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रयास को चीन द्वारा बाधित करने के कदम पर भारत की आपत्ति दृढता से रखी. उन्होंने यहां भारतीय मीडिया से कहा, ‘‘हमने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में जो कुछ हुआ वह सही दिशा में नहीं है और उन्हें आतंकवाद पर एक समान रूख अपनाना होगा जो भारत और चीन के हित में है.”
पर्रिकर ने कहा कि चीन के अधिकारियों ने इसके जवाब में भारत की चिंताओं पर ध्यान दिया.पिछले महीने चीन ने मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध समिति द्वारा आतंकवादी घोषित कराने के भारत के प्रयास पर यह कहते हुए वीटो लगा दिया था कि यह मामला सुरक्षा परिषद की ‘‘अपेक्षाओं को पूरा नहीं करता.भारत का मानना है कि अजहर देश में हुए कई हमलों का मुख्य षड्यंत्रकर्ता है. इसमें इस वर्ष के शुरू में पठानकोट स्थित वायुसेना ठिकाने पर हुआ आतंकवादी हमला भी शामिल है.रक्षा मंत्री पर्रिकर ने कहा, ‘‘हमने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में चीन की गतिविधियों के संबंध में भारत की आपत्तियों पर अपना रुख बहुत स्पष्ट किया” जहां पाकिस्तान और चीन 46 अरब डालर की लागत से दोनों देशों को जोडने वाला एक आर्थिक गलियारे का निर्माण कर रहे हैं.चीन के अधिकारियों ने इसके जवाब में समझाया कि यह एक आर्थिक परियोजना है जिसका उद्देश्य भारत के खिलाफ नहीं है.
पर्रिकर ने कहा, ‘‘मूल रुप से हमारी चिंताओं पर उन्होंने ध्यान दिया और मैं उनसे काम करने की उम्मीद करता हूंं” उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच और सम्पर्क से भविष्य में ऐसे मुद्दों का समाधान होगा जबकि तत्काल प्रतिक्रिया की उम्मीद नहीं की जा सकती.
पर्रिकर ने बाद में चीन के शीर्ष सैन्य अधिकरी जनरल फान चांगलांग से मुलाकात की जो कि सेंट्रल मिलिटरी कमीशन के उपाध्यक्ष हैं. सेंट्रल मिलिटरी कमीशन पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की कमान निकाय है. इसके प्रमुख चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग हैं. रक्षा मंत्री पर्रिकर चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग से कल मुलाकात करेंगे और बाद में चेंगदू का दौरा करेंगे जो हाल में एकीकृत पश्चिमी सैन्य कमान का मुख्यालय है. इसके ही अधिकार क्षेत्र में भारत से लगने वाली पूरी सीमा आती है.