वाशिंगटन : अंतरिक्ष के क्षेत्र में अमेरिका के भारत के साथ सहयोग विस्तार को बढावा देने के बीच देश के नवोदित निजी अंतरिक्ष उद्योग ने अमेरिकी सैटेलाइट को कक्षा में पहुंचाने के लिए बडे पैमाने पर कम लागत वाले इसरो के प्रक्षेपण यानों के इस्तेमाल पर विरोध जताया है. बेहद तेजी से उभरते अमेरिकी निजी अंतरिक्ष उद्योग के कारोबारी नेताओं और अधिकारियों ने इस सप्ताह सांसदों को बताया कि इस तरह का कदम अमेरिकी अंतरिक्ष उद्योग कंपनियों के लिए भविष्य में घातक सिद्ध होगा, क्योंकि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन :इसरो: के कम लागत वाले प्रक्षेपण यानों से प्रतिस्पर्धा करना उनके लिए मुश्किल होगा। उनका आरोप है कि कम लागत के लिए भारत सरकार की सब्सिडी देने की नीति जिम्मेदार है.
‘स्पेस फाउंडेशन’ के सीईओ इलियट होलोकाउई पुलहम ने कहा कि मेरा मानना है कि भारतीय प्रक्षेपण यानों के इस्तेमाल को लेकर हमारी चिंता यह नहीं है कि भारत को संवेदनशील तकनीक का हस्तांतरण किया जा रहा है क्योंकि वह एक लोकतांत्रिक देश है, बल्कि इसका ताल्लुक बाजार से है, क्योंकि भारत सरकार भारतीय प्रक्षेपण यानों के लिए सब्सिडी देती है, जो इतनी भी नहीं होनी चाहिए कि इस क्षेत्र के बाजार से अन्य कंपनियों के अस्तित्व पर असर पडे. अमेरिका की कांग्रेशनल कमिटी के समक्ष अपने बयान में पुलहम ने बताया कि भारतीय पीएसएलवी जैसे प्रक्षेपण यानों के जरिए अमेरिका निर्मित सैटेलाइट को ले जाने की इजाजत के बारे में चर्चा है.
कमर्शियल स्पेसफ्लाइट फेडरेशन के अध्यक्ष एरिक स्टॉलमर ने सरकारी सब्सिडीकृत विदेशी प्रक्षेपण कंपनी को सुविधा देने के प्रयास का विरोध किया.