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विकसित देशों को नवीकरणीय ऊर्जा कार्यक्रमों को प्रोत्साहित करना चाहिए : भारत

न्यूयार्क : भारत ने कहा कि विकसित देशों को नवीकरणीय उर्जा कार्यक्रमों को प्रोत्साहित करना चाहिए न कि इसमें अडचन डालना चाहिए. साथ ही उसने सौर कंपनियों के साथ अपने बिजली खरीद समझौतों के खिलाफ विश्व व्यापार संगठन के एक ताजा फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया. आज यहां संयुक्त राष्ट्र में ऐतिहासिक पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 22, 2016 3:08 PM

न्यूयार्क : भारत ने कहा कि विकसित देशों को नवीकरणीय उर्जा कार्यक्रमों को प्रोत्साहित करना चाहिए न कि इसमें अडचन डालना चाहिए. साथ ही उसने सौर कंपनियों के साथ अपने बिजली खरीद समझौतों के खिलाफ विश्व व्यापार संगठन के एक ताजा फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया. आज यहां संयुक्त राष्ट्र में ऐतिहासिक पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए आए पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि वह इस मौके पर अमेरिका के इस मामले में विश्व व्यापार संगठन जाने के दुर्भाग्यपूर्ण मामले को उठाएंगे.

उन्होंने कहा, ‘मैं अपने भाषण में इस मामले को निश्चित तौर पर उठाउंगा. यह दुर्भाग्यपूर्ण है, सिर्फ फैसला नहीं बल्कि अमेरिका का विश्व व्यापार संगठन में जाना भी दुर्भाग्यपूर्ण है.’ जावडेकर ने कहा कि भारत ने विश्व का सबसे बडा नवीकरणीय ऊर्जा कार्यक्रम शुरू किया है और इसका बहुत छोटा सा हिस्सा भारतीय विनिर्माताओं के लिए आरक्षित रखा है. उन्होंने कहा कि फिर भी यदि बिना उचित परिप्रेक्ष्य में देखे तकनीकी आधार पर चुनौती दी जा रही है तो यह विकासशील देशों के लिए उत्साह भंग करने वाला है.

जावडेकर ने कहा डब्ल्यूटीओ के निर्णय पर कहा कि ऐसी कार्रवाई ‘निरत्साहित’ करती है. इसे बहुपक्षवाद नहीं कहते है. हमें तो विभिन्न देशों में शुरू किये गये स्वच्छ ऊर्जा कार्यक्रमों को प्रोत्साहित करना चाहिए.’ उन्होंने कहा, ‘भारत का 1,75,000 मेगावाट नवीकरणीय बिजली उत्पादन क्षमता खडी करने का कार्यक्रम इस क्षेत्र में सबसे बडा कार्यक्रम है. इसमें अडंगा नहीं लगाना चाहिए. आप उपदेश कुछ देते हैं, करते कुछ और हैं.’

उन्होंने कहा कि अब आगे की कार्रवाई पर निर्णय वाणिज्य मंत्रालय को करना है पर ‘ऐसी बात होनी ही नहीं चाहिए थी.’ डब्ल्यूटीओ ने हाल में फैसला दिया था कि सौर ऊर्जा कंपनियों के साथ भारत सरकार का बिजली खरीद समझौता अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों से मेल नहीं खाता. यह फैसला अमेरिका की 2014 की एक शिकायत पर आया है जिसमें कहा गया है कि भारत के बिजली खरीद समझौते में अमेरिकी कंपनियों के साथ भेदभाव हो रहा है क्यों कि इसके तहत परियोजनाओं में ‘घरेलू उपकरणों की शर्त’ जोडी गयी है.

जावडेकर ने उम्मीद जताई कि अंत: ‘सामहिक समझ’ से काम होगा और विकसित तथा विकासशील देश जलवायु परिवर्तन से जुडे इस मुद्दे को हल करने के लिए अपनी अपनी भूमिका जरुर निभायेंगे. बैठक में भारत सहित 165 से अधिक देशों के राष्ट्राध्यक्ष, विदेश मंत्री तथा अन्य प्रतिनिधों में शामिल होंगे जो ऐतिहासिक जलवायु परिवर्तन समझौते पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून द्वारा आयोजित समारोह में हस्ताक्षर करेंगे.

इस समझौते पर पिछले साल दिसंबर में सहमति हुई थी. उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन से लडने के लिए धन की व्यवस्था को लेकर चिंता बरकारा है ऐसे में विकसित देशों को वायदे के अनुसार 100 अरब डालर का कोष यथा शीघ्र जुटाना चाहिए. एक दिन में किसी बहुपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर का एक रिकार्ड होगा. इससे पहले 1982 में ‘सामुद्रिक- विधि संधि’ पर 1982 में एक दिन में 119 देशों ने हस्ताक्षर किये थे.

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