चीन-भारत सीमा विवाद को सुलझाने के लिये दोनों को बढ़ना होगा आगे : चीन

बीजिंग : चीन के विदेश मंत्रालय का कहना है कि सीमा विवाद का दोनों पक्षोंं को स्वीकार्य ‘‘स्वतंत्र और तर्कपूर्ण” राजनीतिक हल निकालने के लिए चीन और भारत दोनों को समान रूप से आगे बढ़ना होगा. यह बयान पुराने मामले को सुलझाने के लिए बीजिंग की इच्छा का संकेत देता है. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 22, 2016 9:56 PM

बीजिंग : चीन के विदेश मंत्रालय का कहना है कि सीमा विवाद का दोनों पक्षोंं को स्वीकार्य ‘‘स्वतंत्र और तर्कपूर्ण” राजनीतिक हल निकालने के लिए चीन और भारत दोनों को समान रूप से आगे बढ़ना होगा. यह बयान पुराने मामले को सुलझाने के लिए बीजिंग की इच्छा का संकेत देता है.

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और उनके चीनी समकक्ष यांग जेईची ने यहां 20-21 अप्रैल को सीमा विवाद मुद्दे पर बातचीत की. डोभाल की चीन यात्रा कल समाप्त हुई है. चीन की ओर से एक बयान जारी कर कहा गया है कि दोनों पक्षों के बीच सीमा मुद्दे, द्विपक्षीय संबंधों और प्रासंगिक अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर गहन और अच्छी चर्चा हुई.

20-21 अप्रैल को हुई सीमा वार्ता के संबंध में जारी बयान के अनुसार, ‘‘दोनों पक्ष सहमत हुए कि सीमा मुद्दे पर चीन-भारत वार्ता सकारात्मक गति से चल रही है और सीमा विवाद प्रभावी रुप से नियंत्रण में हैं तथा सीमावर्ती क्षेत्र सामान्य तौर पर शांतिपूर्ण और स्थिर है.” विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर डाले गये बयान में कहा गया है, ‘‘पुराने सीमा विवाद को लेकर चीन बिरले ही भारत से ‘‘बीच में मिलने” की बात करता है.

दोनों देशों के राजनीतिक हल की पटरी पर बने रहने के हवाले को महत्वपूर्ण विकास के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि दोनों पक्षों के अधिकारियों का कहना है कि बातचीत ऐसे स्तर पर पहुंच गयी है जहां दोनों पक्षों के राजनीतिक नेतृत्व एक नतीजे पर पहुंचने के लिए फैसला ले सकते हैं. सीमा वार्ता के विभिन्न दौर में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले डोभाल के पूर्ववर्ती, शिवशंकर मेनन ने 2014 में एक बैठक के दौरान कहा था कि सभी तकनीकी काम पूरे हो चुके हैं और अब फैसला लेने की बारी दोनों देशों के नेताओं की है.

बयान मेंं कहा गया है, ‘‘इस बीच, दोनों देशों को विवादों का ठीक से प्रबंधन और निपटारा करना चाहिए, सीमा मामले पर विचार-विमर्श मजबूत करना चाहिए और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता को बनाये रखना चाहिए ताकि द्विपक्षीय संबंधों के विकास हेतु अनुकूल वातावरण तैयार करना चाहिए.” उसमें कहा गया है कि दोनों पक्षों का दृष्टिकोण है कि चीन-भारत संबंधों का विकास बहुत महत्वपूर्ण है और उनकी व्यापक संभावनाएं हैं.

बयान के अनुसार, ‘‘मतभेदों के मुकाबले चीन और भारत के बीच बहुत ज्यादा परस्पर हित हैं. राष्ट्रपति शी चिनफिंग की 2014 की भारत यात्रा तथा भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 2015 की चीन यात्रा से, चीन-भारत संबंधों ने विस्तृत और तेज विकास के नये दौर में प्रवेश किया है.” चीन के विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, ‘‘विभिन्न क्षेत्रों में संवाद और सहयोग में भी महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल हुई हैं. दोनों शासनाध्यक्षों के महत्वपूर्ण मतैक्यों को दोनों पक्षों को लागू करना चाहिए, उच्चस्तरीय बातचीत करनी चाहिए और सहयोग की क्षमता का लाभ उठाना चाहिए, ताकि चीन-भारत संबंध ऊंचे स्तर पर पहुंच सके.”

सीमा वार्ता को लेकर नयी दिल्ली में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरुप ने कहा, ‘‘वार्ता दो मुख्य मुद्दों पर केंद्रीत रही. पहला सीमा मुद्दे का स्वतंत्र, तर्कपूर्ण और परस्पर स्वीकार्य हल खोजने का प्रयास और दूसरा सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखना.” स्वरुप ने कहा, ‘‘पहले मामले में, दोनों पक्ष रुपरेखा पर चर्चा कर रहे हैं और 19वें दौर में इन चर्चाओं को आगे बढ़ाया गया.

दूसरे मुद्दे पर, दोनों पक्षों में सहमति बनी कि पिछले कई महीनों में कोई बड़ी घटना नहीं हुई है.” उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाये रखने के विभिन्न तरीकों पर विचार किया. इस संबंध में दोनों पक्ष राजी हुए कि दोनों सैन्य बलों के बीच एक हॉट लाइन स्थापित की जानी चाहिए और हम उसके तौर-तरीकों पर काम कर रहे हैं. एनएसए ने परस्पर हितों के क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया.

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