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नवाज़ शरीफ़ के लिए ख़तरे की घंटी सेना का फैसला?

आयशा सिद्दीका रक्षा विशेषज्ञ, हिंदी डॉट कॉम के लिए ये पहला मौक़ा है कि पाकिस्तानी सेना से इतने बड़े पैमाने पर अफसरों को निकाला गया हो और उसका प्रचार भी किया गया हो. पाकिस्तान की सेना ने अपने छह बड़े अफसरों को भ्रष्टाचार के आरोप में नौकरी से निकाल दिया है. निकाले गए अफसरों में […]

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ये पहला मौक़ा है कि पाकिस्तानी सेना से इतने बड़े पैमाने पर अफसरों को निकाला गया हो और उसका प्रचार भी किया गया हो.

पाकिस्तान की सेना ने अपने छह बड़े अफसरों को भ्रष्टाचार के आरोप में नौकरी से निकाल दिया है. निकाले गए अफसरों में लेफ्टिनेंट जनरल और मेजर जनरल रैंक के अधिकारी शामिल हैं.

ये मामले भ्रष्टाचार के ही होगे. जैसे कि सुनने में आया है कि एक मेजर जनरल पर ये इल्ज़ाम है कि उन्होंने दो अफसरों को अपने बेटे की गाड़ी को टेस्ट ड्राइव के लिए भेजा.

एक हादसे में दोनों अफसर मारे गए. उनमें एक मेजर के स्तर का अधिकारी था और एक शायद कैप्टन था.

उन पर इस चीज का आरोप है तो भ्रष्टाचार से ज़्यादा पद के दुरुपयोग के दायरे में आएगा. बाकी मामलों के बारे में विस्तार से जानकारी नहीं मिली है.

ये ऐसे अधिकारी नहीं हैं जिनका पहले कोई बहुत नाम सुना गया हो.

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इस कदम से फ़ौज पर कोई असर नहीं पड़ेगा बल्कि उनका मनोबल ज़्यादा बढ़ेगा, जवाबदेही अच्छी बात है. ये फौज में होनी चाहिए लेकिन जिस अंदाज में ये तय की जा रही है वो बहुत राजनीतिक है.

सेना की ओर से संकेत है कि ‘देखो हम तो इतनी अच्छी संस्था हैं कि हमारे यहां अफसर अगर भ्रष्टाचार करें तो उसको बख्शा नहीं जा रहा. पाकिस्तान में सेना किसी भी संस्थान से बेहतर है.’

इसमें बिल्कुल एक सियासी पहलू है. वो पहलू ये है कि एक तो फौज़ नागरिक संस्थानों और नेताओं से बेहतर है और दूसरा ये कि ये आंच जो है वो अब तेज़ कर दी गई है.

ये एक संदेश है प्रधानमंत्री मियां नवाज़ शरीफ को प्रधानमंत्री को, जिनके परिवार का नाम पनामा लीक में आया था.

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ये एक संदेश देने की कोशिश है कि देखिए आप हमसे कहते हैं कि हम सेना की जवाबदेही तय नहीं करते हैं तो हमने कर ली है अब वक्त है कि अब आप भी जवाबदेही तय कीजिए.

इससे वो हालात पैदा हो गए हैं जिनसे मियां नवाज शरीफ आराम से जान नहीं छुड़ा पाएंगे.

ये बिल्कुल साफ संदेश उनको गया है कि अगर फौज अपनी जवाबदेही तय कर सकती है तो कोई वजह नहीं है कि वो जवाबदेही के लिए अपने आप को पेश न करें.

उसका एक ही तरीका है कि वो इस्तीफा दें और एक ऐसे कमीशन को बनाएं जो स्वतंत्र हो और निष्पक्ष हो और वो जवाबदेही कर सके.

नवाज शरीफ के लिए ये कहना आसान नहीं कि 18 महीने के बाद या 2018 में जब चुनाव होंगे, तभी मैं जाऊंगा. मेरे ख्याल से उनको अकाउंटिबिलिटी का प्रोसेस शुरू करना पड़ेगा.

(बीबीसी संवाददाता संदीप सोनी से बातचीत पर आधारित)

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